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________________ २३६ अणुओगदाराई स्वर--गंभीरता आदि गुणों से युक्त वह ध्वनि जो सब लोगों द्वारा आदेय होती है। स्वर युक्त व्यक्तियों की आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। सत्त्व-दीनता रहित मानसिक दृढ़ता । सार-शुभ पुद्गलों के उपचय से निष्पन्न शारीरिक शक्ति । कौटिलीय अर्थशास्त्र में मान के प्रकारों का विश्लेषण इस प्रकार है१० धान्य माष १ सुवर्ण माष ५ गुजा १ सुवर्ण माष १६ सुवर्ण माष १ सुवर्ण या कर्ष ४ कर्ष १ पल २० तुला १भार १६ द्रोण १ खारी २० द्रोण १ कुम्भ ८ परमाण रथ-चक्रोत्थापित चक्षुग्राह एक रजकण ८ रजकण १ लिक्षा ८ लिक्षा १ यूका ८ यूको १ यवमध्य ८ यवमध्य १ अंगुल ४ अंगुल १धनुर्ग्रह ८ अंगुल १ धनुर्मुष्टि १२ अंगुल १ वितस्ति-१ छाया पुरुष । प्राचीनकाल में प्रसिद्ध चरकोक्तमान और शार्ङ्गधरोक्त मान के साथ वर्तमान मान की तुलनात्मक तालिका इस प्रकार हैचरकोक्तमान वर्तमान मान १ बल्ल ६ रत्ती १ माषक १० रत्ती ३ माषक १ शाण ३० रत्ती-३।। माषा । ४ माषक १ निष्क ५ माषा २ शाण १ द्रंक्षण ६॥ माषा-१०० आना २ द्रंक्षण १ कर्ष १५ माषा-११ तोला ४ कर्ष १ पल ५ तोला-१ छटांक ४ पल १ कुडव ४ छटांक-१ पाव ४ कूडव १ प्रस्थ ८० तोला--१ सेर ४ प्रस्थ १ आढक ४ सेर ४ आढक १ द्रोण १६ सेर २ द्रोण १ सूर्प ३२ सेर २ सूर्प १ भार ६४ सेर ३२ सूर्प १ वाह १०२४ सेर १०० पल १ तुला ६। सेर शार्ङ्गधरोक्त मान (मागध मान) वर्तमान मान ८ सर्षप-१ यव है रत्ती (३ ग्रेन) ४ यव १ रत्ती (२ ग्रेन) १ माषक ६ रत्ती १. कौअ. ११२-११५ । २. शासं १०। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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