SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीसरे से बारहवें देवलोक में ३३ बोल पावै । तिण मांही समवसरण १. कृष्णपक्षी में २. मिध्यादृष्टि में ३. अज्ञानी में ४. मतिअज्ञानी में ज्ञानी में ५. ६. विभंगअज्ञानी में ७. सम्यकदृष्टि में ८. सज्ञानी में ९. मतिज्ञानी में १०. श्रुतज्ञानी में ११. अवधिज्ञानी में १२. मिश्र दृष्टि में १३-३३. शेष २१ बोलों में १. कृष्णपक्षी में २. मिध्यादृष्टि में ३. अज्ञानी में ४. मतिअज्ञानी में ५. श्रुतअज्ञानी में ६. विभंगअज्ञानी में ७. सम्यकदृष्टि में ८. सज्ञानी में ९. मतिज्ञानी में में ५६. १०. ११. अवधिज्ञानी में १२- ३२. शेष २१ बोलों में समव क्रिया | अक्रिया | अज्ञान | विनय बादी वारी वादी वादी सरण ३ ३ ३ १ १ १ १ नव ग्रैवेयक में ३२ बोल पावै । तिण मांही समवसरण - Jain Education International ३ ३ ३ ३ नहीं पा नहीं पावे नहीं पार्व १ नहीं पाये पार्व नहीं पार्व पार्व नहीं पार्व *लय : श्री जिनधर्मं जिन आगन्या दीया ३१० भगवती जोड़ पार्व पाव पाव पाव नहीं पाव नहीं पावे नहीं पावे नहीं पार्व नहीं नहीं नहीं पावे पार्व पाव पाव नहीं पाये नहीं पार्व नहीं पाये पार्व नहीं नहीं समव क्रिया । अक्रिया अज्ञान विनय सरण वादी वादी वादी वादी पाव नही पार्व नहीं पायें नहीं नहीं नहीं नहीं पार्व सोरठा जीवादिक पणवीस, पद नैं विषेज आखिया । समवसरण सुजगीस, तस् आयुबंध हिव कहे ॥ पांच अनुत्तर विमान में २६ बोल पावें । तिण मांही समवसरण - सभी बोलों में समवसरण १ क्रियावादी पावे । पार्व पाव पार्व पार्व पार्व पार्व नहीं नहीं पार्व पार्व पाव पार्व पार्श्व पाव नहीं पार्व पाव पाव नहीं पार्व पार्व पार्व नहीं पार्व पार्व पार्व पाव नहीं पार्व नहीं पाव | पार्व पार्व ५७. *शत तीसम नुं देश ए, चिहुं सौ पचितरमी ढाल । भिक्षु भारीमल ऋषिराय थी, 'जय जय' मंगलमाल । नहीं नहीं नहीं पार्व नहीं नहीं नहीं नही नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं पार्व For Private & Personal Use Only ५६. जीवादिषु पञ्चविंशती पदेषु यद्यत्र समवसरण - मस्ति तत्तत्रोक्तम्, अथ तेष्वेवायुबंध निरूपणावाह( वृ. प. ९४५) www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy