SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 407
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७० अणुओगदाराई ६८५. से कितं अचित्ता ? अचित्ता- अथ किं सा अचित्ता? अचित्ता ६८५. वह अचित्त कुप्रावनिक द्रव्य क्षपणा क्या सुवण्ण-रयय-मणि-मोत्तिय-संख- -सुवर्ण-रजत-मणि-मौक्तिक-शंखसिल-पवाल-रत्तरयणाणं संत- शिला-प्रवाल-रक्तरत्नानां सत्-सार- ___ अचित्त कुप्रावचनिक द्रव्य क्षपणा-सुवर्ण, सार-सावएज्जस्स झवणा। से तं स्वापतेयस्य क्षपणा। सा एषा रजत, मणि, मोती, शंख, शिला, प्रवाल, अचित्ता। अचित्ता। रक्तरत्न तथा श्रेष्ठ, सुगन्धित द्रव्य एवं स्वापतेय (दान भोग आदि के लिए स्वाधीनता पूर्वक व्यय किए जाने वाले धन) को क्षीण करना। वह अचित्त कुप्रावनिक द्रव्य क्षपणा है। अप ६८६. से कितं मोसया? मोसया- अथ कि सा मिश्रका ? मिश्रका ६८६. वह मिश्र कुप्रावनिक द्रव्य क्षपणा क्या है ? दासाणं दासीणं आसाणं हत्थीणं - दासानां दासीनाम् अश्वानां । मिश्र कुप्रावनिक द्रव्य क्षपणा-आभरण समाभरियाउज्जालंकियाणं झवणा। हस्तिनां समामृतातोद्यालङ्कृताना और आतोद्य [पटह, झल्लरी आदि] से से तं मीसया। से तं कुप्पावय- क्षपणा। सा एषा मिश्रका । सा अलंकृत दास-दासी, अश्व-हाथी आदि को णिया ।। एषा कुप्रावचनिका। क्षीण करना। वह मिश्र कुप्रावनिक द्रव्य क्षपणा है। वह कुप्रावनिक द्रव्य क्षपणा है। है? ६८७. से कि तं लोगुत्तरिया ? लोगुत्त- अथ कि सा लोकोत्तरिका? ६८७. वह लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा क्या है ? रिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- लोकोतरिका त्रिविधा प्रज्ञप्ता, लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा के तीन प्रकार सचित्ता अचित्ता मोसया ॥ तद्यथा-सचित्ता अचित्ता मिश्रका । प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सचित्त, अचित्त और मिश्र । ६८८. से कि तं सचित्ता? सचित्ता- अथ कि सा सचित्ता? सचित्ता ६८८. वह सचित्त लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा क्या सीसाणं सिस्सिणीणं झवणा । से -शिष्याणां शिष्याणां क्षपणा। सा तं सचित्ता॥ एषा सचित्ता। सचित्त लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा-शिष्य और शिष्याओं को क्षीण करना । वह सचित्त लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा है। ६८९. से कि तं अचित्ता? अचित्ता- अथ कि सा अचित्ता? अचित्ता ६८९. वह अचित्त लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा क्या पडिग्गहाणं वत्थाणं कंबलाण पाय- --प्रतिग्रहाणां वस्त्राणां कम्बलानां पुंछणाणं झवणा। से त अचित्ता॥ पादप्रोञ्छनानां क्षपणा। सा एषा अचित्त लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा–पात्र, वस्त्र, अचित्ता। कम्बल और पादप्रोञ्छन को क्षीण करना। वह अचित्त लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा है। ६६०. से किं तं मीसया? मीसया- अथ कि सा मिश्रका ? सीसाणं सिस्सिणियाण सभंडमत्तो- मिश्रका -शिष्याणां शिष्याणां वगरणाणं झवणा । से तं मीसया। सभाण्डामत्रोपकरणानां क्षपणा । से तं लोगुत्तरिया। से तं जाणग- सा एषा मिश्रका । सा एषा लोकोसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ता वन्व- तरिका। सा एषा शरीर-भव्यझवणा। से त नोआगमओ शरीर-व्यतिरिक्ता द्रव्यक्षपणा। सा दव्वझवणा।से तं दव्वज्झवणा॥ एषा नोआगमतो द्रव्यक्षपणा। सा एषा द्रव्यक्षपणा। ६९०. वह मिश्र लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा क्या है ? मिश्र लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा-भाण्ड, पात्र, उपकरण सहित शिष्यों और शिष्याओं को क्षीण करना। वह मिश्र लोकोतरिक द्रव्य क्षपणा है। वह लोकोत्तरिक द्रव्य क्षपणा है। वह ज्ञशरीर भव्यशरीर व्यतिरिक्त द्रव्य क्षपणा है। वह नोआगमत: द्रव्य क्षपणा है। वह द्रव्य क्षपणा है। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy