________________
तेरहवां प्रकरण सूत्र ६७५-६०४
तं जहा - लोइया कुप्पावयणिया कुप्रावचनिका लोकोत्तरिका । लोगुतरिया ॥
६७६. से कि तं लोइया ? लोइया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा सचित्ता अचित्ता मीसया |
६८०. से किं तं सचित्ता ? सचित्ता तिविहा पण्णत्ता, तं जहा -दुपयाणं चप्पाणं अपवाणं दुषयाणं दासाणं दासीणं, चउप्पयाणं आसाणं हरवीणं, अपवानं अंबानं अंबाडगाणं भवणा । से तं सचिता ॥
६८१. से कि तं अचित्ता ? अचित्तासुवण्ण रयय-मणि- मोत्तिय संखसिलवाल रतरवणार्ण सार-सावएज्जस्स झवणा । अचिता ॥
संतसे तं
६८२. से कि तं मोसवा ? मोसयादासाणं दासीणं आसाणं हत्थीणं समाभरिया उज्जाल कियाणं भवणा । से तं मीसया । से तं लोइया ॥
६८३. से कि तं कुप्पावयणिया ? कुप्पावयणिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा -- सचित्ता अचित्ता मोसया || ६८४. से कि तं सविता ? सविता तिबिहा पण्णत्ता, तं जहा दुपधानं चउपयानं अपयाणं दुपयानं दासाणं दासीणं, चप्पयानंआसाणं हत्यीणं, अपयाणं अंबानं अंबाडगाणं भवणा । से तं सचिता ॥
Jain Education International
अथ कि सा लौकिकी ? लौकिकी त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा सचित्ता अचित्ता मिश्रका |
अथ कि सा सचित्ता ? सचित्ता त्रिविधा प्रज्ञप्ता तद्यथा - द्विपदानां चतुष्पदानाम् अपदानाम् । द्विपदानाम वासानां दासीनाम्, चतुष्पदानाम् अश्वानां हस्तिनाम अपदानाम् आम्राणाम् आम्रातकानाम् क्षपणा । सा एषा सचित्ता ।
अथ कि सा अचित्ता ? अचित्तासुवर्ण रजत-मणि-मौलिक-शशिला प्रवाल- रक्तरत्नानां सत्-सारस्वः पतेयस्य क्षपणा । सा एषा अचित्ता ।
अथ कि सा मिश्रका ? मिश्रका दासानां दासीनाम् दासीनाम् अश्वानां हस्तिनां समामृतातोाकृतानां क्षपणा । सा एषा मिश्रका सा एवा लौकिकी ।
1
अथ कि सा कुप्रावचनिका ? कुप्रावचनिका त्रिविधा प्रज्ञप्ता,
तद्यथा - सचित्ता अचित्ता मिश्रका
1
अथ कि सा सचित्ता ? सचित्ता शिविधा प्रज्ञप्ता तद्यथा द्विपदानां चतुष्पदानाम् अपदानाम् । द्विपदा नाम् दासानां दासीनाम् चतुष्पदानाम् अश्वानां हस्तिनाम्, अपदानाम् - आम्राणाम् आम्रातकानां क्षपणा । सा एषा सचित्ता ।
For Private & Personal Use Only
३६६
लौकिक, कुप्रावयनिक और सोकोरिक
६७९. वह लौकिक द्रव्य क्षपणा क्या है ?
लौकिक द्रव्य क्षपणा के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- सचित्त, अचित्त और मिश्र ।
६८०. वह सचित्त लौकिक द्रव्य क्षपणा क्या है ?
सचित्त लौकिक द्रव्य क्षपणा के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे द्विपद, चतुष्पद और अपद । द्विपद- दास, दासी को क्षीण करना चतुष्पद - अश्व, हाथी को क्षीण करना । अपद -आम और आम्रातक ( आमेड़ा) को क्षीण करना । वह सचित्त लौकिक द्रव्य क्षपणा है ।
६८१. वह अचित्त लौकिक द्रव्य क्षपणा क्या है ?
अचित्त लौकिक द्रव्य क्षपणा - सुवर्ण, रजत, मणि, मोती, शंख, शिला, प्रवाल, रक्तरत्न तथा श्रेष्ठ, सुगन्धित द्रव्य एवं स्वापतेय (दान भोग आदि के लिए स्वाधीनता पूर्वक व्यय किये जाने वाले धन ) को क्षीण करना । वह अचित्त लौकिक द्रव्य क्षपणा है ।
६८२. वह मिश्र लौकिक द्रव्य क्षपणा क्या है ?
मिश्र लौकिक द्रव्य क्षपणा आभरण और आलोय (पटह, भल्लरी आदि] से अलंकृत दास-दासी, अश्व हाथी आदि को क्षीण करना । वह मिश्र लौकिक द्रव्य क्षपणा है। वह लौकिक द्रव्य क्षपणा है ।
६८३. वह कुप्रावचनिक द्रव्य क्षपणा क्या है ?
कुप्रावचनिक द्रव्य क्षपणा के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- सचित्त, अचित्त और मिश्र ।
६८४. वह सचित्त कुप्रावचनिक द्रव्य क्षपणा क्या है ? सचित्त कुप्रावचनिक द्रव्य क्षपणा के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- द्विपद, चतुष्पद और अपद । द्विपद-दास दासी को क्षीण करना । चतुष्पद - अश्व, हाथी को क्षीण करना । अपद-आम, आम्रातक [ आमेड़ा ] को क्षीण करना। वह सचित्त कुप्रावचनिक द्रव्य क्षपणा है ।
www.jainelibrary.org