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अणुओगदाराई
से तं भवियसरीरदन्वखंधे ॥
भविष्यति । स एष भव्यशरीरद्रव्यस्कन्धः।
दृष्टान्त यह है] यह मधुघट होगा, यह घृतघट होगा। वह भव्यशरीर द्रव्यस्कन्ध
६२. से कितं जाणगसरीर-भविय- अथ कि स ज्ञशरीर-भव्यशरीर- ६२. वह ज्ञशरीर भव्यशरीर व्यतिरिक्त द्रव्य
सरीर-वतिरित्ते दब्वखंधे? जाणग- व्यतिरिक्तः द्रव्यस्कन्धः ? ज्ञशरीर- स्कन्ध क्या है ? सरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्व- भव्यशरीर-व्यतिरिक्तः द्रव्य स्कन्धः ज्ञशरीर भव्य शरीर व्यतिरिक्त द्रव्यखंधे तिविहे पण्णते, तं जहा- त्रिविध: प्रज्ञप्तः, तद्यथा-सचित्तः स्कन्ध के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सचित्त, सचित्ते अचित्ते मीसए॥ अचित्त: मिश्रः ।
अचित्त और मिश्र ।
६३.से कि तं सचित्ते दब्वखंध? अथ कि स सचित्तः द्रव्यस्कन्धः? ६३. वह सचित द्रव्यस्कन्ध क्या है ? सचित्ते दब्वखंधे अणेगविहे पण्णत्ते, सचित्त: द्रव्यस्कन्धः अनेकविधः
सचित द्रव्यस्कन्ध के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त तं जहा--हयखंधे गयखंधे किन्नर- प्रज्ञप्तः, तद्यथा हयस्कन्धः गज- हैं, जैसे-अश्वस्कन्ध, गजस्कन्ध, किन्नरखंधे किंपरिसखंधे महोरगखंधे स्कन्धः किन्नरस्कन्धः किंपुरुषस्कन्धः स्कन्ध, किंपुरुषस्कन्ध, महोरगस्कन्ध और उसभखंधे । से तं सचित्ते दब्वखंधे। महोरगस्कन्धः ऋषभस्कन्धः । स एष वृषभस्कन्ध । वह सचित्त द्रव्यस्कन्ध है।
सचित्तः द्रव्यस्कन्धः ।
६४. से कि त आचत्त दवखध । अथ किस अचित्तः द्रव्यस्कन्धः ? ६४. वह अचित्त द्रव्यस्कन्ध क्या है ?
अचित्ते दव्वखंधे अणेगविहे पण्णत्ते, अचित्तः द्रव्यस्कन्धः अनेकविध: अचित्त द्रव्यस्कन्ध के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त तं जहा-दुपएसिए खंध तिपएसिए प्रज्ञप्तः, तद्यथा-द्विप्रदेशिक: स्कन्ध: हैं, जैसे-द्विप्रदेशिक स्कन्ध, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, खंधे जाव दसपएसिए खंधे संखेज्ज- त्रिप्रदेशिक: स्कन्धः यावद् दशप्रदे- यावत् दसप्रदेशिक स्कन्ध, संख्येयप्रदेशिक पएसिए खंधे असंखेज्जपएसिए खंधे शिक: स्कन्ध: संख्येयप्रदेशिक: स्कन्ध: स्कन्ध, असंख्येयप्रदेशिक स्कन्ध और अनन्तअणंतपएसिए खंधे। से तं अचित्ते असंख्येयप्रदेशिक: स्कन्धः अनन्तप्रदे- प्रदेशिक स्कन्ध । वह अचित्त द्रव्यस्कन्ध है। दव्वखंधे॥
शिक: स्कन्धः । स एष अचित्त: द्रव्यस्कन्धः।
६५. से कितं मीसए दव्वखंध? मीसए अथ किं स मिश्रः द्रव्यस्कन्धः? ६५. वह मिश्र द्रव्यस्कन्ध क्या है ?
दव्वखंधे अणेगविहे पण्णत्ते, तं मिश्रः द्रव्यस्कन्धः अनेकविध: प्रज्ञप्तः, मिश्र द्रव्यस्कन्ध के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त जहा-सेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए तद्यथा-सेनायाः अग्रिमस्कन्धः हैं, जैसे-सेना का अग्रिम स्कन्ध, सेना का मज्झिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे। सेनायाः मध्यमस्कन्धः सेनायाः मध्यम स्कन्ध और सेना का अन्तिम से तं मीसए दव्वखंधे ॥
पश्चिमस्कन्धः । स एष मिश्रः द्रव्य- स्कन्ध । वह मिश्र द्रव्यस्कन्ध है। स्कन्धः ।
६६. अहवा जाणगसरीर-भवियसरीर- अथवा ज्ञशरीरभव्यशरीर- ६६. अथवा ज्ञशरीर भव्यशरीर व्यतिरिक्त द्रव्य
वतिरित्ते दव्वखंधे तिविहे पण्णत्ते, व्यतिरिक्तः द्रव्यस्कन्धः त्रिविध: स्कन्ध के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे - पूर्णतं जहा-कसिणखंधे अकसिणखंधे प्रज्ञप्तः, तद्यथा--कृत्स्नस्कन्धः स्कन्ध, अपूर्णस्कन्ध और अनेकद्रव्यस्कन्ध । अणेगदवियखंधे॥
अकृत्स्नस्कन्धः अनेकद्रव्यस्कन्धः ।
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६७. से किं तं कसिणखंधे ? कसिणखंधे अथ कि स कृत्स्नस्कन्धः ? ६७. वह पूर्णस्कन्ध क्या है ? --स चव हयखध गयखध किन्नर- कृत्स्नस्कन्धः स चैव हयस्कन्धः
पूर्णस्कन्ध - वही अश्वस्कन्ध, गजस्कन्ध, खंधे किपुरिसखंधे महोरगखंधे गजस्कन्धः किन्नरस्कन्धः महोरग
किन्नरस्कन्ध, किंपुरुषस्कन्ध, महोरगस्कन्ध उसभखंधे । से तं कसिणखंधे ॥ स्कन्धः ऋषभस्कन्धः । स एष कृत्स्न
और वृषभस्कन्ध । वह पूर्ण स्कन्ध है।
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