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प्र०९, सू० ३८०-३६०, टि०५-७
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पदतल से शीर्ष पर्यन्त प्रामाणिक नापपाष्णि-एड़ी से अंगुली तक लम्बाई
१४ अंगुल पदतल के अग्रभाग की चौड़ाई
६ अंगुल पैर के अंगूठे की लम्बाई
२ ॥ तर्जनी अंगुली
२ , मध्यमा अंगुली से अंगूठे की लम्बाई
१/१६ भाग कम अनामिका मध्यमा से
१/२ भाग कम कनिष्ठिका अनामिका से
१/६ भाग कम पैरों के टखनों से लेकर घुटनों तक (जंघा) की लम्बाई १८ अंगुल घुटनों से ऊपरी भाग की लम्बाई कटिभाग की लम्बाई नाभि से नाभि तक कटिभाग की परिधि पुरुष के कटिभाग की अर्द्ध परिधि स्त्री के कटिभाग की अर्द्ध परिधि लिङ्ग-स्थान से नाभि तक की लम्बाई नाभि से हृदय तक की लम्बाई हृदय से ग्रीवा तक की लम्बाई पृष्ठ भाग में अस्थिपुच्छ से ग्रीवा तक की लंबाई पुरुष के वक्षःस्थल की अर्द्ध परिधि स्त्री के वक्षःस्थल की अर्ध परिधि मणिबन्ध से मध्यमा अंगुली तक की लम्बाई मणिबन्ध से कोहनी पर्यन्त हाथ की लम्बाई कन्धे से कोहनी पर्यन्त भुजा की लम्बाई गर्दन की लम्बाई गर्दन की परिधि ठुड्डी से ललाट की लम्बाई नेत्र, मुख, नासिका, कान, ललाट और ग्रीवा की लम्बाई ४४
उन्मान का नाप व्यक्ति के अपने पर्वाङगुल से किया जाता है । मध्यमा अंगुली का मध्य पर्व या अङ्गुष्ठ का मध्य पर्व अंगुल प्रमाण का मापक माना जाता है। अंगुल का परिमाण
८ यव-१ अंगुल-1 इंच।
२४ अंगुल=१ हाथ–१८ इंच उपर्युक्त अंगुल प्रमाण से एक सौ आठ अंगुल [६ फिट, नौ इंच] की ऊंचाई वाला व्यक्ति उत्तम पुरुष, ९६ अंगुल [६ फिट] की ऊंचाई वाला व्यक्ति मध्यम पुरुष और ८४ अंगुल [५ फिट ३ इंच] की ऊंचाई वाला व्यक्ति अधम पुरुष माना गया है।
___ वर्तमान में आत्मांगुल से १०० अंगुल की ऊंचाई [६ फिट ३ इंच] श्रेष्ठ, ९२ अंगुल [५ फिट ९ इंच] मध्यम और ८४ अंगुल [५ फिट ३ इंच] निम्न मानी गयी है। शब्द विमर्श
द्रोणिक पुरुष—पानी से भरी हुयी बड़ी कुण्डिका को द्रोणी कहते हैं। उस कुण्डिका में एक व्यक्ति के प्रवेश करने पर द्रोण जितना पानी बाहर निकल जाए अथवा उतनी खाली द्रोण में प्रवेश करने पर वह भर जाए उसे द्रोणि क पुरुष कहते हैं।
__अर्द्धभार एक सौ पांच [१०५] पलों की तुला होती है और दस तुला का अर्द्धभार । अथवा ५२३ सेर का एक अर्द्धभार होता है।
लक्षण-शरीर पर शंख, स्वस्तिक आदि चिन्ह । व्यंजन-शरीर पर तिल, मष आदि चिन्ह ।
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