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________________ الله الله الله الله له م पाव भवनपति अनें वाणव्यंतर में ३७ बोल पाव। तिण मांही समवसरण | समव | क्रिया अक्रिया अज्ञान | विनय |सरण | वादी वावी वादी वादी १. कृष्णपक्षी में नहीं पावै पावै । पावै २. मिथ्यादृष्टि में नहीं पावै पावै पाव ३. अज्ञानी में नहीं पावै पावै पाव ४. मतिअज्ञानी में नहीं पावै पाव पाव ५. श्रुतअज्ञानी में पाव पाव ६. विभंगअज्ञानी में पावै पाव पावै ७. सम्यकदृष्टि में नहीं नहीं नहीं ८. सज्ञानी में नहीं नहीं ९. मतिज्ञानी में नहीं नहीं नहीं १०. श्रुतज्ञानी में पाव ११. अवधिज्ञानी में नहीं नहीं नहीं १२. मिश्रदष्टि में | नहीं | नहीं पावै पाव १३-३७. शेष २५ बोलों में ।४ । पावै | पावै पावै पृथ्वी, पानी, वनस्पति में बोल २७ । तेऊ, वायु में बोल २६ । तीन विकलेन्द्रिय में ३१ बोल पावै । तिण माही समवसरण आपण-आपण ठिकाण जेतला बोल पावै, ते माही समवसरण २ पावअक्रियावादी, अज्ञानवादो। नहीं नहीं पाव पाव مه नहीं مه مه पाव नहीं नहीं पाव مه له पाव पाव पार्व पाव पाव पाव पाव तिथंच पंचेन्द्रिय में ४० बोल पावै। तिण मांही समवसरण समव | क्रिया | अक्रिया अज्ञान | विनय | सरण | वादी | वादी वादी | वादी १. कृष्णपाक्षिक में नहीं पावै । पावै । पाव २. मिथ्यादष्टि में ३ नहीं पावै पाव ३. अज्ञानी में ३ नहीं ४. मतिअज्ञानी में पाव ५. श्रुतअज्ञानी में पाव ६ विभंगअज्ञानी में पाव पाव ७. सम्यकदृष्टि में ८. सज्ञानी में नहीं नहीं ९ मतिज्ञानी में १०. श्रुतज्ञानी में नहीं नहीं ११. अवधिज्ञानी में नहीं नहीं १२. मिश्रदृष्टि में पाव पावै १३-४०. शेष २८ बोलों में । ४। पावै पावै पाव poro...10000 पाव नहीं EFFFFFFFFFFFFEE नहीं नहीं 199891 नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं पाव पावै ३०८ भगवती जोड Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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