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________________ सूत्र ११३-२१७ - १. अर्थपदप्ररूपण अनौपनिधिकी नैगम और व्यवहार नय से विचार द्रष्यानुपूर्वी ____ क्षेत्रानूपूर्वी |१. तीन प्रदेशी आनुपूर्वी से क्रमशः अनन्त प्रदेशी पुद्गलों की १. तीन आकाश प्रदेशों में अयगाढ द्रष्य स्कन्ध आनुपूर्वी से आनुपूर्वी क्रमशः असंख्य प्रदेशों में अयगाठ आनुपूर्षी २. परमाणु पुदगल की अमानुपूर्षी २. एक प्रवेशायगाढ अमानुपूर्षी ३. वो प्रवेशी अवक्तव्य ३. दो प्रदेशायगाठ अवक्तव्य ४. अनेक आनुपूर्षिया ५. अनेक अनानुपूर्षियां ६. अनेक अवक्तव्य ४. अनेक आनुपूर्षियां ५. अनेक अनानुपूर्थियो ६. अनेक अषक्तय छयीस प्रकार छबीस प्रकार उपरोक्त छब्बीस प्रकारों का उदाहरण से दिग्दर्शन। उपरोक्त एबीस प्रकारों का उदाहरण से दिग्दर्शन। आनुपूर्वी का आनुपूर्वी में, अनानुपूर्वी का अनानुपूर्षी में आनुपूर्षी का आनुपूर्षी मैं, अनानुपूर्षी का अनानुपूर्थी में और और अवक्तव्य का समावेश अवक्तव्य में होता है। अवक्तय का समावेश अपक्तय्य में होता है। नौ; सत्पदप्ररूपण से-- -- अल्पबहुत्य तक। नौ; सत्पथप्ररूपण से----अल्प बहुत्य तक। आनुपूर्वी अनानुपूर्वी अवक्तव्य आनुपूर्वी आनानुपूर्वी | अवक्तवा भंगसमुत्कीर्तन भंगोपदर्शन समवतार | ५. अनुगम अनन्त १ सत्पदप्ररूपण २. दय्य प्रमाण अनन्त अनन्त असंख्य असंख्य असंख्य ३. क्षेत्र (लोक के कितने भाग में ?) (क) एक द्रव्य की संख्यातये, असंख्यातयें, अनेक संख्यातवें, असंख्यात असंख्याता संख्यातयें,असंख्यातवें. अनेक संख्यातयेंअसंख्यातवें | असंख्यातवें अपेक्षा अनेक असंख्यातवें, सर्वलोक में अनेक असंख्यातयें, कुछ न्यून लोक में (ख) अनेक द्रव्य सर्व लोक में सर्वलोक में सर्वलोक में सर्वलोक में सर्वलोक में सर्वलोक में की अपेक्षा ४. स्पर्शना (लोक के कितने भाग का स्पर्श ?) (क) एक द्रष्य की संख्यातयें, असंख्यातवें, अनेक संख्यात, असंख्यातये । असंख्यातवें संख्यातयें,असंख्यातवें, अनेक संख्यात. असंख्यातये | असंख्यातये अपेक्षा अनेक असंख्यातयें. सर्यलोक का स्पर्श । अनेक असंख्यातये, कुछ न्यून लोक में (ख) अनेक द्रष्य सर्व लोक का स्पर्श सर्य लोक का | सर्व लोक का | सर्व लोक का सर्यलोक का | सर्वलोक का की अपेक्षा ५. काल (क) एक द्रव्य की जधन्य-एक समय ज.एक समय |ज. एक समय | जघन्य-एक समय ज.एक समय ज. एक समय अपेक्षा उत्कृष्ट-असंख्य काल उ. असंख्य काल| उ. असंख्यकाल उत्कृष्ट-असंख्य काल उ.असंख्य | उ.असंख्य काल (ख) अनेक द्रव्य सर्वकाल सर्वकाल सर्वकाल सर्वकाल सर्वकाल | सर्वकाल की अपेक्षा. ६. अन्तर (क) एक द्रव्य की जघन्य-एक समय ज.एक समय ज.एक समय जघन्य-एक समय ज, एक समय अपेक्षा उत्कृष्ट-अनन्त काल उ.असंख्यकाल | उ. अनन्त काल | उत्कृष्ट-असंख्य काल उ.असंख्य उ. असंख्य काल काल (ख) अनेक द्रव्य अन्तर नहीं अन्तर नहीं अन्तर नहीं अन्तर नहीं अन्तर नहीं अन्तर नहीं की अपेक्षा ७. भाग अनेक असंख्य भागों में असंख्यातवें असंख्यातवें अनेक असंख्य भागों में असंख्यातवें असंख्यातवें भाग मे भाग मे भाग में भाग में ८. भाव सादि पारिणामिक सादि सादि | सादि पारिणामिक सादि सादि पारिणामिक पारिणामिक पारिणामिक पारिणामिक काल ज.एक समय ६. अल्प बहुत्व (क) द्रव्य की अपेक्षा असंख्यगुणा अधिक (ख) प्रदेश की अनन्तगुणा अधिक की अपेक्षा विशेषाधिक सब से कम | सबसे कम । विशेषाधिक असंख्यात गुणा अधिक असंख्यात गुणा अधिक विशेषाधिक | सब से कम सब से कम | विशेषाधिक Jain Education Intemational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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