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दसवेआलियं ( दशवकालिक )
अध्ययन ४: श्लोक १०-१६
१०-१३६पढम नाणं तओ दया
एवं चिट्टइ सव्वसंजए। अन्नाणी कि काही कि वा नाहिइ छेय-पावगं ॥
प्रथमं ज्ञानं ततो दया एवं तिष्ठति सर्वसंयतः। अज्ञानी कि करिष्यति कि वा ज्ञास्यति छेक-पापकम् ॥१०॥
१०—पहले ज्ञान फिर दया४०- इस प्रकार सब मुनि स्थित होते हैं१४१ । अज्ञानी क्या करेगा ? १४२ वह क्या जानेगा- क्या श्रेय है और क्या पाप ? १४३
११-सोच्चा जाणइ कल्लारणं
सोच्चा जाणइ पावगं । उभय पि जाणई सोच्चा जं छेय तं समायरे ।।
श्रुत्वा जानाति कल्याण श्रुत्वा जानाति पापकम्। उभयमपि जानाति श्रुत्वा यच्छेक तत्समाचरेत् ॥११॥
११ जीव सुन कर१४४ कल्याण को १४५ जानता है और सुनकर ही पाप को१४६ जानता है। कल्याण और पाप सुनकर ही जाने जाते हैं । वह उनमें जो श्रेय है उसीका आचरण करे।
१२-जो जीवे वि नयाणाइ
अजीव वि न याणई । जीवाजीवे अयाणंतो। कहं सो नाहिइ संजमं ॥
यो जीवानपि न जानाति अजीवानपि न जानाति । जीवाऽजीवानजानन् कथं स ज्ञास्यति संयमम् ॥ १२॥
१२—जो जीवों को भी नहीं जानता, अजीवों को भी नहीं जानता वह जीव और अजीव को न जानने वाला संयम को कैसे जानेगा?
१३-जो जोवे वि वियाणाइ
अजीवे वि वियाणई। जीवाजीवे वियाणतो सो हु नाहिइ संजमं ॥
यो जीवानपि विजानाति अजीवानपि विजानाति । जोवाऽजीवान् विजानन् स हि ज्ञास्यति संयमम् ॥ १३ ॥
१३ ---जो जीवों को भी जानता है, अजीवों को भी जानता है वही, जीव और अजीब दोनों को जानने वाला ही, संयम को जान सकेगा१४ ॥
१४–जया जीवे अजीवे य
दो वि एए वियाणई। तया गई बहुविहं सव्वजीवाण जाणई॥
यदा जीवानजीवाश्च द्वावप्येती विजानाति। तदा गति बहुविधां सर्वजीवानां जानाति ॥ १४ ॥
१४-जब मनुष्य जीव और अजीव ---- इन दोनों को जान लेता है तब वह सब जीवों की बहुविध गतियों को भी जान लेता है १४६ ।
१५-जया गई बहुविहं।
सव्वीजीवाण जाणई । तया पुण्णं च पावं च बंधं मोक्खं च जाणई॥
यदा गति बहुविधां सर्वजीवानां जानाति । तदा पुण्यं च पापं च बन्धं मोक्षं च जानाति ॥ १५ ॥
१५.--जब मनुष्य सब जीवों की बहुविध गतियों को जान लेता है तब वह पुण्य, पाप, बन्ध और मोक्ष को भी जान लेता
१६-जया पुण्णं च पावं च
बंधं मोक्खं च जाणई। तया निविदए भोए जे दिवे जे य माणुसे ॥
यदा पुण्यं च पापं च बन्धं मोक्षं च जानाति । तदा निविन्ते भोगान् यान् दिव्यान् याश्च मानुषान् ॥ १६ ॥
१६- जब मनुष्य पुण्य, पाप, बन्ध और मोक्ष को जान लेता है तब जो भी देवों और मनुष्यों के भोग हैं उनसे विरक्त हो जाता है।
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