SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५० प्रथम अध्ययन : सूत्र १७२-१७८ १७२. तए णं तुम मेहा! तस्सेव दिवसस्स पच्चावरण्हकालसमयंसि नियएणं जूहेणं सद्धिं समण्णागए यावि होत्था। नायाधम्मकहाओ १७२. मेघ! उसी दिन मध्यान्होपरांत तीसरे प्रहर में तूं अपने यूथ के साथ जा मिला। १७३. तए णं तुम मेहा! सत्तुस्सेहे जाव सन्निजाईसरणे चउदंते मेरुप्पभे नाम हत्थी होत्था।। १७३. मेघ! तू सात हाथ ऊंचा यावत् समनस्क जन्मों को जानने वाले जाति स्मरण ज्ञान वाला, चार दांत वाला मेरुप्रभ नाम का हाथी था। मेरुप्पभेण मंडलनिम्माणपदं १७४. तए णं तुझं मेहा! अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था- सेयं खलु मम इयाणिं गंगाए महानईए दाहिणिल्लंसि कूलंसि विंझगिरिपायमूले दवग्गिसंताणकारणट्ठा सएणं जूहेणं महइमहालयं मंडलं घाइत्तए त्ति कटु एवं सपेहेसि, सपेहेत्ता सुहंसुहेणं विहरसि ।। मेरुप्रभ द्वारा मण्डल-निर्माण-पद १७४. मेघ! तब तेरे मन में इस प्रकार का आध्यात्मिक यावत् संकल्प उत्पन्न हुआ--"इस समय मेरे लिए उचित है मैं महानदी गंगा के दक्षिणी तट पर विन्ध्यगिरि की तलहटी में, दावानल से त्राण पाने के लिए अपने यूथ के साथ एक महान मण्डल का निर्माण करूं"--तूं ने ऐसी संप्रक्षा की। संप्रेक्षा कर सुखपूर्वक रहने लगा। १७५. तए णं तुम मेहा! अण्णया कयाइ पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि सन्निवइयंसि गंगाए महानईए अदूरसामंते बहूहि हत्थीहि य जाव कलभियाहि य सत्तहि य हत्थिसएहिं संपरिखुडे एगं महं जोयणपरिमंडलं महइमहालयं मंडलं घाएसि--जं तत्थ तणं वा पत्तं वा कटुं वा कंटए वा लया वा वल्ली वा खाणुं वा रुक्खे वा खुवे वा, तं सव्वं तिक्खुत्तो आहुणिय-आहुणिय पाएणं उट्ठवेसि, हत्थेणं गिण्हसि, एगते एडेसि ।। १७५. मेघ! किसी समय प्रथम पावस में महावृष्टि होने पर१३०, महानदी गंगा के न दूर, न निकट, बहुत सारे हाथियों यावत् कलभों-कुल सात सौ हाथियों से संपरिवृत हो तूं ने एक महान एक योजन के गोलाकार अत्यन्त विशाल मण्डल का निर्माण किया। वहां जो घास-पात काठ, काट, लता, वल्ली, लूंठ, वृक्ष अथवा क्षुप था, उन सबको तूं ने तीन बार हिला, हिलाकर पैरों से उखाड़ा, सूण्ड में लिया और एक ओर फेंक दिया। १७६. तए णं तुम मेहा! तस्सेव मंडलस्स अदूरसामते गंगाए महानईए दाहिणिल्ले कूले विंझगिरिपायमूले गिरीसु य जाव सुहंसुहेणं विहरसि । १७६. मेघ! तूं उसी मण्डल के न दूर, न निकट महानदी गंगा के दक्षिण तट पर विन्ध्यगिरि की तलहटी में पहाड़ों यावत् काननों में सुखपूर्वक रहने लगा। १७७. तए णं तुम मेहा! अण्णया कयाइ मज्झिमए वरिसारत्तंसि महावुट्ठिकायंसि सन्निवइयंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता दोच्चं पि मंडलघायं करेसि । __ एवं--चरिमवरिसारत्तंसि महावुट्टिकायंसि सन्निवयमाणंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता तच्चं पि मंडलघायं करेसि जाव सुहंसुहेणं विहरसि ।। १७७. मेघ! किसी समय वर्षाऋतु के मध्यकाल में महावृष्टि होने पर तूं जहां वह मण्डल था वहां आया, वहां आकर दूसरी बार भी उस (मण्डल में उगे घास पात आदि को उखाड़ कर) मण्डल को निर्मूल किया। इसी प्रकार वर्षाऋतु के अन्तकाल में महावृष्टि होने पर, तूं जहां मण्डल था, वहां आया। आकर तूं ने तीसरी बार भी उस (मण्डल में उगे घास-पात आदि को उखाड़कर) मण्डल को निर्मूल किया यावत् सुखपूर्वक रहने लगा। दवग्गिभीतसावयाणं मंडलपवेस-पदं १७८. तए णं तुम मेहा! अण्णया कयाइ कमेण पंचसु उऊसु समइक्कतेसु गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूले मासे पायव-घंससमुट्ठिएणं जाव संवट्टइएसु मियपसुपंखिसरीसिवेसु दिसोदिसिं विप्पलायमाणेस तेहिं बहूहिं हत्थीहि य सद्धिं जेणेव से मंडले तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तत्थ णं अण्णे बहवे सीहा य वग्धा य विगा य दीविया य अच्छा य तरच्छा य परासरा य सियाला य विराला य सुणहा य दावानल से भीत श्वापदों का मण्डल में प्रवेश-पद १७८. मेघ! किसी समय क्रमश: पांचों ऋतुओं के बीत जाने पर, ग्रीष्म ऋतु के समय ज्येष्ठ मास में वृक्षों के संघर्षण से समुत्थित वनदव की ज्वालाओं से यावत् पर्वतों पर प्रलयंकारी अग्नि का दृश्य उपस्थित हो गया। हरिण, पशु, पक्षी और सांप इधर-उधर भागने लगे। उस समय तूं ने उन बहुत सारे हाथियों के साथ, जहां वह मण्डल था, वहां जाने का संकल्प किया। उस मण्डल में अन्य बहुत सारे सिंह, बाघ, भेड़िये, चीते, भालू, Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003624
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages480
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy