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अणुओगदाराई जनता को समता धर्म में दीक्षित करने के लिए भगवान् ने सामायिक धर्म का प्रवचन किया। ९. लक्षण--सामायिक का लक्षण क्या है ? सम्यक्त्व सामायिक का लक्षण-तत्त्वश्रद्धा। श्रुत सामायिक का लक्षण-जीव आदि का परिज्ञान । चारित्र सामायिक का लक्षण-सावद्य योग विरति । १०. नय-विभिन्न नयों के अनुसार सामायिक क्या है ?
नैगमनय के अनुसार सामायिक अध्ययन के लिए उद्दिष्ट शिष्य यदि वर्तमान में सामायिक का अध्ययन नहीं कर रहा है तब भी वह सामायिक है।
संग्रहनय और व्यवहारनय के अनुसार सामायिक अध्ययन को पढ़ने के लिए गुरु के चरणों में आसीन शिष्य सामायिक है। ऋजुसूत्रनय के अनुसार अनुपयोगपूर्वक सामायिक अध्ययन को पढ़ने वाला शिष्य सामायिक है। तीनों शब्द नयों के अनुसार सामायिक में उपयुक्त शिष्य सामायिक है।' ११. समवतार-किस सामायिक का समवतार किस करण में होता है ?
द्रव्याथिक नय की अपेक्षा से गुणप्रतिपन्न जीव सामायिक है अत: उसका समवतार द्रव्यकरण में होता है। पर्यायाथिक नय की दृष्टि से सम्यक्त्व, श्रुत, देशविरति और सर्वविरति जीव के गुण हैं, अतः उनका समवतरण भावकरण में होता है । भावकरण के दो भेद हैं श्रुतकरण और नोश्रुतकरण।
श्रुत सामायिक का समवतार मुख्यतः श्रुतकरण में होता है। शेष तीनों सामायिकों-सम्यक्त्व सामायिक, देशविरति सामायिक और सर्वविरति सामायिक का समवतार नोश्रुतकरण में होता है।
१२. अनुमत -किस नय को कौनसा सामायिक अनुमत है ?
ज्ञाननय को सम्यक्त्व सामायिक और श्रुत सामायिक अनुमत है। ज्ञानात्मक होने के कारण वे मुख्यतः मुक्ति के कारण हैं । क्रियानय को देशविरति सामायिक और सर्वविरति सामायिक अनुमत है। क्रियारूप होने के कारण ये ही मुक्ति के कारण हैं । सम्यक्त्व सामायिक और श्रुत सामायिक इनके उपकारी मात्र होने से गौण हैं।'
१३. किम् - सामायिक क्या है ? द्रव्याथिक नय की दृष्टि से गुणप्रतिपन्न जीव सामायिक है।' १४. कतिविध-सामायिक के कितने प्रकार हैं ? सामायिक के तीन प्रकार हैं -१. सम्यक्त्व सामायिक २. श्रुत सामायिक ३. चारित्र सामायिक । १५. कस्य-सामायिक किसके होता है ? जिसकी आत्मा समानीत होता है उसके सामायिक होता है । [द्रष्टव्य सू०७०८ पूर्ववर्ती दो श्लोक] १६. क्व-सामायिक कहां होता है ?
सम्यक्त्व सामायिक और श्रुत सामायिक की प्राप्ति तीनों लोकखण्डों-ऊर्ध्व, अधः और तिर्यग्लोक में होती है। देशविरति सामायिक की प्राप्ति केवल तिर्यग्लोक में होती है। सर्वविरति सामायिक की प्राप्ति तिर्यग्लोक के एक भाग मनुष्य लोक में होती है।
१७. केषु-सामायिक किन द्रव्यों में होता है ?
नैगमनय के अनुसार सामायिक केवल मनोज्ञ द्रव्यों में ही संभव है। क्योंकि वे मनोज्ञ परिणाम के कारण बनते हैं। शेष नयों के अनुसार सब द्रव्यों में सामायिक संभव है।'
१८. कथम् सामायिक की प्राप्ति कैसे होती है ?
श्रुत सामायिक की प्राप्ति मतिज्ञानावरण, श्रुतज्ञानावरण तथा दर्शनमोह के क्षयोपशम से होती है। सम्यक्त्व सामायिक की प्राप्ति दर्शन सप्तक के क्षयोपशम, उपशम और क्षय से होती है। देशविरति सामायिक की प्राप्ति अप्रत्याख्यानावरण के क्षय, क्षयोपशम व उपशम से होती है। सर्वविरति सामायिक की प्राप्ति प्रत्याख्या नावरण के क्षय, क्षयोपशम व उपशम से होती है। १. विभा. ३३९१ से ३३९४ ।
५. वही, २६९५। २. वही, ३३६१,६२।
६. वही, ३३८५,३३८६ । ३. वही, ३५९२ की वृत्ति ।
७. वही, ३४१७ । ४. वही, २६४३।
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