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ई.पू. ८८ को सिमुक के राज्याभिषेक का वर्ष बताया है। पौराणिक मतानुसार सिमुक का शासन काल तेरह वर्ष, उनके पश्चात भाई कन्ह का अठारह वर्ष और कन्ह के बाद सिमुक के पुत्र सातकर्णी ने केवल दश वर्ष के लिये राज्य का शासन किया था। सातवाहन वंश प्रथम तीन राजाओं का शासन काल इस प्रकार निर्णित हुआ
सिमुक - ई.पू. ८८ से ई.पू. ६५ तक कन्ह - ई.पू. ६५ से ई.पू. ४७ तक सातकर्णी - ई.पू. ४७ से ई.पू. ३७ तक
खारवेळ के राज्याभिषेक ईसापूर्व ४० में हुआ था, इस निरूपण के साथ स्वत: सातकर्णी के राज्य काल की पुष्टी हो जाती है। खारवेळ के शासन के द्वितीय वर्ष अर्थात ईसापूर्व ३८ में सातकर्णी जीवित थे। पर चौथे वर्ष [ईसापूर्व ३६] युद्ध में सातकर्णी की विधवा रानी नायानिका ने सामना किया था।
सातवाहन वंश का समय निरुपण और खारवेळ का राज्याभिषेक किस समय हुआ था यह आज भी इतिहास की एक जटिल समस्या है। पर लगता है ईसापूर्व ४० को खारवेळ का राज्याभिषेक वर्ष मान लेना सत्य का अधिक निकटतम होगा। खारवेळ ईसापूर्व प्रथम शताब्दी में थे, इसमें कोई संदेह ही नहीं है। सर जॉन मार्शल (Sir John Marshall) ने भरहुत और उदयगिरि-खण्डगिरि की कलाकृतियों पर तुलनात्मक विवेचन कर भरहुत को ईसापूर्व द्वितीय शताब्दी और खारवेळ के समकालीन उदयगिरि-खण्डगिरि को ईसापूर्व प्रथम शताब्दी का माना है। हाथीगुम्फा अभिलेख की लिपि भी लिपितात्विक दृष्टि से ईसापूर्व प्रथम शताब्दी की है।
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