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अणुओगदाराई
३२४. से कि तं पाहण्णयाए ? अथ किं तत् प्राधान्येन ?
पाहण्णयाए.--असोगवणे सत्तव- प्राधान्येन अशोकवनं सप्तपर्णवनं ण्णवणे चंपगवणे चयवणे नागवणे चम्पकवनं चूतवनं नागवनं पुन्नागपुन्नागवणे उच्छवणे दक्खवणे वनम् इक्षुवनं द्राक्षावनं शालवनम् । सालवणे । से तं पाहण्णयाए॥ तदेतत् प्राधान्येन ।
३२४. वह प्रधानता से होने वाला नाम क्या है ?
प्रधानता से होने वाला नाम-अशोक वन, सप्तपर्ण वन, चम्पक वन, आम्र वन, नाग वन, पुन्नाग वन, इक्षु वन, द्राक्षा वन
और शाल वन । वह प्रधानता से होने वाला नाम है ।'
३२५. वह अनादि सिद्धांत से होने वाला नाम क्या
३२५. से कि तं अणाइसिद्धतेणं? अथ किं तद् अनादिसिद्धान्तेन ?
अणाइसिद्धतेणं-धम्मत्थिकाए अनादिसिद्धान्तेन - धर्मास्तिकाव: अधम्मत्थिकाए आगासस्थिकाए अधर्मास्तिकायः आकाशास्तिकायः जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए जीवास्तिकाय: पुद्गलास्तिकायः अद्धासमए। से तं अणाइ- अध्वासमयः । तदेतव अनादिसिद्धतेणं ॥
सिद्धान्तेन ।
अनादि सिद्धांत से होने वाला नाम-धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशा स्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय और अध्वासमय । वह अनादि सिद्धांत से होने वाला नाम
३२६. से कि तं नामेणं? नामेणं- अथ किं तद् नाम्ना? नाम्ना-
पिउपियामहस्स नामेणं उन्ना- पितपितामहस्य नाम्ना उन्नामितः। मियए। से तं नामेणं ॥
तदेतद् नाम्ना।
३२६. वह नाम से होने वाला नाम क्या है ?
नाम से होने वाला नाम-पिता और पितामह के नाम से प्रसिद्ध होने वाला नाम । वह नाम से हाने वाला नाम है।'
३२७.से कितं अवयवेणं?
अवयवेणंगाहासिंगो सिही विसाणी, दाढी पक्खी खुरी नही वाली। दुपय चउप्पय बहुपय, नंगूली केसरी ककुही ॥१॥ परियरबंधेण भडं, जाणेज्जा महिलियं निवसणेणं । सित्थेण दोणपाय, कवि च एगाए गाहाए ॥२॥ -से तं अवयवेणं ॥
अथ किं तद् अवयवेन? अवयवेन
गाथाशृङ्गी शिखी विषाणी, दंष्ट्री पक्षी क्षुरी नखी वाली। द्विपदं चतुष्पदं बहुपदं, लाङ्गली केशरी कुकम् ॥१॥ परिकरबन्धेन भट, जानीयात् महिलिकां निवसनेन । सिक्थेन द्रोणपाकं, कवि च एकया गाथया ॥२॥ -तदेतद् अवयवेन ॥
३२७. वह अवयव से होने वाला नाम क्या है ?
अवयव से होने वाला नामगाथाशृगी, शिखी, विषाणी, दंष्ट्री, पक्षी, क्षुरी, नखी,वाली, द्विपद, चतुष्पद, बहुपद, लागूली, केसरी और ककुद्मान ।
परिकर बन्ध [कवच आदि] से सैनिक, घघरी से महिला, एक धान्य कण से द्रौणपाक और एक गाथा से कवि जान लिया जाता है। वह अवयव से होने वाला नाम है।'
३२८.से कि तं संजोगेणं? संजोगे अथ कि तत् संयोगेन ? संयोगः ३२८. वह संयोग से होने वाला नाम क्या है ?
चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-- चतुर्विधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-द्रव्य- संयोग से होने वाले नाम के चार प्रकार दव्वसंजोगे खेत्तसंजोगे कालसंजोगे संयोगः क्षेत्रसंयोगः कालसंयोगः प्रज्ञप्त हैं, जैसे-द्रव्य संयोग, क्षेत्र संयोग, भावसंजोगे ॥ भावसंयोगः।
काल संयोग और भाव संयोग ।
३२६. से कि तं दव्वसंजोगे ? दव
संजोगे तिविहे पण्णत्ते, तं जहासचित्ते अचित्ते मीसए॥
अथ कि स द्रव्यसंयोग: ? द्रव्य- ३२९. वह द्रव्य के संयोग से होने वाला नाम क्या संयोगः त्रिविध: प्रज्ञप्तः, तद्यथा- है ? सचित्तः अचित्तः मिश्रः।
द्रव्य संयोग के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सचित्त, अचित्त और मिश्र ।
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