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________________ १४४ सेढीए अण्णमण्णभासो दुरूवूणो । सेतं अणाणुपुव्वी । सेतं उक्कत्तgat | गणणा goat पदं २३०. से किं तं गणणाणुपुव्वी ? गणणाणुपुत्री तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुgoat अणाणवी || २३१. से किं तं पुव्वाणुपुथ्वी ? पुव्वाणुपुथ्वी- एगो दस सयं सहस्सं दस सहस्साइं सय सहस्सं दससयसहस्साई कोडी दसकोडीओ कोडिसयं दसकोडिसयाइं । से तं पुव्वाणुपुव्वी ॥ जाव २३२. से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? पच्छाणुपुव्वी - दसको डिसयाई एगो । से तं पच्छाणुपुवी ॥ २३३. से कि तं अणाणुपुव्वी ? अणाणुपुन्वी - एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए दसकोडिसयगच्छ गयाए सेढीए अण्णमण्णवभासो दुरूवणो । से तं अणाणुपुथ्वी । से तं गणणाणुपुवी ॥ ठाणाणुपुवी-पदं २३४. से किं तं संठाणाणुपुव्वी ? संठाणाणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - पुव्वाणुपुव्वी पच्छाणुपुवी अणावी ॥ २३५. से किं तं पुव्वाणुपुब्वी ? वाणुपुवी - समचउरंसे नग्गोहपरिमंडले साई खुज्जे वामणे हुंडे । तं वा ॥ २३६. से किं तं पच्छाणुपुथ्वी ? पच्छाणुपुथ्वी- हुंडे जाव समचउरंसे । Jain Education Intemational श्रेण्या अन्योन्याभ्यासः द्विरूपोनः । सा एषा अनानुपूर्वी । सा एषा उत्कीर्तनानुपूर्वी गणनानुपूर्वी-पदम् अथ किं सा गणनानुपूर्वी ? गणनानुपूर्वी त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-पूर्वानुपूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी । अथ कि सा पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानुपूर्वी - एकः दश शतं सहस्रं वशसहस्त्राणि शतसहस्रं दशशतसहस्राणि कोटि : दशकोटयः कोटिशतं दशकोटिशतानि । सा एषा पूर्वानुपूर्वी । अथ कि सा पश्चानुपूर्वी ? पश्चानुपूर्वी-वशकोटिशतानि यावद् एकः । सा एषा पश्चानुपूर्वी । अथ fक सा अनानुपूर्वी ? अनानुपूर्वी - एतया चैव एकाविकया एकोतरिकया दशकोटिशतगच्छ्रगतया श्रेण्या अन्योन्याभ्यासः द्विरूपोनः । सा एषा अनानुपूर्वी । सा एषा गणनानुपूर्वी । संस्थानानुपूर्वी-पदम् अथ किं सा संस्थानानुपूर्वी ? संस्थानानुपूर्वी त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा पूर्वानुपूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी । अथ कि सा पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानुपूर्वी समचतुरखं न्यग्रोधपरिमण्डलं सादि कुब्जं वामनं हुण्डम् । सा एषा पूर्वानुपूर्वी । अथ किस पश्चानुपूर्वी ? पश्चानुपूर्वी - हुण्डं यावत् समचतुरस्रम् । For Private & Personal Use Only अगद संख्या का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणाकार करें । इससे जो भंगसंख्या प्राप्त हो, उसमें से दो (पूर्वानुपूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल देने से जो संख्या प्राप्त हो। वह अनानुपूर्वी है। वह उत्कीर्तनानुपूर्वी है । गणना आनुपूर्वी पद २३०. वह गणना आनुपूर्वी क्या है ? गणना आनुपूर्वी के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी " २३१. वह पूर्वानुपूर्वी क्या है ? पूर्वानुपूर्वी एक, दस, सौ, हजार, दसहजार, लाख, दस लाख, करोड़, दस करोड़, सौ करोड़, दस सौ करोड़ । वह पूर्वानुपूर्वी है । २३२. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ? पश्चानुपूर्वी - दस सौ करोड़ यावत् एक । वह पश्चानुपूर्वी है । २३३. वह अनानुपूर्वी क्या है ? अनानुपूर्वी - एक से प्रारम्भ कर एक-एक की वृद्धि करें। इस प्रकार दस सौ करोड़ तक की संख्या का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणाकार करें। इससे जो भंगसंख्या प्राप्त हो, उसमें से दो (पूर्वानुपूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल देने से जो संख्या प्राप्त हो । वह अनानुपूर्वी है । वह गणना आनुपूर्वी है । संस्थान आनुपूर्वी पद २३४. वह संस्थान आनुपूर्वी क्या है ? संस्थान आनुपूर्वी के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी । २३५. वह पूर्वानुपूर्वी क्या है ? पूर्वानुपूर्वी - समचतुरस्र, न्यग्रोधपरिमण्डल, सादि, कुब्ज, वामन और हुण्ड । वह पूर्वानुपूर्वी है । २३६. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ? पश्चानुपूर्वी - हुण्ड यावत् समचतुरस्र । www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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