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________________ श्लोक " 11 " 33 " श्लोक 33 17 11 "3 11 " 37 " 33 " " " २३, २४, २५ असंसृष्ट और संसृष्ट का निरूपण तथा पश्चाद-कर्म का वर्जन ३६ संसृष्ट हस्त आदि से आहार लेने का निषेध | ३७ उद्गम के पन्द्रहवें दोष 'अनिसृष्ट' का वर्जन । ३८ निसृष्ट भोजन लेने की विधि । ३६ गर्भवती के लिए बनाया हुआ भोजन लेने का विधि-निषेध-- एषणा के छट्ठे दोष 'दायक' का वर्जन ४०, ४१ गर्भवती के हाथ से लेने का निषेध । ४२,४३ स्तनपान कराती हुई स्त्री के हाथ से भिक्षा लेने का निषेध । ४४ एषणा के पहले दोष 'शंकित' का वर्जन | "" 21 13 13 १३ गमन की विधि । १४ अविधि-गमन का निषेध । ४० १५ शंका-स्थान के अवलोकन का निषेध | १६ मंत्रणागृह के समीप जाने का निषेध । १७ प्रतिक्रुष्ट आदि कुलों से भिक्षा लेने का निषेध । १८ साणी ( चिक ) आदि को खोलने का विधि-निषेध | १६ मल-मूत्र की बाधा को रोकने का निषेध | २० अंधकारमय स्थान में भिक्षा लेने का निषेध । Jain Education International २१ पुष्प, बीज आदि बिखरे हुए और अधुनोपलिप्त आंगण में जाने का निषेध - एषणा के नवें दोष- 'लिप्त ' का वर्जन । २२ मेष, वत्स आदि को लांघकर जाने का निषेध | २३- २६ गृह प्रवेश के बाद अवलोकन, गमन और स्थान का विवेक I २. ग्रहणपणा भक्तपान लेने की विधि : २७ आहार ग्रहण का विधि-निषेध । २८ एषणा के दसवें दोष 'छर्दित' का वर्जन । २६ जीव - विराधना करते हुए दाता से भिक्षा लेने का निषेध । ३०,३१ एषणा के पाँचवें ( संहृत नामक ) और छट्टो ( दायक नामक ) दोष का वर्जन । ३२ पुरः कर्म दोष का वर्जन ४५,४६ उद्गम के बारहवें दोष 'उद्भिन्न' का वर्जन । ४७,४८ दानार्थ किया हुआ आहार लेने का निषेध । ४६, ५० पुण्यार्थं किया हुआ आहार लेने का निषेध । दसवेआलियं (दशवेकालिक) ५१, ५२ वनीपक के लिए किया हुआ आहार लेने का निषेध । ५३, ५४ श्रमण के लिए किया हुआ आहार लेने का निषेध । ५५ औद्दे शिक आदि दोष युक्त आहार लेने का निषेध । ५६ भोजन के उद्गम की परीक्षा-विधि और शुद्ध भोजन लेने का विधान । ५७, ५८ एषणा के सातवें दोष उन्मिश्र का वर्जन । ५९-६२ एषणा के तीसरे दोष 'निक्षिप्त' का वर्जन । ६१,६४ दायक- दोष युक्त भिक्षा का निषेध | ६५,६६ अस्थिर शिला, काष्ठ आदि पर पैर रखकर जाने का निषेध और उसका कारण । ६७,६८,६ उद्गम के तेरह दोष 'मालापद्दत' का वर्जन और उसका कारण । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003625
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Dasaveyaliyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1974
Total Pages632
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size17 MB
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