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अणुओगदाराई दुसमयदिईयाओ अवत्तव्वगाई। एषा नैगम-व्यवहारयोः अर्थपद- एक समय की स्थिति वाली अनानुपूर्वियां से तं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरू- प्ररूपणा।
और दो समय की स्थिति वाले पुद्गल वणया॥
अवक्तव्य । वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत
अर्थपदप्ररूपण है। २०१. एयाए णं नेगम-ववहाराणं एतया नैगम-व्यवहारयोः अर्थपद- २०१. नैगम और व्यवहारनय सम्मत इस अर्थपद
अट्रपयपरूवणयाए कि पओयण ? प्ररूपणया कि प्रयोजनम् ? एतया प्ररूपण से क्या प्रयोजन है ? एयाए णं नेगम-ववहाराण नैगम-व्यवहारयोः अर्थपदप्ररूपणया नगम और व्यवहारनय सम्मत इस अर्थअट्ठपयपरूवणयाए भंगसमुक्कि- भङ्गसमुत्कीर्तनं क्रियते ।
पदप्ररूपण से भंगसमुत्कीर्तन किया जाता तणया कज्जइ॥ २०२. से कि तं नेगम-ववहाराणं अथ किं सा नैगम-व्यवहारयोः २०२. वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत भंग
भंगसमुक्कित्तणया? नेगम- भङ्गसमुत्कीर्तनम् ? नैगम-व्यवहारयोः समुत्कीर्तन क्या है ? ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया--- भङ्गसमुत्कीर्तनम्-१. अस्ति आनु- नैगम और व्यवहारनय सम्मत भंगसमु१. अत्थि आणुपुव्वी २. अत्थि पूर्वी २. अस्ति अनानुपूर्वी ३. अस्ति कीर्तन-आनुपूर्वी है, अनानुपूर्वी है, अवक्तव्य अणाणुपुव्वी ३. अस्थि अवत्तव्वए। अवक्तव्यकम् । एवं द्रव्यानुपूर्वीगमेन है। इसी प्रकार द्रव्यानुपूर्वी की भांति कालानुएवं दवाणपव्विगमेणं कालाण- कालानुपूर्व्यामपि ते चैव षड्विंशतिः पूर्वी के भी छब्बीस विकल्प जानने चाहिए। पवीए वि ते चेव छब्बीसं भंगा भंगाः भणितव्या यावत् । तदेतत् [देखें सू. ११७] । वह नैगम और व्यवहारभाणियव्वा जाव । से तं नेगम- नगम-व्यवहारयोः भङ्गसमुत्कीर्तनम् । नय सम्मत भंगसमुत्कीर्तन है ।
ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया । २०३. एयाए णं नेगम-ववहाराणं एतेन नैगम-व्यवहारयोः भंग- २०३. नैगम और व्यवहारनय सम्मत इस भंग
भंगसमुक्कित्तणयाए कि पओयणं? समुत्कीर्तनेन किं प्रयोजनम् ? एतेन समुत्कीर्तन से क्या प्रयोजन है ? एयाए णं नेगम-ववहाराणं भंग- नैगम-व्यवहारयोः भंगसमुत्कीर्तनेन नैगम और व्यवहारनय सम्मत इस भंगसमुक्कित्तणयाए भंगोवदंसणया भंगोपदर्शनं क्रियते।
समुत्कीर्तन से भंगोपदर्शन किया जाता है। कज्जइ॥ २०४. से किं तं नेगम-ववहाराणं अथ किं तद नैगम-व्यवहारयोः २०४. वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत भंगोप
भंगोवदंसणया ? नेगम-ववहाराणं भंगोपदर्शनम् ? नैगम-व्यवहारयोः दर्शन क्या है ? भंगोवदसणया-१. तिसमयदिईए भंगोपदर्शनम् -१. त्रिसमयस्थितिकः नैगम और व्यवहारनय सम्मत भंगोपआणुपुव्वी २. एगसमयदिईए आनुपूर्वी २.एकसमयस्थितिकः अनानु- दर्शन-१. तीन समय की स्थिति वाला अणाणुपुव्वी ३. दुसमयट्टिईए पूर्वी ३. द्विसमयस्थितिकः अवक्तव्यकम् पुद्गल आनुपूर्वी, २. एक समय की स्थिति अवत्तव्वए ४. तिसमयट्ठिईयाओ ४. त्रिसमयस्थितिका: आनुपूर्व्यः ५. वाला पुद्गल अनानुपूर्वी, ३. दो समय की आणुपुव्वीओ ५.एगसमयट्टिईयाओ ___एकसमयस्थितिकाः अनानुपूर्व्यः ६. स्थिति वाला पुद्गल अवक्तव्य, ४. तीन समय अणाणुपुव्वीओ ६.दुसमयट्टिईयाओ द्विसमयस्थितिका: अवक्तव्यकानि । की स्थिति वाली आनुपूर्वियां, ५. एक समय अवत्तव्वगाई। अहवा १.तिसमय- ___ अथवा १. त्रिसमयस्थितिकश्च एक- की स्थिति वाली अनानुपूर्वियां, ६. दो समय ट्टिईए य एगसमयट्ठिईए य आणु- समयस्थितिकश्च आनुपूर्वी च अनानु- की स्थिति वाले अबक्तव्य । पुवो य अणाणुपुव्वी य। पूर्वी च ।
अथवा १. तीन समय की स्थिति वाली एवं तहा चेव दव्वाणपब्विगमेणं एवं तथा चैव द्रव्यानुपूर्वीगमेन और एक समय की स्थिति वाली आनुपूर्वी छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव। षड्विंशति: भंगाः भणितव्या यावत् । और अनानुपूर्वी। से तं नेगम-ववहाराणं भंगोवदंस- तदेतत् नैगम-व्यवहारयोः भंगोप
इसी प्रकार द्रव्यानुपूर्वी की भांति छब्बीस णया॥ दर्शनम् ।
विकल्प जानने चाहिए। [देखें सू. ११९] । वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत भंगोपदर्शन है।
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