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________________ टिप्पण सूत्र ४० १. सूत्र (सुयं) प्रस्तुत आगम के ५१वें सूत्र में सूत्र के दस पर्यायवाची नाम बताए गए हैं। उनमें प्रथम दो नाम सुय और सुत्त हैं । 'सुय' का संस्कृत रूप श्रुत और सुत्त का संस्कृत रूप सूत्र होता है। श्रुत के प्रसङ्ग में प्रायिक समानता के कारण सूत्र के पांच प्रकारों का निर्देश किया गया है। सूत्र ४१ २. (सूत्र ४१) अण्डज–अण्ड का अर्थ है-कोशी (खोल) का निर्माण करने वाला कीट। उससे उत्पन्न होने वाला सूत्र अण्डज कहलाता है । चूर्णिकार ने इसे हंसगर्भ कहा है । हंस का अर्थ है पतंगा, यह चतुरिन्द्रिय जीव विशेष होता है। उसके गर्भ से अथवा कोशिका से निकलने वाला सूत्र अण्डज होता है । देशी-भाषा में इसे चटकसूत्र भी कहा जाता है.' सूत्र ४२ ३. (सूत्र ४२) 'बोण्ड' देशी शब्द है । बोण्डज का अर्थ है-कपास का धागा अथवा कपास के धागे से बना हुआ सूत्र । ४. पट्टसूत्र (पट्टे) चूर्णिकार ने पट्ट आदि की व्याख्या इस प्रकार की है-वन-निकुञ्ज में किसी स्थान पर मांस के टुकड़े रख दिए जाते हैं । उनके आस-पास थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ऊपर-नीचे कीले गाड दिए जाते हैं। वन में घूमते हुए पतंग-कीड़े मांस की गन्ध पाकर वहां पहुंचते हैं । मांस खाने के लिए वे कीलों के बीच में इधर-उधर घूमते हैं। उस समय उनके मुख से लालास्राव होता है जो कीलों पर चिपक जाता है । उस लाला से निर्मित सूत्र पट्टसूत्र कहलाता है।' ५. मलय (मलए) मलयदेश में निर्मित सूत्र मलयसूत्र कहलाता है।' ६. अंशुक, चीनांशुक (अंसुए चीणंसुए) ___ भारत आदि देशों में होने वाला सूक्ष्म सूत्र अंशुक और चीन देश में बना हुआ सूक्ष्म सूत्र चीनांशुक कहलाता है।' १. (क) अचू पृ. १५ : अंडाज्जातं अंडजं, तं च हंसगम्भ, आमिसं चरंता इतो ततो कोलंतरेसु संचरंता लालं मुयंति, अंडमिति कोसिकारको हंसगभो भण्णति, हंसो पक्खी एस पट्टो। सो तं पतंगो तस्स गम्भो, एवं चडयसुत्तं हंसगम्भ ३. (क) अचू. पृ. १५ : मलयविसयुप्पण्णो मलयपट्टो भण्णति । भण्णति । (ख) अहावृ. पृ. २१ । (ख) अहावृ. पृ. २१ । (ग) अमव. प.३१। (ग) अमवृ.प. ३१ । ४. (क) अचू. पृ. १५: चीणविसयबहिमुप्पण्णो अंसुपट्टो २. अचू. पृ. १५ : तत्थ अरन्ने वणणिगुंजट्ठाणे मंसं चीडं वा चीणविसयुप्पण्णो चीणंसुयपट्टो। आमिसं पुंजेसु ठविज्जइ, तेसि पुजाण पासओ णिण्णुण्णता (ख) अहाव. पृ. २१॥ संतरा बहवे खीलया भूमीए उद्धा णिहोडिज्जति, तत्य (ग) अमवृ. प. ३१ वणंतरातो पदंगकीडा आगच्छंति, तं च मंसचीडाइयं Jain Education Intemational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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