SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अणुओगदाराई पूर्वी अथवा ५. त्रिप्रदेशिक और द्विप्रदेशिक, आनुपूर्वी और अवक्तव्य अथवा ६. परमाणु पुद्गल और द्विप्रदेशिक, आनुपूर्वी और अवक्तव्य अथवा ७. त्रिप्रदेशिक, परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक, आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अवक्तव्य । इस प्रकार ये सात विकल्प होते हैं। वह संग्रहनय सम्मत भंगोपदर्शन ६२ तिपएसिया य परमाणपोग्गलाय त्रिप्रदेशिकाश्च परमाणुपुद्गलाश्च आणुपुवो य अणाणुपुत्वो य अहवा आनुपूर्वी च अनानुपूर्वी च अथवा ५. ५. तिपएसिया य दुपएसिया य त्रिप्रदेशिकाश्च द्विप्रदेशिकाश्च आनुआणुपुब्वी य अवत्तव्वए य अहवा पूर्वी च अवक्तव्यकञ्च अथवा ६. ६. परमाणुपोग्गला य दुपएसियाय परमाणुपुद्गलाश्च द्विप्रदेशिकाश्च अणाणुपुत्वी य अवत्तव्वए य अनानुतूर्वी च अवक्तव्यकञ्च अथवा अहवा ७. तिपएसिया य परमाणु- ७. त्रिप्रदेशिकाश्च परमाणुपुद्गलाश्च पोग्गला य दुपएसिया य आणु- द्विप्रदेशिकाश्च आनुपूर्वी च अनानुपुवी य अणाणुपुत्वो य अवत्तव्वए। पूर्वी च अवक्तव्यकञ्च । (एवं एते य।[एवं एए सत्तभंगा?] 1 से तं सप्तभङ्गाः ?)। तदेतत् संग्रहस्य संगहस्स भंगोवदंसणया ॥ भङ्गोपदर्शनम् । १३७. से कि तं समोयारे ?समोयारे अथ कि स समवतार: ? समव- संगहास आणुपुस्विदव्वाइं कहि तार:-संग्रहस्य आनुपूर्वीद्रव्याणि समोयरंति ? कि आणुपुग्विदम्वेहि क्व समवतरन्ति ? किम् आनुपूर्वीसमोयरंति ? अणाणुपुग्विदन्वेहि द्रव्येषु समवतरन्ति ? अनानुपूर्वीसमोयरंति ? अवत्तव्वगदम्वेहि द्रव्येषु समवतरन्ति ? अवक्तव्यकसमोयरंति ? संगहस्स आणुपुन्वि- द्रव्येषु समवतरन्ति ? संग्रहस्य आनुदवाइं आणपव्विदन्वेहि समोय. पूर्वीद्रव्याणि आनुपूर्वीद्रव्येषु समवरंति, नो अणाणुपुग्विदन्वेहि तरन्ति, नो अनानुपूर्वीद्रव्येषु समवसमोयरंति, नो अवतव्वगदवेहि तरन्ति, नो अवक्तव्यकद्रव्येषु समवसमायरंति । एवं दोणि वि सट्टाणे तरन्ति । एवं द्वे अपि स्वस्थाने समोयरंत । से तं समोयारे॥ समवतरतः। स एष समवतारः। १३७. वह समवतार क्या है? समवतार--संग्रहनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य कहां समवतरित होते हैं- क्या आनुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं ? अनानुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं ? अथवा अवक्तव्य द्रव्यों में समवतरित होते हैं ? संग्रहनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य आनुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं, अनानुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित नहीं होते, अवक्तव्य द्रव्यों में समवतरित नहीं होते । इसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्य भी अपने-अपने स्थान में समवतरित होते हैं। वह समवतार १३८. से कि तं अणुगमे ? अणुगमे अथ किस अनुगम: ? अनुगमः १३८. वह अनुगम क्या है ? अट्टविहे पण्णत्त, तं जहा - अष्टविध: प्रज्ञप्तः, तद्यथा-' अनुगम के आठ प्रकार प्रज्ञप्त हैं- जैसे गाहागाथा १. सत्पदप्ररूपण, २. द्रव्यप्रमाण, ३. क्षेत्र, १. संतपयपरूवणया २. दव्वपमाणं १. सत्पदप्ररूपणा २. द्रव्यप्रमाणं ४. स्पर्शना, ५. काल, ६. अन्तर, ७. भाग, च ३. खेत ४. फुसणा य । च ३. क्षेत्र ४. स्पर्शना च । ८. भाव । अल्पबहुत्व नहीं होता।" ५. कालो य ६. अंतरं ७. भाग ५. कालश्च ६. अन्तरं ७. भागः ८. भाव अप्पाबहुं नत्थि ॥१॥ ८. भाव: अल्पबहु नास्ति ॥१॥ १३६. संगहस्स आणुपुत्विदन्वाइं कि संग्रहस्य आनुपूर्वीद्रव्याणि १३९. संग्रहनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य हैं या नहीं? अत्थि ? नस्थि ? नियमा अत्थि। किम् अस्ति ? नास्ति ? नियमात् वे नियमतः हैं। इसी प्रकार अनानुपूर्वी एवं दोणि वि॥ अस्ति । एवं द्वे अपि। और अवक्तव्य द्रव्य भी नियमतः हैं। १४०. संगहस्स आणपग्विदन्वाइं कि संग्रहस्य आनुपूर्वीद्रव्याणि किं १४०. संग्रहनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य संख्येय हैं ? संखेज्जाइं? असंखेज्जाई? संख्येयानि ? असंख्ययानि ? अन- असंख्येय हैं ? अथवा अनन्त हैं ? अणंताई? नो संखेज्जाइंनो तानि ? नो संख्येयानि नो असंख्ये- वे संख्येय नहीं हैं, असंख्येय नहीं हैं और असंखेज्जाई नो अंणताई, नियमा यानि नो अनन्तानि, नियमात् एकः अनन्त भी नहीं हैं, वे नियमतः एक राशि एगो रासी। एवं दोणि वि॥ राशि । एवं द्वे अपि। है। इसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्यों की भी नियमतः एक राशि है। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy