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छठा प्रकरण : सूत्र २१८-२२६
१४३ २२३. से कि तं पुव्वाणुपुवी ? पुवा- अथ किं सा पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानु- २२३. वह पूर्वानुपूर्वी क्या है ?
णुपुब्यो-एगसमयदिईए दुसमय- पूर्वी एकसमयस्थितिकः द्विसमय- पूर्वानुपूर्वी-एक समय की स्थिति वाले, दिईए तिसमयट्रिईए जाव दस- स्थितिकः त्रिसमयस्थितिक: यावद दो समय की स्थिति वाले, तीन समय की सभयदिईए संखेज्जसमयदिईए दशसमयस्थितिका संख्येयसमय- स्थिति वाले यावत् दस समय की स्थिति वाले, असंखेज्जसमयदिईए। से तं स्थितिकः असंख्येयसमयस्थितिकः। संख्येय समय की स्थिति वाले और असंख्येय पुव्वाणुपुधी॥ सा एषा पूर्वानुपूर्वी।
समय की स्थिति वाले पुद्गल । वह पूर्वानुपूर्वी
२२४. से कि तं पच्छाणपुव्वी? पच्छा- अथ कि सा पश्चानुपर्छ ? २२४. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ?
णुपुवी-असंखेज्जसमयदिईए पश्चानुपूर्वी असंख्येयसमयस्थितिकः । पश्चानुपूर्वी--असंख्येय समय की स्थिति जाव एगसमयट्टिईए। से तं यावद् एकसमयस्थितिकः। सा एषा यावत् एक समय की स्थिति वाले पुद्गल । पच्छाणुपुवी ॥ पश्चानुपूर्वी।
वह पश्चानुपूर्वी है। २२५. से कि तं अणाणुपुवी? अणा- अथ कि सा अनानुपूर्वी ? अनानु- २२५. वह अनानुपूर्वी क्या है ?
णुपुव्वो-एयाए चेव एगाइयाए पूर्वी-एतया चैव एकादिकया एकोत्त- अनानुपूर्वी ---एक से प्रारम्भ कर एक-एक एगुत्तरियाए असंखेज्जगच्छगयाए रिकया असंख्येयगच्छगतया श्रेण्या की वृद्धि करें । इस प्रकार असंख्य तक की संख्या सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवणो। अन्योन्याभ्यास: द्विरूपोन: । सा एषा का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणाकार से तं अणाणपुवी। से तं ओवणि- अनानुपूर्वी । सा एषा औपनिधिको करें। इससे जो भंगसंख्या प्राप्त हो, उसमें से हिया कालाणुपुवी। से तं काला- कालानुपूर्वी । सा एषा कालानुपूर्वी । दो (पूर्वानुपूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल णुपुवी॥
देने से जो संख्या प्राप्त हो । वह अनानुपूर्वी है । वह औपनिधिकी कालानुपूर्वी है। वह
कालानुपूर्वी है। उक्कित्तणाणुपुव्वी-पदं
उत्कीर्तनानुपूर्वी-पदम्
उत्कीर्तन आनुपूर्वी पद २२६. से कि तं उक्कित्तणाणपुवी? ____ अथ किं सा उत्कीर्तनानुपूर्वी ? २२६. वह उत्कीर्तन आनुपूर्वी क्या है ?
उक्कित्तणाणुपुत्री तिविहा उत्कीर्तनानुपूर्वी त्रिविधा प्रज्ञप्ता, उत्कीर्तन आनुपूर्वी के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, पण्णत्ता, तं जहा -पुवाणुपुत्वी तद्यथा-पूर्वानुपूर्वी पश्चानुपूर्वी जैसे --पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानु
पच्छाणुपुव्वी अणाणुपुव्वी॥ अनानुपूर्वी। २२७. से किं तं पुवाणुपुवी ? पुवा- अथ किं सा पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानु- २२७. वह पूर्वानुपूर्वी क्या है ?
णपुवी-उसमे अजिए संभवे पूर्वी-ऋषभः अजित: संभवः अभि- पूर्वानुपूर्वी-ऋषभ, अजित, संभव, अभिअभिणंदणे सुमतो पउमप्पभे चंद- नन्दनः सुमतिः पद्मप्रभः सुपार्श्व: नन्दन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, चन्द्रप्रभ, प्पहे सुविही सीनले सेज्जसे वासु- चंद्रप्रभः सुविधि: शीतलः श्रेयांसः सुविधि, शीतल, श्रेयांस, वासुपूज्य, विमल, पुज्जे विमले अणंते धम्मे संतो कंथ वासुपूज्य: विमलः अनन्तः धर्मः शांतिः अनन्त, धर्म, शान्ति, कुन्थु, अर, मल्लि, मुनिअरे मल्लो मुणिसुव्वए णमी कुन्थुः अरः मल्लि: मुनिसुव्रतः नमिः सुव्रत, नमि, अरिष्टनेमि, पार्श्व और वर्धअरिट्रणेमी पासे बद्धमाणे । से तं अरिष्टनेमिः पार्श्वः वर्धमानः । सा मान । वह पूर्वानुपूर्वी है। पुवाणुपुब्बी॥
एषा पूर्वानुपूर्वी। २२८. से कि तं पच्छाणुपुवी ? पच्छा- अथ कि सा पश्चानुपूर्वी ? पश्चा- २२८. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ?
णुपवी-वद्धमाणे जाव उसभे। नुपूर्वो-वर्धमान: यावत् ऋषभः । पश्चानुपूर्वी-वर्धमान यावत् ऋषभ । से तं पच्छाणुपुवी॥ सा एषा पश्चानुपूर्वी।
वह पश्चानुपूर्वी है। २२६. से कि तं अणाणपवी? अणा- अथ कि सा अनानुपूर्वी ? अना- २२९. वह अनानुपूर्वी क्या है ?
णपुव्वो-एयाए चेव एगाइयाए नुपूर्वी - एतया चैव एकादिकया अनानुपूर्वी-एक से प्रारम्भ कर एक-एक एगुत्तरियाए चउवीसगच्छगयाए एकोत्तरिकया चतुर्विशतिगच्छगतया की वृद्धि करें। इस प्रकार चौबीस तक की
पूर्वी।
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