________________
पांचवां प्रकरण : सूत्र १८६-१६५
१२७ सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवणो। घेण्या अन्योन्याभ्यासः । द्विरूपोनः सा संख्या का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणासे तं अणाणुपुवी॥ एषा अनानुपूर्वी।
कार करें। इससे जो भंगसंख्या प्राप्त हो, उसमें से दो (पूर्वानुपूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल देने से जो संख्या प्राप्त हो । वह
अनानुपूर्वी है। १९२. अहवाओवणिहिया खेत्ताणुपुवी अथवा औपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी १९२. अथवा औपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी के तीन
तिविहा पण्णता, तं जहा-पुवा- त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-पूर्वानु- प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुणुपुव्वी पच्छाणुपुव्वी अणाणु- पूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी।
पूर्वी और अनानुपूर्वी । पुवी॥ १६३. से कि तं पुवाणुपुव्वी ? पुव्वा- अथ किं सा पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानु- १९३. वह पूर्वानुपूर्वी क्या है ?
णपूवो-एगपएसोगाढे दुपएसो- पूर्वी एकप्रदेशावगाढ: द्विप्रदेशावगाढः पूर्वानुपूर्वी-एकप्रदेशावगाढ, दोप्रदेशागाढे जाव असंखेज्जपएसोगाढे । से यावत् असंख्येयप्रदेशावगाढः।सा एषा वगाढ़ यावत् असंख्येयप्रदेशावगाढ़। वह तं पुव्वाणुपवी ॥ पूर्वानुपूर्वी।
पूर्वानुपूर्वी है। १६४. से कि तं पच्छाणपुवी? पच्छा- अथ किं सा पश्चानुपूर्वी ? १९४. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ?
णपवी-असंखेज्जपएसोगाढे जाव पश्चानुपूर्वी असंख्येयप्रदेशावगाढः पश्चानुपूर्वी-असंख्येयप्रदेशावगाढ़ यावत् एगपएसोगाढे ।से तं पच्छाणु- यावत् एकप्रदेशावगाढः। सा एषा
एकप्रदेशावगाढ़। वह पश्चानुपूर्वी है । पुन्वी ॥
पश्चानुपूर्वी। १६५. से कि तं अणाणपुवी? अणा- अथ कि सा अनानुपूर्वी ? अनानु- १९५. वह अनानुपूर्वी क्या है ?
णपुव्वो-एयाए चेव एगाइयाए पूर्वी-एतया चैव एकादिकया एकोत्त- ___अनानुपूर्वी-एक से प्रारम्भ कर एक-एक एगुत्तरियाए असंखेज्जगच्छगयाए रिकया असंख्येयगच्छगतया शेण्या की वृद्धि करें। इस प्रकार असंख्य की संख्या सेढोए अण्णमण्णभासो दुरूवणो। अन्योन्याभ्यास: द्विरूपोनः । सा एषा का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणाकार से तं अणाणुपुव्वी । से तं ओवणि- अनानुपर्छ । सा एसा औपनिधिको करें। इससे जो भंगसंख्या प्राप्त हो, उसमें से हिया खेत्ताणुपुब्बी। से तं खेत्ताणु- क्षेत्रानुपूर्वी । सा एषा क्षेत्रानुपूर्वी । दो (पूर्वानुपूर्वी और पश्चानुपूर्वी) को निकाल पुवो ॥
देने से जो संख्या प्राप्त हो । वह अनानुपूर्वी
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org