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________________ तीसरा प्रकरण : सूत्र ८५-६४ ८६. से कि तं च उप्पयउवक्कमे ? अथ किं स चतुष्पदोपक्रम: ? चउप्पयउवक्कमे --- चउप्पयाणं चतुष्पदोपक्रमः - चतुष्पदानाम् आसाणं हत्थीणं इच्चाइ। सेतं अश्वानां हस्तिनाम् इत्यादि । स एष चउप्पयउवक्कमे॥ चतुष्पदोपक्रमः। ८९. वह चतुष्पद उपक्रम क्या है ? चतुष्पद उपक्रम-घोड़े, हाथी आदि चार पैर वाले पशुओं के परिकर्म और विनाश में किया जाने वाला उपक्रम चतुष्पद उपक्रम है। वह चतुष्पद उपक्रम है। ९०.से कि तं अपयउवक्कमे ? अपय उवक्कमे-अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं इच्चाइ । से तं अपयउवक्कमे। से तं सचित्ते दव्वोवकम्मे॥ अथ कि स अपदोपक्रम: ? ९०, वह अपद उपक्रम क्या है ? अपदोपक्रमः-अपदानाम् आम्राणाम् अपद उपक्रम-आम, आम्बेडा आदि आम्रातकानाम् इत्यादि । स एष। अपद पदार्थों के परिकर्म और विनाश में अपदोपक्रमः । स एष सचित्तः द्रव्योप- किया जाने वाला उपक्रम अपद उपक्रम है। क्रमः। वह अपद उपक्रम है। वह सचित्त द्रव्य उपक्रम है। ६१. से कि तं अचित्ते दव्वोवक्कमे? अथ किस अचित्तः द्रव्योपक्रमः? ९१. वह अचित्त द्रव्य उपक्रम क्या है ? अचित्ते दवोवक्कमे-खंडाईणं अचित्तः द्रव्योपक्रमः-खण्डादीनां अचित्त द्रव्य उपक्रम-खांड, गुड़ और गुडाईणं मच्छंडीणं । से तं अचित्तं गलादीनां मत्स्यण्डीनाम् । स एष राब इत्यादि के परिकर्म और विनाश में किया दवोवक्कमे ॥ अचित्तः द्रव्योपक्रमः। जाने वाला उपक्रम अचित्त द्रव्य उपक्रम है। वह अचित्त द्रव्य उपक्रम है। ६२. से कि तं मोसए दव्वोवक्कमे ? अथ किं स मिश्रः द्रव्योपक्रम: ? मीसए दवोवक्कमे से चेव मिश्रः द्रव्योपक्रमः-स चैव स्थासकाथासगआयंसगाइमंडिए आसाइ। दर्शकादिमण्डितः अश्वादिः। स एष से तं मीसए दव्वोवक्कमे। से तं मिश्रः द्रव्योपक्रमः। स एष ज्ञशरीरजाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते भव्यशरीर-व्यतिरिक्तः द्रव्योपक्रमः । दव्वोवक्कमे । से तं नोआगमओ स एष नोआगमतो द्रव्योपक्रमः । स दव्वोवक्कमे से तं दव्वोवक्कमे॥ एष द्रव्योपक्रमः । ९२. वह मिश्र द्रव्य उपक्रम क्या है ? मिश्र द्रव्य उपक्रम - बुबुद के आकार वाले आभूषण और गले के आभूषण आदि से विभूषित अश्व आदि के परिकर्म और विनाश में किया जाने वाला उपक्रम मिश्र द्रव्य उपक्रम है। वह मिश्र द्रव्य उपक्रम है। वह ज्ञशरीर भव्यशरीर व्यतिरिक्त द्रव्य उपक्रम है। वह नोआगमतः द्रव्य उपक्रम है। वह द्रव्य उपक्रम है। ६३. से कितं खेतोवक्कमे ? खेत्तोव- अथ किं स क्षेत्रोपक्रमः ? क्षेत्रो- क्कमे-जणं हलकुलियाहिं पक्रमः-यत् हलकुलिकादिभिः खेत्ताई उवक्कमिज्जंति, इच्चाइ। क्षेत्राणि उपक्रम्यन्ते, इत्यादि। स से तं खेत्तोवक्कमे॥ एष क्षेत्रोपक्रमः । ९३. वह क्षेत्र उपक्रम क्या है ? क्षेत्र उपक्रम-हल, कुलिक खेत में उगे हुए घास को काटने का उपकरण] आदि के द्वारा खेत का उपक्रम [खेत को बीज बोने योग्य] किया जाता है तथा इस प्रकार के अन्य उपक्रम करना क्षेत्र उपक्रम है। वह क्षेत्र उपक्रम है। १४. से कि तं कालोवक्कमे? कालोव- अथ किं स कालोपक्रमः ? ९४. वह काल उपक्रम [काल-बोध का साधन] क्कमे-जण्णं नालियाईहिं काल- कालोपक्रमः-यत् नाडिकादिभिः क्या है ? स्सोवक्कमणं कीरइ। से तं कालस्य उपक्रमणं क्रियते । स एष काल उपक्रम-नाडिका (नाडी- घटी, कालोवक्कमे ॥ कालोपक्रमः। ५४ मिनट] आदि के द्वारा समय को जाना जाता है। वह काल उपक्रम है। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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