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________________ आकृति के आधार पर ही इस गुम्फा का नामकरण “सर्पगुम्फा" हुआ है। इस गुम्फा में भी दो अभिलेख हैं [परिशिष्ट- क्षुद्र अभिलेखनं. ३](1) प्रथम में यह उल्लेख है कि वह उपकर्मसचिव [चूलकंम] का अभेद्य आवास प्रकोष्ठ था। द्वितीय अभिलेख का पाठोद्धार संभव नहीं हो पाया। हाथीगुम्फा एक प्राकृतिक गुम्फा है। आकृति के अनुसार ही इसका नामकरण हुआ है। खारवेळ के राजत्व काल में शिल्प कौशल से शायद वैसा बनाया गया हो। इस गुम्फा के आभ्यंतरीण छत् पर महाराजा खारवेळ की एक दीर्घ प्रस्तर लिपि खोदित हुई है। उसका संपूर्ण विवरण इस ग्रंथ के द्वितीय परिच्छेद में दिये गये हाथीगुम्फा और गणेश गुम्फा के बीच मे धानघरगुम्फा है। इसके द्वार पर धोति चद्दर दार पहरेदार, पगड़ी बांधे, नंगे पांव, बड़ी सी लाठी टिकाए खड़ा है। यह अनुच्च गुम्फा भी कला की दृष्टि से विशेष आकर्षणीय नहीं है;। हाथीगुम्फा की बायीं ओर थोड़ी सी दूरी पर है हरिदास गुम्फा । सप्तदस शताब्दी के ओड़िआ सिद्ध संत हरिदास के नामानुसार यह गुम्फा नामित है। ओडिआ कवि सदानंद कविसूर्य ब्रह्मा प्रणित “नाम चिंतामणि' ग्रंथ से ज्ञात होता है कि बादशाह ने उन्हें इसलाम धर्म से दीक्षित करने को उनपर काफी अत्याचार किया था। शायद वह बादशाह हैं औरंगजेब। यह गुम्फा भी खारवेळ के समय ही बनवायी गयी थी। क्यों कि इसमें भी ईसापूर्व प्रथम शताब्दी का एक क्षुद्र अभिलेख है [परिशिष्ट -१- क्षुद्र ब्राह्मी अभिलेख- नं,४] (1) जगन्नाथ गुम्फा की दीवार पर एक रंगीन चित्र था। जिसकी पूजा भी हुआ करती थी। शायद यही कारण है जिससे इस गुम्फा ७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003640
Book TitleKharvel
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSadanand Agarwal, Shrinivas Udagata
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year1993
Total Pages136
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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