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दसवेलियं (दशर्वकालिक )
भङ्गों का विस्तार इस प्रकार है' :
१-करण १ योग १, प्रतीक-अङ्क ११,
१ करूं
२ करूँ
३ क
४
कराऊँ
५ कराऊँ
६ कराऊँ नहीं
७ अनुमोदूं नहीं
८ अनुमोदूँ नहीं
६ अनुमोदूँ
नहीं
२-- करण १ योग २, प्रतीक अङ्क १२,
१ करूं
२ करूँ
३ - करण १ योग ३, प्रतीक- अङ्क १३,
१ करूँ
२ कराऊँ
३ अनुमो
३
करू
४ कराऊँ
५. कराऊँ
नहीं
६ कराई नहीं
४ --
-- करण २ योग १, प्रतीक -अङ्क २१,
भङ्ग ६ :
नहीं
नहीं
नहीं
नहीं
नहीं
७ अनुमोदूँ नहीं ८ अनुमोदूँ नहीं ६ अनुमोदूँ
नहीं
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१ करूँ
२ करूँ
३ करूँ
भङ्ग ९ :
नहीं
नहीं
नहीं
नहीं
५- करण २ योग २, प्रतीक अङ्क २२,
१ करूँ
२
करूँ
भङ्ग ३ :
नहीं
नहीं
नहीं
नहीं
नहीं
४ करूँ नहीं
५ करूँ
नहीं
६ करूं नहीं
७ कराऊँ नहीं
भङ्ग ९ :
नहीं
८ कराऊँ नहीं ९ कराऊँ
नहीं
भङ्ग ९ :
नहीं
नहीं
१३६
मन से
वचन से
काया से
मन से
वचन से
काया से
मन से
मन से
वचन से
मन से
मन से
वचन से
मन से
मन से
वचन से
मन से
वचन से
काया से
मन से
मन से
मन से
वचन से
काया से
काया से
वचन से
काया से
काया से
वचन से
काया से
कत्या से
कराऊँ
कराई
वचन से
वचन से
वचन से
अध्ययन ४ : सूत्र ११ टि०४८-४९
काया से
काया से
काया से
कराऊँ
कराऊँ
कराऊँ
अनुमोदूँ नहीं मन से
अनुमोदूँ नहीं वचन से
अनुमोदूँ नहीं काया से
अनुमोदूँ नहीं मन से
अनुमोदूँ नहीं बचन से
अनुमोदूं
नहीं
काया से
नहीं मन से
नहीं वचन से
नहीं काया
नहीं
मन से
वचन से
नहीं वचन से काया से
१ - हा० टी० प० १५० : "तिन्नि तिया तिन्नि दुया तिन्निक्केक्का य होंति जोएसु ।
तिदुएक्कं तिदुक्कं
तिgएक्कं
चैव
करणाइ ॥"
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