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विषय-सूची
श्लोक ३०,३१ दोष-दर्शन पूर्वक अप्काय की हिंसा का निषेध और उसका परिणाम ।
नौवां स्थान : तेजस्काय की यतना
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दोष-दर्शनपूर्वक तेजरकाय की हिंसा का निषेध और उसका निरूपण ।
दसवां स्थान
वायुकाय की यतना
३६ श्रमण वायु का समारम्भ नहीं करते ।
,,३७,३८,३६ विभिन्न साधनों से वायु उत्पन्न करने का निषेध । दोष-दर्शनपूर्वक वायुकाय की हिंसा का निषेध और उसका परिणाम |
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३२ श्रमण अग्नि की हिंसा नहीं करते ।
,,३३,३४,३५ तेजस्काय की भयानकता का निरूपण ।
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४३
ग्यारहवां स्थान
४० श्रमण वनस्पतिकाय की हिंसा नहीं करते ।
४१, ४२ दोष-दर्शनपूर्वक वनस्पतिकाय की हिंसा का निषेध और उसका परिणाम ।
बारहवां स्थान नसकाय की यतना
,, ६४,६५,६६ विभूषा का निषेध और उसके कारण । ,,६७,६८
उपसंहार |
आचार निष्ठ श्रमण की गति
सप्तम अध्ययन : वाक्यशुद्धि (भाषा - विवेक)
वनस्पतिकाय की यतना
४३ श्रमण सकाय की हिंसा नहीं करते।
४४,४५ दोष-दर्शन पूर्वक त्रसकाय की हिंसा का निषेध और उसका परिणाम ।
तेरहवां स्थान : अकल्प्य
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४६, ४७ अकल्पनीय वस्तु लेने का निषेध ।
४८, ४६ नित्याय आदि लेने से उत्पन्न होने वाले दोष ओर उसका निषेध ।
चौदहवाँ स्थान : गृहि-भाजन
५०, ५१.५२ गृहस्थ के भाजन में भोजन करने से उत्पन्न होने वाले दोष और उसका निवेध । पन्द्रहवाँ स्थान पर्यक
५३ आसन्दी, पर्यक आदि पर बैठने, सोने का निषेध ।
५४ आसन्दी आदि विषयक निषेध और अपवाद
५५ आसन्दी और पर्यंक के उपयोग के निषेध का कारण ।
सोलहवां स्थान : निषद्या
५६-५९ गृहस्थ के घर में बैठने से होने वाले दोष, उसका निषेध और अपवाद । सतरहवाँ स्थान : स्नान
६०,६१,६२ स्नान से उत्पन्न दोष और उसका निषेध ।
६२ गान का निषेध
अठारहवां स्थान विभूषावर्जन
१ भाषा के चार प्रकार, दो के प्रयोग का विधान और दो के प्रयोग का निषेध ।
२ अवक्तव्य सत्य, सत्यासत्य, मृषा और अनाचीर्ण व्यवहार भाषा बोलने का निषेध ।
३ अनवद्य आदि विशेषणयुक्त व्यवहार और सत्य भाषा बोलने का विधान ।
४ सन्देह में डालने वाली भाषा या भ्रामक भाषा के प्रयोग का निषेध |
५ सत्याभास को सत्य कहने का निषेध ।
६,७ जिसका होना संदिग्ध हो, उसके लिये निश्चयात्मक भाषा में बोलने का निषेध ।
८ अज्ञात विषय को निश्चयात्मक भाषा में बोलने का निषेध ।
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