SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२४ अणुओगदाराई अवत्तव्वगदम्वाइं पएसट्टयाए विशेषाधिकानि, आनुपूर्वीद्रव्याणि की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्यों से विशेषाधिक विसेसाहियाई, आणविदव्वाइं प्रवेशार्थतया असंख्येयगणानि । हैं, आनुपूर्वी द्रव्य प्रदेशार्थ की अपेक्षा पएसट्टयाए असखेज्जगुणाई। द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थतया ---सर्वस्तोकानि अवक्तव्य द्रव्यों से असंख्येयगुण हैं। दव्वट-पएसट्टयाए -सव्वत्थोवाइं नैगम-व्यवहारयोः अवक्तव्यकद्रव्याणि द्रव्यार्थ और प्रदेशार्थ की अपेक्षा-नगम नेगम-ववहाराणं अवत्तव्वगदब्वाई __द्रव्यार्थतया, अनानुपूर्वीद्रव्याणि और व्यवहारनय सम्मत अवक्तव्य द्रव्य दबट्टयाए, अणाणुपुग्विदव्वाई द्रव्यार्थतया अप्रदेशार्थतया विशेषा द्रव्यार्थ की अपेक्षा सबसे कम हैं, अनानुपूर्वी दन्वयाए अपएसट्टयाए विसेसाहि- धिकानि, अवक्तव्यकद्रव्याणि प्रदेशार्थ- द्रव्य द्रव्यार्थ और अप्रदेशार्थ की अपेक्षा याई, अवत्तम्बगदम्वाइं पएसट्टयाए तया विशेषाधिकानि, आनुपूर्वीद्रव्याणि अवक्तव्य द्रव्यों से विशेषाधिक हैं। अवक्तव्य विसेसाहियाई, आणुपुग्विदवाई द्रव्यार्थतया असंख्येयगुणानि तानि द्रव्य प्रदेशार्थ की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्यों से दव्बट्रयाए असंखेज्जगुणाई, ताइ चैव प्रदेशार्थतया असंख्येयगणानि । विशेषाधिक हैं। आनुपूर्वी द्रव्य द्रव्यार्थ की चेव पएसट्टयाए असंखेज्जगुणाई।से स एष अनुगमः। सा एषा नंगम अपेक्षा अवक्तव्य द्रव्यों से असंख्येयगुण हैं, तं अणुगमे । से तं नेगम-ववहाराणं व्यवहारयोः अनौपनिधिको क्षेत्रानु प्रदेशार्थ की अपेक्षा वे ही असंख्येयगुण हैं । अणोवणिहिया खेत्ताणपुवी। पूर्वो। वह अनुगम हैं। वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी है। संगहस्स अणोवणिहिय-खेताणुपुवी-पदं संग्रहस्य अनौपनिधिको-क्षेत्रानु- संग्रहनय सम्मत अनौपनिधकी-क्षेत्रानुपूर्वी पूर्वी-पदम् १७५. से कि तं संगहस्स अणावणि- अथ कि सा संग्रहस्य अनौप- १७५, वह संग्रहनय सम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानु हिया खेत्ताणुपुव्वी ? जहेव दव्वा- निधिको क्षेत्रानुपर्छ ? यथैव पूर्वी क्या हैं ? णपव्वी तहेव खेत्ताणुपुवी वि द्रव्यानुपूर्वी तथैव क्षेत्रानुपूर्वी अपि ___संग्रहनय सम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी यव्वा । से तं संगहस्स अणोव- ज्ञातव्या । सा एषा संग्रहस्य अनौप- की भांति इस क्षेत्रानुपूर्वी को जानना चाहिए। णिहिया खेत्ताणपुवी । से तं अणो- निधिको क्षेत्रानुपूर्वी । सा एषा अनौ- [देखें-सूत्र १३१-१४६]। वह संग्रहनय सम्मत वणिहिया खत्ताणुपुवी। पनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी। अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी है। वह अनौपनि धिकी क्षेत्रानुपूर्वी है। ओवणिहिय-खेत्ताणुपुवी-पदं औपनिधिको-क्षेत्रानपूर्वी-पदम औपनिधिकी-क्षेत्रानुपूर्वी-पद १७६. से कितं ओवणिहिया खेत्ताण- अथ कि सा औपनिधिको क्षेत्रा- १७६. वह औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी क्या है ? पुवी ? ओवणिहिया खेत्ताणु- नुपूर्वी ? औपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी औपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी के तीन प्रकार पुवी तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा- पूर्वानु- प्रकार हैं, जैसे -पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और पुवाणुपुवी पच्छाणुपुत्वी अणाणु- पूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी । अनानुपूर्वी। पुवी। १७७. से कि तं पव्वाणपुवी? पव्वा- अथ कि सा पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानु- १७७. वह पूर्वानुपूर्वी क्या है ? णपनी-अहोलोए तिरियलोए पूर्वी -अधोलोक: तिर्यक्लोकः ऊर्व- पूर्वानुपूर्वी-अधो लोक , तिर्यक् लोक और उड्ढलोए । से तं पुव्वाणपवी॥ लोकः । सा एषा पूर्वानुपूर्वी। ____ ऊर्ध्व लोक । वह पूर्वानुपूर्वी है । १७८. से कि तं पच्छाणपुवी ? पच्छा- अथ कि सा पश्चानुपूर्वी ? १७८. वह पश्चानुपूर्वी क्या है ? णुपुवी- उड्ढलोए तिरियलोए पश्चानुपूर्वी-ऊर्ध्वलोकः तिर्यक्लोकः पश्चानुपूर्वी-ऊर्ध्व लोक , तिर्यक् लोक अहोलोए। से तं पच्छाणपुवी ॥ अधोलोकः । सा एषा पश्चानुपूर्वी । और अधो लोक । वह पश्चानुपूर्वी है। १७६. से कि तं अणाणपळवी ? अथ किं सा अनानुपूर्वी ? १७९. वह अनानुपूर्वी क्या है ? अणाणुपुवी--एयाए व एगाइ- अनानुपूर्वी-एतया चैव एकादिकया अनानुपूर्वी--- एक से प्रारम्भ कर एक-एक याए एगुत्तरियाए तिगच्छगयाए एकोत्तरिकया त्रिगच्छगतया श्रेण्या की वृद्धि करें। इस प्रकार तीन की संख्या सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवणो। अन्योन्याभ्यासः द्विरूपोनः। सा एषा का श्रेणी की पद्धति से परस्पर गुणाकार Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy