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स्त्रीलिंगवाची शब्दों के अन्त में ओकार को छोड़कर आ ई और ऊ ये तीन प्रत्यय होते
सातवां प्रकरण : सूत्र २६१-२६८
ते चेव इत्थियाए, हवंति ओकारपरिहोणा ॥२॥ अंतिय इंतिय उंतिय, अंता उ नपंसग्गस्स बोद्धव्वा । एएसि तिण्हंपि य, वोच्छामि निर्दसणे एत्तो ॥३॥ आकारंतो राया, ईकारंतो गिरी य सिहरी य । ऊकारंतो विण्हू, दुमो ओअंतो उ पुरिसाणं ॥४॥ आकारंता माला, ईकारंता सिरी य लच्छी य । ऊकारंता जंबू, बहू य अंता उ इत्थीणं ॥५॥ अंकारंतं धन्न, इंकारंतं नपुंसगं अच्छि। उंकारंतं पोलं, महुं च अंता नपुंसाणं ॥६॥ -से तं तिनामे ॥
३. नपुंसकलिंगवाची शब्दों के अन्त में अं, इं और उं ये तीन प्रत्यय होते हैं। ___ इसके बाद इन तीनों के उदाहरण बताऊंगा।
४. पुल्लिगवाची शब्दों में, जैसे-रायाआकारान्त, गिरी और सिहरी ईकारान्त, विण्हू-ऊकारान्त और दुमो-ओकारान्त
ते चैव स्त्रिया:,
भवन्ति ओकारपरिहीनाः ॥२॥ अं इति च इं इति च उं इति च,
अन्तास्तु नपुंसकस्य बोद्धव्याः । एतेषां त्रयाणाम् अपि च
वक्ष्यामि निदर्शनम् इतः ॥३॥ आकारान्तः राजा,
ईकारान्तः गिरिः च शिखरी च । ऊकारान्तः विष्णुः,
द्रुमः ओअन्तः तु पुरुषाणाम् ॥४॥ आकारान्ता माला,
ईकारान्ता श्री: च लक्ष्मी च । ऊकारान्ता जम्बू,
वधूः च अन्तास्तु स्त्रीणाम् ॥५॥ अंकारन्तं धान्यं,
इंकारान्तं नपुंसकम् अक्षि । उंकारन्तं पील,
मधु च अन्ता नपुंसानाम् ॥६॥ तदेतत् त्रिनाम।
५. स्त्रीलिंगवाची शब्दों में, जैसे-माला -आकारान्त, सिरी और लच्छी-ईकारान्त तथा जंबू और बहू-ऊकारान्त हैं।
६. नपुंसकलिंगवाची शब्दों में, जैसेधन्नं-अंकारान्त, अच्छि-इंकारान्त तथा पीलु और महुं-उंकारान्त हैं। वह त्रिनाम
चउनाम-पदं
चर्तुनाम-पदम् २६५. से कि चउनामे ? चउनामे अथ कि तत् चतुर्नाम ? चतुर्नाम
चउविहे पण्णत्ते, तं जहा- चतुर्विधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-आगमेन आगमेणं लोवेणं पयईए विगा- लोपेन प्रकृत्या विकारेण । रेणं॥
चतुर्नाम-पद २६५. वह चतुर्नाम क्या है ?
चतुर्नाम के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसेआगम से होने वाला नाम, लोप से होने वाला नाम, प्रकृति से होने वाला नाम और विकार से होने वाला नाम ।
२६६. से कि त आगमेणं? आगमेणं- अथ कि तद् आगमेनी आगमेन- २६६. वह आगम से होने वाला नाम क्या है ?
पद्मानि पयांसि कुडानि। से तं पद्मानि पयांसि कुण्डानि । तदेतद् आगम से होने वाला नाम-पद्मानि, आगमणं ॥ आगमेन ।
पयांसि, कुण्डानि। [यहां पद्म, पयस् और कुण्ड शब्दों को 'नुम्' का आगम हुआ है।] वह आगम से होने वाला नाम है।
२६७. से कि तं लोवेणं ? लोवेणं-ते
अत्र तेत्र, पटो अत्र-पटोत्र, घटो अत्र घटोत्र, रथो अत्र= रथोत्र । से तं लोवेणं॥
अथ कि तद् लोपेन ? लोपेन-ते अत्र-तेत्र, पटो अत्र-पटोत्र, घटो अत्र घटोत्र, रथो अत्र = रथोत्र । तदेतद् लोपेन ।
२६७. बह लोप से होने वाला नाम क्या है?
लोप से होने वाला नाम-ते- अत्रतेऽत्र, पटो+अत्रपटोऽत्र, घटो+अत्र घटोऽत्र, रथो+अत्ररथोत्र । [यहां अकार का लोप हुआ है।] वह लोप से होने वाला नाम है।
२६८.से कि तं पयईए ? पयईए- अथ कि तत् प्रकृत्या? प्रकृत्या-
अग्नी एतौ, पट इमो, शाले एते, अग्नी एतो, पटू इमो, शाले एते,
२६८. वह प्रकृति से होने वाला नाम क्या है ?
प्रकृति से होने वाला नाम-अग्नी एतौ,
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