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अणुओगदाराई
६५. से कि तं भावोवक्कमे? भावोव- अथ किं स भावोपक्रम: ?
क्कमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- भावोपक्रम: द्विविध: प्रज्ञप्तः, तद्यथा आगमओ य नोआगमओ य॥ -आगमतश्च नोआगमतश्च ।
९५. वह भाव उपक्रम [दूसरों के भाव-बोध का
साधन] क्या है ? -भाव उपक्रम के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे -आगमत: और नोआगमतः ।
१६. से कि तं आगमओ भावोवक्कमें? अथ किं स आगमतो भावोप- ९६. वह आगमत: भाव उपक्रम क्या है ? आगमओ भावोवक्कमे-जाणए क्रम: ? आगमतो भावोपक्रमः
आगमत: भाव उपक्रम-जो जानता है उवउत्ते। से तं आगमओ भावोव- ज्ञः उपयुक्तः। स एष आगमतो
और उसमें उपयुक्त [दत्तचित्त है। वह क्कमे॥ . भावोपक्रमः ।
आगमत: भाव उपक्रम है।
६७. से कि तं नोआगमओ भावोव- अथ कि स नोआगमतो भावोप- ९७. वह नोआगमतः भाव उपक्रम क्या है ? क्कमे? नोआगमओ भावोवक्कमे ।
नोआगमतः भाव उपक्रम के दो प्रकार दुविहे पण्णते, तं जहा-पसत्थे य द्विविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - प्रशस्तश्च प्रज्ञप्त हैं, जैसे -प्रशस्त और अप्रशस्त । अपसत्थे य॥
अप्रशस्तश्च । १८. से कितं अपसत्थे भावोवक्कमे ? अथ किं स अप्रशस्तः भावोप- ९८. वह अप्रशस्त भाव उपक्रम क्या है ? अपसत्थे भावोवक्कमे-डोडिणि क्रमः ? अप्रशस्तः भावोपक्रमः
अप्रशस्त भाव उपक्रम -किसी ब्राह्मणी, गणिया अमच्चाईणं। से तं अप- 'डोडिणि' गणिका अमात्यादीनाम् । वेश्या और अमात्य आदि की [जो दूसरों के सत्थे भावोवक्कमे ॥ स एष अप्रशस्त: भावोपक्रमः ।
भाव-बोध की] प्रवृत्ति है। वह अप्रशस्त भाव उपक्रम है।
&E.से कि तं पसत्थे भावोवक्कमे? अथ किं स प्रशस्त: भावोप- ९९. वह प्रशस्त भाव उपक्रम क्या है ?
पसत्थे भावोवक्कमे-गुरुमाईणं। क्रम: ? प्रशस्तः भावोपक्रमः -- प्रशस्त भाव उपक्रम -गुरु आदि के भावसे तं पसत्थे भावोवक्कमे। से तं गुर्वादीनाम् । स एष प्रशस्त: भावो. बोध की जो प्रवृत्ति है। वह प्रशस्त भाव नोआगमओ भावोवक्कमे। से तं पक्रमः । स एष नोआगमतो भावोप- उपक्रम है। वह नोआगमतः भाव उपक्रम है। भावोवक्कमे । से तं उवक्कमे ॥ क्रमः। स एष भावोपक्रमः। स एष वह भाव उपक्रम है। वह उपक्रम है।'
उपक्रमः।
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