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________________ अणुओगदाराई १५६ २५२. से कि तं जीवनामे ? जीवनामे अथ किं तद् जीवनाम ? जीव- अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा- नाम अनेकविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-- देवदत्तो जण्णदत्तो विण्हुदत्तो देवदत्तः यज्ञदत्तः विष्णुवत्तः सोम सोमदत्तो। से तं जीवनामे ॥ दत्तः । तदेतद् जीवनाम । २५३. से कि तं अजीवनामे ? अजीव- अथ किं तद् अजीवनाम ? नामे अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा- अजीवनाम अनेकविध प्रज्ञप्तं, तद्यथा घडो पडो कडो रहो। से तं -घटः पट: कट: रथः । तदेतद् अजीवनामे ॥ अजीवनाम । २५२. वह जीव नाम क्या है ? जीव नाम के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-देवदत्त, यज्ञदत्त, विष्णुदत्त, सोमदत्त । वह जीव नाम है। २५३. वह अजीव नाम क्या है ? अजीव नाम के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-घट, पट, कट, रथ । वह अजीव नाम २५४. अहवा दुनामे दुविहे पष्णते, अथवा द्विनाम द्विविधं प्रज्ञप्तं, २५४. अथवा द्विनाम के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे तं जहा-विसेसिए य अविसेसिए तद्यथा-विशेषितञ्च अविशेषि- -विशेषित नाम और अविशेषित नाम । य। तञ्च । १. अविसेसिए दवे, विससिए १. अविशेषितं द्रव्यं, विशेषितं १. द्रव्य अविशेषित नाम है। जीव द्रव्य, जीवदवे य अजीवदव्वे य । जीवद्रव्यञ्च अजीवद्रव्यञ्च । अजीव द्रव्य विशेषित नाम है। २. अविसेसिए जीवदवे, विसेसिए २. अविशेषितं जीवद्रव्यं, विशेषितं २. जीव द्रव्य अविशेषित नाम है। नैरयिक नेरइए तिरिक्खजोणिए मणुस्से नरयिक: तिर्यगयोनिक: मनुष्यः जीव द्रव्य, तिर्यक्योनिक जीव द्रव्य, देवे। देवः। मनुष्य जीव द्रव्य, देव जीव द्रव्य विशेषित नाम है। ३. अविसेसिए नेरइए, विससिए ३. अविशेषितं नैरयिकः, विशेषितं ३. नैरयिक अविशेषित नाम है। रत्नप्रभा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए रत्नप्रभाकः शर्कराप्रभाकः का नैरयिक, शर्कराप्रभा का नैरयिक, वालुयप्पभाए पंकप्पभाए बालुकाप्रभाकः पङ्कप्रभाकः धूम- बालुकाप्रभा का नैरयिक, पंकप्रभा का धूमप्पभाए तमाए तमतमाए। प्रभाकः तमाक: तमस्तमाकः । नैरयिक, धूमप्रभा का नैरयिक, तमा का अविसेसिए रयणप्पभापुढविनेरइए, अविशेषितं रत्नप्रभापृथिवी- नैरयिक, तमस्तमा का नैरयिक ये विशेविसेसिए पज्जत्तए य अपज्जत्तए नरयिकः, विशेषितं पर्याप्तकश्च षित नाम हैं । रत्नप्रभा पृथ्वी का नैरयिक य। एवं जाव अविसेसिए तमत- अपर्याप्त कश्च । एवं यावद् अविशेषित नाम है। रत्नप्रभा का पर्याप्तक मापुढविनेरइए, विसेसिए पज्जत्तए अविशेषितं तमस्तमापृथिवी नैरयिक और अपर्याप्तक नैरयिक विशेषित य अपज्जत्तए य। नैरयिकः, विशेषितं पर्याप्तकश्च नाम है। इसी प्रकार तमस्तमा पृथ्वी अपर्याप्तकश्च । तक के नैरयिक अविशेषित नाम है। पर्याप्तक अपर्याप्तक विशेषित नाम है। ४. अविससिए तिरिक्खजोणिए, ४. अविशेषितं तिर्यग्योनिकः, ४. तिर्यक्योनिक अविशेषित नाम है। एकेविसेसिए एगिदिए बेईदिए विशेषितम् एकेन्द्रियः द्वीन्द्रियः न्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, तेइंदिए चउरिदिए पंचिदिए। त्रीन्द्रियः चतुरिन्द्रियः पञ्चे- पंचेन्द्रिय विशेषित नाम है। न्द्रियः। ५. अविसेसिए एगिदिए, विसेसिए ५. अविशेषितम् एकेन्द्रियः, विशे ५. एकेन्द्रिय अविशेषित नाम है। पृथ्वीपुढविकाइए आउकाइए षितं पृथिवीकायिक: अप्कायिक: कायिक, अपकायिक, तेजस्कायिक, वायुतेउकाइए वाउकाइए वणस्सइ- तेजस्कायिक: वायुकायिकः कायिक, वनस्पतिकायिक विशेषित नाम काइए। वनस्पतिकायिकः। ६. अविसेसिए पुढविकाइए, ६. अविशेषितं पृथिवीकायिकः, ६. पृथ्वीकायिक अविशेषित नाम है। सूक्ष्म विसेसिए सुहुमपुढविकाइए य विशेषितं सूक्ष्मपृथिवीकायिकश्च पृथ्वीकायिक, बादर पृथ्वीकायिक विशेबादरपुढविकाइए य। अविसे- बादरपृथिवीकायिकश्च । अवि- षित नाम है । सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अविसिए सुहमपुढविकाइए, विसे- शेषितं सूक्ष्मपृथिवीकायिकः, शेषित नाम है। पर्याप्तक सूक्ष्म पृथ्वी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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