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अणुओगदाराई स्वर--गंभीरता आदि गुणों से युक्त वह ध्वनि जो सब लोगों द्वारा आदेय होती है। स्वर युक्त व्यक्तियों की आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
सत्त्व-दीनता रहित मानसिक दृढ़ता । सार-शुभ पुद्गलों के उपचय से निष्पन्न शारीरिक शक्ति । कौटिलीय अर्थशास्त्र में मान के प्रकारों का विश्लेषण इस प्रकार है१० धान्य माष
१ सुवर्ण माष ५ गुजा
१ सुवर्ण माष १६ सुवर्ण माष
१ सुवर्ण या कर्ष ४ कर्ष
१ पल २० तुला
१भार १६ द्रोण
१ खारी २० द्रोण
१ कुम्भ ८ परमाण
रथ-चक्रोत्थापित चक्षुग्राह एक रजकण ८ रजकण
१ लिक्षा ८ लिक्षा
१ यूका ८ यूको
१ यवमध्य ८ यवमध्य
१ अंगुल ४ अंगुल
१धनुर्ग्रह ८ अंगुल
१ धनुर्मुष्टि १२ अंगुल
१ वितस्ति-१ छाया पुरुष । प्राचीनकाल में प्रसिद्ध चरकोक्तमान और शार्ङ्गधरोक्त मान के साथ वर्तमान मान की तुलनात्मक तालिका इस प्रकार हैचरकोक्तमान
वर्तमान मान १ बल्ल
६ रत्ती १ माषक
१० रत्ती ३ माषक १ शाण
३० रत्ती-३।। माषा । ४ माषक १ निष्क
५ माषा २ शाण १ द्रंक्षण
६॥ माषा-१०० आना २ द्रंक्षण १ कर्ष
१५ माषा-११ तोला ४ कर्ष १ पल
५ तोला-१ छटांक ४ पल १ कुडव
४ छटांक-१ पाव ४ कूडव १ प्रस्थ
८० तोला--१ सेर ४ प्रस्थ १ आढक
४ सेर ४ आढक १ द्रोण
१६ सेर २ द्रोण १ सूर्प
३२ सेर २ सूर्प १ भार
६४ सेर ३२ सूर्प १ वाह
१०२४ सेर १०० पल १ तुला
६। सेर शार्ङ्गधरोक्त मान (मागध मान)
वर्तमान मान ८ सर्षप-१ यव
है रत्ती (३ ग्रेन) ४ यव
१ रत्ती (२ ग्रेन) १ माषक
६ रत्ती १. कौअ. ११२-११५ ।
२. शासं १०।
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