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अणुओगदाराई
परिहाओ, पागार-अढालय-चरिय- प्रासाद-गृह-शरण-लयन-आपण शृङ्गादार-गोपुर-पासाय-घर-सरण-लेण- टक-त्रिक-चतुष्क-चत्वर-चतुमुख-महाआवण-सिंघाडग-तिग-च उक्क- पथ-पथ-शकट-रथ-यान-युग्य-'गिल्लिचच्चर-चउम्मुह-महापह-पह-सगड- थिल्लि'-शिबिका-स्यन्दमानिका: लौहीरह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि- लोहकटाह-'कडुच्छ्य'-आसन-शयनसीय-संदमाणियाओ लोही-लोहक- स्तम्भ-भाण्डाऽमात्रोपकरणादीनि, डाह-कडुच्छुय-आसण-सयण-खंभ- अद्यकालिकानि च योजनानि मीयन्ते। भंडमत्तोवगरणमाईणि, अज्जकालियाई च जोयणाई मविज्जंति ॥
प्रासाद, घर, शरण, लयन, आपण, शृङ्गाटक, त्रिक, चतुष्क, चत्वर, चतुर्मुख, महापथ, पथ, शकट, रथ, यान, युग्य,, गिल्लि, थिल्लि, शिविका, स्यन्दमानिका, लौही, लोहकटाह, करछी, आसन, शयन, स्तम्भ, भाण्ड, अमत्र आदि उपकरण और आजकल के तत्कालीन] योजन नापे जाते हैं।'
३६३. से समासओ तिविहे पण्णत्ते, स: समासत: त्रिविधः प्रज्ञप्तः, ३९३ वह संक्षेप में तीन प्रकार का है, जैसे- सूची
तं जहा-सूईअंगुले पयरंगुले घणं- तद्यथा--सूच्यंगुलः प्रतरांगुलः घना- अंगुल, प्रतरअंगुल, और घनअंगुल । गुले । अंगुलायया एगपएसिया सेढी गुलः। अंगलायता एकप्रादेशिकी ___एक अंगुल लम्बी एक प्रदेश वाली श्रेणी सूईअंगुले। सूई सूईए गुणिया श्रेणिः सूच्यंगुलः। सूचिः सूच्या गणिता सूचीअंगुल है। सूचीअंगुल से गुणित सूचीपपरंगुले। पयरं सूईए गुणितं प्रतरांगुलः । प्रतरः सूच्या गुणित: अंगुल प्रतर अंगुल है। सूचीअंगुल से गुणित घणंगुले ॥ घनांगुलः ।
प्रतरअंगुल धनअंगुल है। ३६४. एएसि णं भंते ! सूई अंगुल- एतेषां भदन्त ! सूच्यंगुल- ३९४. भन्ते ! वह सूचीअंगुल, प्रतरअंगुल और
पयरंगुल-घणंगुलाणं कयरे कयरे- - प्रतरांगुल-धनांगुलानां कतरः कतरेभ्यः घनअंगुल में कौन किससे अल्प, अधिक, तुल्य हितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा अल्पं वा बहु वा तुल्यं वा विशेषाधिकं अथवा विशेषाधिक है ? विसेसाहिए वा? सब्वत्थोवे सूई- वा? सर्वस्तोक: सूच्यंगुलः, प्रतरांगुल: सूचीअंगुल सबसे छोटा है, प्रतरअंगुल उससे अंगुले, पयरंगुले असंखेज्जगुणे, असंख्येयगुणः, घनांगुलः असंख्येयगुणः। असंख्येय गुना है और घनअंगुल उससे घणंगुले असंखेज्जगुणे। से तं स एष आत्मांगुलः।।
असंख्येय गुना है । वह आत्मांगुल है।' आयंगुले ॥ ३६५. से कि तं उस्सेहंगले ? उस्से- अथ कि स उत्सेधांगला ? उत्से- ३९५. वह उत्सेधांगुल क्या है ? हंगुले अणेगविहे पण्णत्ते, तं धांगुल: अनेकविधः प्रज्ञप्तः,
उत्सेधांगुल [की कारण सामग्री के अनेक जहातद्यथा
प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसेगाहा--
गाथा
गाथा-- परमाणू तसरेणू, परमाणुः त्रसरेणुः,
परमाणु, त्रसरेणु, रथरेण, बालाग्र, लिक्षा, रहरेण अग्गयं च वालस्स। रथरेणु: अग्रकं च बालस्य।
यूका और यव। ये क्रमशः आठ-आठ गुण लिक्खा जूया य जवो, लिक्षा यूका च यवः,
अधिक हैं।" अट्ठगुणविवड्डिया कमसो॥१। अष्टगुणविधिता क्रमशः ॥१॥ ३६६. से कि तं परमाणु ? परमाणु अथ किं स परमाणुः ? परमाणुः ३९६. वह परमाणु क्या है ?
दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुहमे य द्विविध: प्रज्ञप्त:, तद्यथा-सूक्ष्मश्च परमाणु के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे ---- वावहारिए य ।। व्यावहारिकश्च ।
सूक्ष्म और व्यावहारिक ।
३६७. तत्थ सुहमो ठप्पो ।
तत्र सूक्ष्म: स्थाप्यः ।
३९७. इनमें जो सूक्ष्म है वह स्थापनीय है ।
३६८. से कि तं वावहारिए ? वाव- अथ किं स व्यावहारिकः? ३९८. वह व्यावहारिक परमाणु क्या है ?
हारिए-अणंताणं सुहमपरमाण- व्यावहारिक: - अनन्तानां सूक्ष्म- व्यावहारिक परमाणु-अनन्त सूक्ष्म परपोग्गलाणं समूदय-समिति-समाग- परमाणुपद्गलानां समुदय-समिति- माणुपुद्गलों के समुदय, समिति और समागम
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