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________________ छठा प्रकरण : सूत्र २३० - २४२ से तं पच्छा पुथ्वी ॥ २३७. से किं तं अणाणुपुथ्वी ? अणाणुपुथ्वी- एयाए चैव एमाइयाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णभासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुथ्वी । से तं संठाणाणुपुव्वी ॥ सामायारियाणवी पदं २३८. से कि तं सामावारियाणुपुथ्वी ? सामावारियाणवी तिविहा पण्णत्ता, तं जहा पुण्वाणुपुव्वी पच्छा पुवी अणाणुपुवी ॥ २३. से किं तं वाणपुथ्वी ? पुण्याणुपुव्वी माहा इच्छा मिच्छा तहक्कारो, आवस्सिया य निसोहिया । आमा पपुच्छा, छंदणाय निमंतणा ॥१॥ उवसंपया य काले, सामावारी भये वसविहा उ सेतं वाणी ॥ २४०. से किं तं पच्छाणुपुथ्वी ? पच्छाणुपुथ्वी- उवसंपया जाव इच्छा से तं पच्छा पुब्बी ॥ २४१. से किं तं अणाणुपुथ्वी ? अणाणुपुव्वी - एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए दसगच्छ्गयाए सेढीए अण्णमण्णभासो दुरूवणो । से तं अणाणुव्व । से तं सामायारियाणुपुच्ची ॥ भावाणुपुव्वी-पदं २४२. से कि तं भावाणुपुथ्वी ? भावापुच्चीतिविहा पण्णता, तं जहा Jain Education International स एवा पश्चानुपूर्वी अब कि सा अनानुपूर्वी ? अनानुपूर्वी एतया एकाकिया एकोतरिकया षड्गच्छगतया श्रेण्या अन्योन्याभ्यासः द्विरूपोनः । सा एषा अनानुपूर्वी । सा एषा संस्थानानुपूर्वी । सामाचार्यानुपूर्वी-पदम् अथ कसा सामाचार्यापूर्वी ? सामाचार्यानुपूर्वी त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा- पूर्वानुपूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी । गाथा इच्छा मिच्छा तथाकारः, आवश्यकी च निषोधिका । आप्रच्छना च प्रतिप्रच्छा, छंदना च निमन्त्रणा ॥१॥ उपसम्पदा च काले, सामाचारी भवेद् दशविधा तु । स एषा पूर्वानुपूर्वी । अथ किस पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानु- २३९. वह पूर्वानुपूर्वी क्या है ? पूर्वी अथ कि सा पश्चानुपूर्वी ? पश्चानुपूर्वी - उपसम्पदा यावद् इच्छा सा एषा पश्चानुपूर्वी । अथ कि सा अनानुपूर्वी ? अनानुपूर्वी - एतया चैव एकाविषया एकोत्तरिकया दशगच्छगतया श्रेण्या अन्योन्याभ्यासः द्विरूपोनः । सा एषा अनानुपूर्वी । सा एषा सामाचार्यानुपूर्वी । भावानुपूर्वी-पदम् अथ किं सा भावानुपूर्वी ? भावानुपूर्वी त्रिविधा प्रज्ञप्ता तथा तद्यथा For Private & Personal Use Only यह पश्चानुपूर्वी है। २३७. वह अनानुपूर्वी क्या है ? अनानुपूर्वी- एक से प्रारम्भ कर एक-एक की वृद्धि करें। इस प्रकार छह तक की संख्या का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणाकार करें। इससे जो भंग संख्या प्राप्त हो, उसमें से दो पूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल देने से जो संख्या प्राप्त हो। वह अनानुपूर्वी है वह संस्थान आनुपूर्वी है। सामाचारी आनुपूर्वी पद २३८. वह सामाचारी आनुपूर्वी क्या है ? सामाचारी आनुपूर्वी के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी । १४५ पूर्वानुपूर्वी इच्छाकार, मिथ्याकार, तथाकार, आवश्यकी, नैषेधिकी, आप्रच्छना, प्रतिप्रच्छना, छंदना, निमन्त्रणा और उपसंपदा । सामाचारी के ये दस प्रकार यथा समय समाचरणीय हैं। वह पूर्वानुपूर्वी है। २४०. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ? पश्चानुपूर्वी उपसंपदा यावत् इच्छाकार । वह पश्चानुपूर्वी है। २४१. अनापूर्वी क्या है ? अनानुपुर्वी - एक से प्रारम्भ कर एक-एक की वृद्धि करें। इस प्रकार दस तक की संख्या का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणाकार करें। इससे जो भंगसंख्या प्राप्त हो, उसमें से दो (पूर्वानुपूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल देने से जो संख्या प्राप्त हो। वह अनानुपूर्वी है । वह सामाचारी आनुपूर्वी है ।" भावानुपूर्वी पद २४२. वह भावानुपूर्वी क्या है ? भावानुपूर्वी के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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