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________________ १४२ अणओगदाराई ओवणिहिय-कालाणुपुवी-पदं औपनिधिको-कालानुपूर्वी-पदम् औपनिधिको कालानुपूर्वी पद। २१८. से कि तं ओवणिहिया कालाणु- अथ किं सा औपनिधिको काला. २१८. वह औपनिधिकी कालानुपूर्वी क्या है ? पुवी ? ओवणिहिया कालाणु- नुपूर्वी ? औपनिधिको कालानुपूर्वी औपनिधिकी कालानुपूर्वी के तीन प्रकार पुवी तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-पूर्वानु- प्रज्ञप्त हैं, जैसे-पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और पुवाणुपुवी पच्छाणुपुव्वी अणाणु- पूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी । अनानुपूर्वी। पुवी॥ २१९. से कि तं पुवाणुपुवी ? पुवा- अथ कि सा पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानु- २१९. बह पूर्वानुपूर्वी क्या है ? णुपुवी-समए आवलिया आणा- पूर्वी-समयः आवलिका आनापानः ___पूर्वानुपूर्वी-समय, आवलिका, आन पाण थोवे लवे महत्ते अहोरत्ते स्तोकः लव: मुहूर्तः अहोरात्रं पक्षः [उच्छ्वास] अपान (निःश्वास) स्तोक, लव, पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे मासः ऋतुः अयनं संवत्सरः युगं वर्ष- मुहूर्त, अहोरात्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन, जगे वाससए वाससहस्से वाससय- शतं वर्षसहस्रं वर्षशतसहस्रं पूर्वाङ्ग संवत्सर, युग, सौ वर्ष, हजार वर्ष, लाख वर्ष, सहस्से पव्वंगे पव्वे, तुडियंगे तुडिए, पूर्व, त्रुटिताङ्गं त्रुटितं, अटटाङ्गम् पूर्वाङ्ग, पूर्व, त्रुटिताङ्ग, श्रुटित, अटटाङ्ग, अडडंगे अडडे, अववंगे अववे, अटटम्, अववाङ्गम् अववं, हुहकाङ्ग अटट, अववाङ्ग, अवव, हुहुकांग, हुहुक, हहयंगे हुहुए, उप्पलंगे उप्पले, हुहुकम्, उत्पलाङ्गम् उत्पलं, पद्माङ्ग उत्पलाङ्ग, उत्पल, पद्माङ्ग, पद्म, नलिनाङ्ग, पउमंगे पउमे, नलिणंगे नलिणे, पद्म, नलिनाङ्ग नलिनम्, अर्थनि- नलिन, अर्थनिपुराङ्ग, अर्थनिपुर, अयुताङ्ग, अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे, अउयंगे पुराङ्गम् अर्थनिपुरम्, अयुताङ्गम् अयुतं, अयुत, नयुताङ्ग, नयुत, प्रयुताङ्ग, प्रयुत, अउए, नउयंगे नउए, पउयंगे पउए, नयुतानं नयुतं, प्रयुतानं प्रयुतं, चूलिकाङ्ग, चूलिका, शीर्षप्रहेलिकाङ्ग, शीर्षचुलियंगे चुलिया, सीसपहेलियंगे चूलिकाङ्गं चूलिका, शीर्षप्रहेलिकाङ्गं प्रहेलिका, पल्योपम, सागरोपम, अवसर्पिणी, सीसपहेलिया, पलिओवमे सागरो- __ शीर्षप्रहेलिका, पल्योपमं सागरोपमम् उत्सर्पिणी, पुद्गलपरिवर्त, अतीतकाल, वमे ओसप्पिणी उस्सप्पिणी ___ अवसप्पिणी उत्सपिणी पुद्गलपरिवर्तः अनागतकाल और सर्वकाल। वह पूर्वानुपूर्वी पोग्गलपरियट्टे तीतद्धा अणाग- अतीताध्वा अनागताध्वा सर्वाध्वा । तद्धा सव्वद्धा। से तं पुवाणु- सा एषा पूर्वानुपूर्वी । पुवी ॥ २२०. से कि तं पच्छाणुपुवी? पच्छा- अथ किं सा पश्चानुपूर्वी ? २२०. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ? णुपुव्वी - सव्वद्धा जाव समए। पश्चानुपूर्वी सर्वाध्वा यावत् समयः। पश्चानुपूर्वी-सर्वकाल यावत् समय । वह से तं पच्छाणुपुव्वी॥ सा एषा पश्चानुपूर्वी । पश्चानुपूर्वी है। २२१. से कि तं अणाणपुवी ? अथ किं सा अनानुपूर्वी ? २२१. वह अनानुपूर्वी क्या है ? अणाणुपुवी-एयाए चेव एगाइ- अनानुपूर्वी-एतया चैव एकादिकया अनानुपूर्वी-एक से प्रारम्भ कर एकयाए एगुत्तरियाए अणंतगच्छगयाए एकोत्तरिकया अनन्तगच्छगतया श्रेण्या एक की वृद्धि करें। इस प्रकार अनन्त तक की सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवणो। अन्योन्याभ्यासः द्विरूपोनः। सा एषा संख्या का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणासे तं अणाणुपुव्वी॥ अनानुपूर्वी। कार करें। इससे जो भंगसंख्या प्राप्त हो, उसमें से दो (पूर्वानुपूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल देने से जो संख्या प्राप्त हो । वह अनानुपूर्वी है। २२२. अहवा ओवणिहिया कालाणपुव्वी अथवा औपनिधिको कालानुपूर्वी २२२. अथवा औपनिधिको कालानुपूर्वी के तीन तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुव्वा- त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-पूर्वानु- प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे- पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुणुपुवो पच्छाणुपुव्वी अणाणु- पूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी । पूर्वी और अनानुपूर्वी । पुवी॥ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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