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टिप्पण
सूत्र ३६९ १. (सूत्र ३६६)
जो मान अथवा माप का साधन है उसका नाम है प्रमाण ।' प्रमाण मीमांसा अथवा तर्कशास्त्र में प्रमाण का सम्बन्ध केवल ज्ञान से होता है। प्रस्तुत प्रकरण में प्रमाण शब्द का व्यापक प्रयोग किया गया है। प्रमेय के चार प्रकार हैं-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव । इस चतुर्विध प्रमेय के आधार पर प्रमाण के भी चार विभाग किए गए हैंप्रमेय
प्रमाण द्रव्य
द्रव्य क्षेत्र
क्षेत्र काल
काल भाव
भाव
सूत्र ३७०-३७२ २. (सूत्र ३७०-३७२)
द्रव्य प्रमाण के दो प्रकार हैं-१. प्रदेशनिष्पन्न २. विभागनिष्पन्न । प्रदेशनिष्पन्न प्रमाण अपने प्रदेशों (अवयवों) से निष्पन्न होता है। इसमें मेय और मापक पृथक्-पृथक् नहीं होते । वस्तुगत प्रदेश (अवयव) ही उसके मापक बनते हैं जैसे परमाणु, द्विप्रदेशी स्कन्ध यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध ।'
जिसमें मेय और मापक पृथक्-पृथक् होते हैं उसका नाम है विभागनिष्पन्न । जैसे-१ किलो गेहं, १ क्विटल बाजरा आदि ।
विभागनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण के पांच प्रकार हैं१. मान-जिससे लम्बाई और चौड़ाई का माप किया जाए। २. उन्मान—जिससे वजन तोला जाए। ३. अवमान-जिससे लम्बाई, चौड़ाई और गहराई का माप किया जाए। ४. गण्य–जिससे गणना की जाए। ५. प्रतिमान—जिससे मूल्यवान् वस्तुएं तोली जाएं।
सूत्र ३७३-३७७ ३. (सूत्र ३७३-३७७)
मान दो प्रकार का होता है-धान्यमान प्रमाण और रसमान प्रमाण । असृति, प्रसृति, सेतिका, कुडव, प्रस्थक आदि धान्यमान प्रमाण है। इनसे धान्य का माप किया जाता है। द्रव पदार्थों का प्रमाण जानने के लिए चतुःषष्टिका, द्वात्रिशिका आदि का उपयोग होता रहा है । इसे रसमान प्रमाण कहा गया है।
१. अहाव. पृ. ७५ : प्रमीयत इति प्रमितिर्वा प्रमीयते वा अनेनेति प्रमाणं चतुर्विधं प्रज्ञप्तं इत्यादि, प्रमेयभेदात् द्रव्यादयोऽपि प्रमाणम् ।
२. वही, प्रदेशनिष्पन्न परमाण्वाद्यनंतप्रदेशिकांतं, स्वात्मनिष्पन्नत्वादस्य तथा चाण्यादिमानमिति"विविधो भागः विभागः- विकल्पस्ततोनिवृत्तमित्यर्थः ।
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