SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६२ २६१. से कि तं फकासनाने ? फासनामे अट्ठविहे पण्णत्ते, तं जहा कक्खडफासनामे मयफासनामे गरुयफासनामे लहफासनाने सीतफासनामे उसिणफासनामे निजफास नामे सुखासनामे से से फास नामे ॥ २६२. से कि तं संठाणनामे ? संठाणनामे पंचविहे पण, तं जहापरिमंडल संठाणनामे वट्टसंठाणनामे तंस संठाणनामे चउरंस संठाणनामे आयतसंठाणनामे । से तं संठाणनामे । से तं गुणनामे ॥ २६३. से किं तं पज्जवनामे ? पज्जवनामे अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहाएगगुणकालए दुगुणकालए तिगुणकालए जाव दसगुणकालए संखेज्जगुगकालए असंखेज्जगुणकालए अनंतगुणकालए। एवं नीललोहिय- हालिद्द-सुविकला भाणियव्वा । एगगुणसुभगंधे दुगुणसुभगंधे तिगुणसुगंधे जाव अनंतगुणसुविभगंधे। एवं दुभिगंधो वि भागियो एग । गुणतिले जाव अनंतगुणतिले एवं क-काय अंबिल महरा वि माणिवया। एगगुणकक्सडे जाव अनंतगुणकवलडे । एवं मउय गरय लहुय - सीत- उसिणनिद्ध- - लुक्खा वि भाणियव्या से तं जवना । I २६४. गाहा तं पुण नामं तिविहं, इत्थी पुरिसं नपुंसगं चैव । एएसि तिषि प अंतरिम परूवणं यच्छं ।। १ ।। तत्थ पुरिसस्स अन्ता, आ ई ऊ ओ हवंति चत्तारि । Jain Education International अथ कि तद् स्पर्शनाम ? स्पर्शनाम अष्टविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा कक्खटस्पर्शनाम मृदुकस्पर्शनाम लघुकस्पर्शनाम शीतस्पर्शनाम उष्णस्पर्शनाम स्निग्धस्पर्शनामस्पर्स नाम | तदेतत् स्पर्शनाम । अथ किं तत् संस्थाननाम ? संस्थान नाम पञ्चविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथापरिमंडलसंस्थाननाम वृत्तसंस्थाननाम व्यस्त्रसंस्थाननाम चतुरस्त्रसंस्थाननाम आयतसंस्थाननाम । तदेतत् संस्थाननाम | तदेतद् गुणनाम | अय कि तत् पर्यवनाम ? पर्यवनाम अनेकविधं प्रज्ञप्तं तद्यथा-एकगुणकालकः द्विगुणकालकः त्रिगुणकालकः यावद्दशगुणकालकः संवेयगुण कालकः असंध्येवगुणकालक अनन्त गुणकालकः । एवं नीललोहित विहार शुक्ला अपि भवितव्याः । एकगुणसुरभिगंध: द्विगुणमुरभिगंध: त्रिगुणसुरभिगंधः यावद् अनन्तगुणसुरभिगंध एवं दुरभिगंध अपि भणितव्यः एकगुणतिक्तः धाव । यावद् अनन्तगुगतिक्तः एवं कटुक-रुपायअम्ल - मधुराः अपि भणितव्या: । एकreneur ureद् अनंतगुणक स्वट एवं मृदु-गुरु-लघु-शीत। उष्ण-स्निग्ध- रुक्षाः अपि भणितव्याः । तदेतत् पर्यवनाम । गाथा--- तद् नाम पुनः त्रिविधं, स्त्री पुरुषं नपुंसकं । एषां त्रयाणाम् अपि च अन्ते प्ररूपणां वक्ष्ये ॥१॥ तत्र पुरुषस्य अन्ताः, आ ई ऊ ओ भवन्ति चत्वारः । For Private & Personal Use Only अणुओगदारा २६१. वह स्पर्श नाम क्या है ? स्पर्श नाम के आठ प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे - कर्कश स्पर्श नाम, मृदु स्पर्श नाम, गुरु स्पर्श नाम, लघु स्पर्श नाम, शीत स्पर्श नाम, ऊष्ण स्पर्श नाम, स्निग्ध स्पर्श नाम और रूक्ष स्पर्श नाम । वह स्पर्श नाम है । २६२. वह संस्थान नाम क्या है ? संस्थान नाम के पांच प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- परिमंडल संस्थान नाम, वृत्त संस्थान नाम, त्यस्र [ त्रिकोण] संस्थान नाम, चतुरस्र [ चतुष्कोण] संस्थान नाम और आयत संस्थान नाम। वह संस्थान नाम है। वह गुण नाम है । २६३. वह पर्याय नाम क्या है ? पर्याय नाम के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- एक गुण काला, दो गुण काला, तीन गुण काला, यावत् दस गुण काला, संख्येय गुण काला, असंख्येय गुण काला और अनन्त गुण काला । इसी प्रकार नील, रक्त, पीत और शुक्ल भी प्रतिपादनीय हैं । एक गुण सुरभि गन्ध, दो गुण सुरभि गन्ध, तीन गुण सुरभि गन्ध यावत् अनन्त गुण सुरभि गन्ध । इसी प्रकार दुर्गन्ध भी प्रतिपादनीय है । एक गुण तिक्त यावत् अनन्त गुण तिक्त । इसी प्रकार कटुक, कषाय, अम्ल और मधुर भी प्रतिपादनीय हैं। एक गुण कर्कश यावत् अनन्त गुण कर्कश । इसी प्रकार मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष भी प्रतिपादनीय हैं। वह नाम है। २६४. गाथा १. प्रकारान्तर से पर्याय नाम के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- स्त्री, पुरुष और नपुंसक। इन तीनों के अन्त में होने वाले प्रत्ययों की प्ररूपणा करूंगा । २. पुल्लिनवाची शब्दों के अन्त में आई ऊ और ओ ये चार प्रत्यय होते हैं। www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy