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________________ असुरकुमार आदि १० भवनपति में बोल पावै ३७ १. समुच्चय असुरकुमार २. सलेशी ३. कृष्णलेशी ४. नीललेशी ५. कापोतलेशी ६. तेजुलेशी ७. कृष्णपाक्षिक ८. शुक्लपाक्षिक ९. सम्यक दृष्टि १०. मिध्यादृष्टि ११. मिदृष्टि १२. समुच्चय ज्ञानी १३. मतिज्ञानी १४. ज्ञानी १५. अवधिज्ञानी १६. समुच्चय अज्ञानी १७. मतिअज्ञानी १८. तानी ४. नीललेशी ५. कापोतलेशी ६. तेजुलेशी ७. कृष्णपाक्षिक ८. पाक्षिक ९. मिध्यादृष्टि १०. अनाणी ११. मतिअनाणी १२. नाणी १९. विभंग अज्ञानी २०. आहारसण्णोवउत्ता २१. भयसण्णोवउत्ता पृथ्वी, पानी, वनस्पति में बोल पार्व २७ १. समुच्चय पृथ्वी २. सलेशी ३. कृष्णलेशी ३०४ भगवती जोड़ २२. २२. परिग्रहणवत्ता २४. सवेदी Jain Education International २५. स्त्रीवेदी २६. पुरुषवेदी २७. सकषायी २८. क्रोधकषायी २९. मानकषायी ३०. मायाकषायी ३१. लोभकषायी ३२. सजोगी ३३. मनजोगी ३४. वचनजोगी ३५. कायजोगी ३६. सागारोवउत्ता ३७. अणागारोवउत्ता १४. भयसण्णोवउत्ता १५. मैथुनसण्णोवउत्ता १६. परिग्रहणवत्ता १७. सवेदी १८. नपुंसक वेदी १९. सकषायी २०. क्रोधकषायी २१. मानकषायी २५. कायजोगी १३. आहारसण्णोवउत्ता २६. सागारोवउत्ता २७. अणागारोवउत्ता २२. मायाकषायी २३. लोभकषायी २४. सजोगी बोल नथी पावे १. पद्मलेशी २. ३. अलेशी ४. मनपर्यवज्ञानी ५. केवलज्ञानी ६. नोसण्णोवउत्ता ७. नपुंसक वेदी ८. अवेदी ९. अकषायी १०. अजोगी बोल नथी पार्व १. पद्मलेशी २. ३. अलेशी ४. सम्यकदृष्टि ५. मिश्र दृष्टि ६. सनाणी ७. मतिज्ञानी ८. श्रुतज्ञानी ९. अवधिज्ञानी १०. मनपर्यवज्ञानी ११. केवलज्ञानी १२. विभंगअनाणी १३. नोसण्णोवउत्ता १४. स्त्रीवेदी १५. पुरुषवेदी १६. अवेदी १७. अकषायी १५. मनजोगी १९. वचनजोगी २०. अजोगी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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