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आठवां प्रकरण : सूत्र ३२४-३३४
३३०. से किं तं सचित्ते ? सचित्तेगोहिं गोमिए महिसीहि माहिलिए, करणीहि करणिए, उट्टीहिं उट्टिए । से तं सचित्ते ॥
३३१. से कि तं अतेि ? अचितेछत्ते छत्ती, दंडेण दंडी, पण पडी, घडेण घडी, कडेण कडी । से तं अविसे ॥
३३२. से किं तं मीसए ? मीसएहलेणं हालिए, सगडेणं सागडिए, रहेणं रहिए, नावाए नाविए । से तं मीसए । से तं दव्वसंजोगे ||
३३३. से कि तं खेत्तसंजोगे ? खेलसंजोगे- नारहे एरचए हेमबए हेरण्णवए हरिवासए रम्मगवासए देवकुरुए उत्तरकुरुए पुव्वविदेहए अवरविदेहए, अहवा मागहए मालवए सोरट्ठए मरहट्टए कोंकणए कोसलए । से तं खेत्तसंजोगे ॥
३३४. से कि तं कालसंजोगे ? कालसंजोगे सुसम सुसमए सुसमए सुसम दूसमए दूसम - सुसमए दूसमए इसम दूसमए, अहवा पाउस वासारत्तए सरदए हेमंतए वसंत गिम्हए। से तं कालसंजोगे ||
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अथ किं स सचित्तः ? सचित्तःगोभिः गोमिक, महिषीभि: माहिविक, 'करणीहि औरणिका, उष्ट्र औष्ट्रिक: । स एष सचित्तः ।
अथ कि स अचित्तः ? अचित्तः -छत्रेण छत्री, दण्डेन दण्डी, पटेन पटी, घटेन घटी, कटेन कटी । स एष सचित्तः ।
अथ किं स मिश्र ? मिश्रःहलेन हालिकः, शकटेन शाकटिकः, रथेन रथिकः, नावा नाविकः । स एष मिश्रः । स एष द्रव्यसंयोगः ।
अथ किं स क्षेत्रसंयोग: ? क्षेत्रसंयोग: भारत: ऐरवत: हैमवतः हैरण्यवतः हरिवर्षजः रम्यग्वर्षजः देवकुरुजः उत्तरकुरुजः पूर्वविदेहजः अपरविदेहज, अथवा मागधक: मालवकः सौराष्ट्रक: महाराष्ट्रकः कोंकणक : कौशलक: । स एष क्षेत्रसंयोगः ।
अथ कि स कालसंयोगः ? कालसंयोग: सुषम-सुमनः सुषमज: सुषम दुःषमजः दुःषम- सुषमजः दुःषमजः दुःषम-दुःषमज, अथवा प्रावृषिजः वर्षारत्रजः शरज्जः हेमन्तजः वसन्तज: ग्रीष्मजः । स एष कालसंयोगः ।
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३३०. वह सचित्त के संयोग से होने वाला नाम क्या है ?
सचित्त के संयोग से होने वाला नाम गौ का स्वामी गोगिक, महिय का स्वामी माहि षिक, ऊरण का स्वामी औणिक और उष्ट्र का स्वामी अष्ट्रिक (उष्ट्रपाल) कहलाता है। वह सचित्त के संयोग से होने वाला नाम है ।
४३१. वह अचित्त के संयोग से होने वाला नाम क्या है ?
अचित्त के सयोग से होने वाला नामछत्र के संयोग से छत्री, दण्ड के संयोग से दण्डी, पट के संयोग से पटी, घट के संयोग से घटी और कट के संयोग से कटी कहलाता है । वह अचित्त के संयोग से होने वाला नाम है ।
३३२. वह मिश्र के संयोग से होने वाला नाम क्या है ?
मिश्र के संयोग से होने वाला नामहल के संयोग से हालिक, शकट के संयोग से शाकटिक, रथ के संयोग से रथिक और नाव के संयोग से नाविक कहलाता है। वह मिश्र के संयोग से होने वाला नाम है ।" वह द्रव्य के संयोग से होने वाला नाम है ।
३३३ वह क्षेत्र के संयोग से होने वाला नाम क्या हैं?
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क्षेत्र के संयोग से होने वाला नाम भारत, ऐरक्त हैमवत हैरण्यवत हरिवर्षज, रम्पवर्षज, देवकुरुज, उत्तरकुरुज, पूर्वविदेहज और अरविदेज |
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अथवा मागधक, मालवक, सौराष्ट्रक, महाराष्ट्रक, कोंकणक और कौशलक । वह क्षेत्र के संयोग से होने वाला नाम है ।"
३३४. वह काल के संयोग से होने वाला नाम क्या है ?
काल के संयोग से होने वाला नाम सुषम- सुषमज, सुषमज, सुषम-दुषमज, दुषमसुषमज, दुषमज और दुषम-दुषमज ।
अथवा – प्रावृड्ज, वर्षारात्रज, शरद्ज, हेमन्तज, वसन्तज और ग्रीष्मज । वह काल के संयोग से होने वाला नाम है।
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