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-- पुवाणुपुथ्वी पच्छाणुपुथ्वी arrat ||
२४३. से किं तं पुण्वाणुपुथ्वी ? पुव्वाणुपुथ्वी उदइ उवसमिए लड़ए खओवसमिए पारिणामिए सन्नि वाइए। सेतं पुण्यापुण्वी ॥
२४४. से कि तं पच्छापुथ्वी ? पच्छापृथ्वी सन्निवाइए जब उदइए से तं पुथ्वी ॥
२४५. से कि तं अणापुखी? अणाणुपुव्वी- एयाए चेव एगाइयाए एगुलरियाए छगच्छ्गयाए सेटीए अण्णमण्णभासो दुरूवूणो । से तं अणापुथ्वी से तं भावाणुपुथ्वी सेतं आणुपुथ्वी ॥
( आणुपुवीत्ति पदं समत्तं । )
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पूर्वानुपूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी ।
अब किस पूर्वानुपूर्वी पूर्वा पूर्वी अधिकः पशमिकः खार्थिकः क्षायोपशमिकः पारिणामिकः सान्नि पातिकः । सा एषा पूर्वानुपूर्वी ।
२४३. वह पूर्वानुपूर्वी नया है ? ?
अथ कि सा परचा ? पश्चानुपूर्वी सान्निपातिकः पावत् अधिक: सा एषा पश्चानुपूर्वी
अब कि सा अनानुपूर्वी मना ? अनानुपूर्वी - एतया चैव एकादिरुपा एकोसरिया पगन्धगतया लेण्या अन्योन्याभ्यासः द्विरूपोनः । सा एषा अनापूर्वी सा एवा भावानुपूर्वी सा एवा आनुपूर्वो
(आनुपूर्वी इति पदं समाप्तम् । )
अणुओगदाराई
- पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी ।
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पूर्वानुपूर्वीकदमिक पशमिक, आर्थिक, क्षायोपमिक, पारिणामिक और सान्नि पातिक ।" वह पूर्वानु है।
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२४४. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ?
पश्चानुपूर्वी वाल्लिपाति यावत् औद यिक । वह पश्चानुपूर्वी है । २४५. वह अनानुपूर्वी क्या है ?
अनानुपूर्वी एक से प्रारम्भ कर एक-एक की वृद्धि करें। इस प्रकार छह तक की संख्या का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणाकार करें। इससे जो भंगसंख्या प्राप्त हो, उसमें से दो (पूर्वानुपूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल देने से जो संख्या प्राप्त हो । वह अनानुपूर्वी है । वह भावानुपूर्वी है। वह आनुपूर्वी है।
( आनुपूर्वी पद समाप्त | )
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