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________________ छठा प्रकरण मूल पाठ संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद कालाणुपुव्वी-पदं कालानुपूर्वी-पदम् १९६. से किं तं कालाणुपुवी ? काला- अथ कि सा कालानुपूर्वी ? णुपुवी दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-- कालानुपूर्वी द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा ओवणिहिया य अणोवणिहिया य॥ -औपनिधिको च अनौपनिधिको च। कालानुपूर्वी पद १९६. वह कालानुपूर्वी क्या है ? कालानुपूर्वी के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसेऔपनिधिकी और अनौपनिधिकी। १९७. तत्थ णं जा सा ओवणिहिया सा तत्र या असौ औपनिधिको सा १९७. जो औपनिधिकी है वह स्थापनीय है। ठप्पा ॥ स्थाप्या। १९८. तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया तत्र या असौ अनौपनिधिको सा १९८. जो अनौपनिधिकी है उसके दो प्रकार प्रज्ञप्त सा दुविहा पण्णता, तं जहा- द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-नैगम- हैं, जैसे--नगम और व्यवहारनय सम्मत अनौनेगम-ववहाराणं संगहस्स य॥ व्यवहारयोः संग्रहस्य च । पनिधिकी और संग्रहनय सम्मत अनौप निधिकी। नेगम-ववहाराणं अणोवणिहिय-काला- नैगम-व्यवहारयोः अनौपनिधिको- नैगम व्यवहारनय सम्मत अनौपनिधिकोणुपुवी-पदं कालानुपूर्वी-पदम्। कालानुपूर्वी पद १६६. से कितं नेगम-ववहाराणं अणो- अथ कि सा नैगम-व्यवहारयोः १९९. वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत अनौप वणिहिया कालाणपुवी ? नेगम- अनौपनिधिको कालानुपूर्वी ? नेगम- निधिकी कालानुपूर्वी क्या है ? ववहाराणं अणोवणिहिया कालाणु- व्यवहारयोः अनौपनिधिको कालानुपूर्वी नैगम और व्यवहारनय सम्मत अनौपपवी पंचविहा पण्णता, तं जहा- पञ्चविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-१. अर्थ- निधिकी कालानुपूर्वी के पांच प्रकार प्रज्ञप्त १. अटुपयपरूवणया .२. भंगसमु- पदप्ररूपणा २. भङ्गसमुत्कीर्तनम् । हैं, जैसे-१. अर्थपदप्ररूपण, २. भंगकित्तणया ३. भंगोवदसणया ३. भङ्गोपदर्शनम् ४. समवतारः समुत्कीर्तन, ३. भंगोपदर्शन, ४. समवतार, ४. समोयारे ५. अणुगमे ॥ ५. अनुगमः । ५. अनुगम। २००. से किं तं नेगम-ववहाराणं अथ कि सा नैगम-व्यवहारयोः २००. वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत अर्थपद अट्रपयपरूवणया ? नेगम-ववहाराणं अर्थपदप्ररूपणा? नैगम-व्यवहारयोः प्ररूपण क्या है ? अट्टपयरूवणया-तिसमयट्टिईए अर्थपदप्ररूपणा -त्रिसमयस्थितिक: नैगम और व्यवहारनय सम्मत अर्थपदआणुपुथ्वी जाव दससमयट्टिईए आनुपूर्वी यावत् दशसमयस्थितिक: प्ररूपण-तीन समय की स्थिति वाला पुद्गल आणुपुवी संखेज्जसमयट्टिईए आनुपूर्वी संख्येयसमयस्थितिकः आनु- आनुपूर्वी यावत् दस समय की स्थिति वाला आणपुव्वो असंखेज्जसमयदिईए पूर्वी असंख्येयसमयस्थितिक: आनुपूर्वी। पुद्गल आनुपूर्वी, संख्येय समय की स्थिति आणपुवो। एगसमयदिईए अणा- एकसमयस्थितिकः अनानुपूर्वी । वाला पुद्गल आनुपूर्वी, असंख्येय समय की णुपुवी। दुसमयट्ठिईए अवत्तव्वए। द्विसमयस्थितिकः अवक्तव्यकम् । स्थिति वाला पुद्गल आनुपूर्वी, एक समय तिसमयट्टिईयाओ आणुपुवीओ त्रिसमयस्थितिकाः आनुपूर्व्यः यावत् की स्थिति वाला पुद्गल अनानुपूर्वी, दो समय जाव दससमयट्टिईयाओ आणु- दशसमयस्थितिकाः आनुपूर्यः संख्येय- की स्थिति वाला पुद्गल अवक्तव्य, तीन पुवीओ संखेज्जसमयट्टिईयाओ समय स्थितिकाः आनुपूर्व्यः असंख्येय- समय की स्थिति वाली आनुपूर्वियां, यावत् आणुपुवीओ असंखेज्जसमय- समयस्थितिकाः आनुपूर्व्यः। एक- दस समय की स्थिति वाली आनुपूर्वियां, दिईयाओ आणपुवीओ। एग- समयस्थितिका: अनानुपwः। द्वि- संख्येय समय की स्थिति वाली आनुपूर्वियां, समयट्टिईयाओ अणाणपुव्वीओ। समयस्थितिकाः अवक्तव्यकानि । सा असंख्येय समय की स्थिति वाली आनुपूबियां, Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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