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________________ १३५ १३७ १४० १४१ १४१ १०१ १०२ ००००० ० ० ० ० ० ० ० ० wr m mm" x 9 0 १४३ १४४ १०३ १०४ १०५ १०६ १४६ १४७ १४९ १५१ १५२ ~ १०७ १०८ ११० १५२ १११ ११२ १५४ १५४ ११४ १५६ १५८ सकम्प निष्कम्प पुद्गल का अन्तर सकम्प निष्कम्प पुदगल का अल्पबहुत्व अस्तिकाय के मध्यप्रदेश पर्यव पद काल पद निगोद पद नाम (भाव) पद निग्रंथ के प्रकार पलाक निग्रंथ के प्रकार बकुश निग्रंथ के प्रकार कुशील निर्ग्रन्थ के प्रकार निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थ के प्रकार स्नातक निर्ग्रन्थ के प्रकार निर्ग्रन्थ में वेद निर्ग्रन्थ में राग निर्ग्रन्थ में कल्प निर्ग्रन्थ में चारित्र निर्ग्रन्थ में प्रतिसेवना कषायकुशील की अप्रतिसेवकता निर्ग्रन्थ में ज्ञान निर्गन्ध तीर्थ में या अतीर्थ में? निर्ग्रन्थ में लिंग निर्ग्रन्थ में शरीर निर्ग्रन्थ किस क्षेत्र में ? निर्ग्रन्थ किस काल में ? निर्ग्रन्थ की गति निर्ग्रन्थ के संयम-स्थान निग्रंन्थ से संयम स्थान का अल्पबहत्व निर्ग्रन्थ में निकर्ष-चारित्र के पर्यव पुलाक का पुलाक के साथ सन्निकर्ष पुलाक का अन्य निर्ग्रन्थों के साथ सन्निकर्ष बकुश का पुलाक के साथ सन्निकर्ष बकुश का बकुश के साथ सन्निकर्ष बकुश का शेष अन्य निर्ग्रन्थों के साथ सन्निकर्ष निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थ के साथ पुलाक यावत कषायकुशील का सन्निकर्ष निर्ग्रन्थ का निर्ग्रन्थ और स्नातक के साथ सन्निकर्ष स्नातक का पुलाक आदि निर्ग्रन्थों के साथ सन्निकर्ष स्नातक का स्नातक के साथ सन्निकर्ष निर्ग्रन्थों के चारित्र-पर्यवों का अल्पबहुत्व निर्ग्रन्थों में योग निर्ग्रन्थ में उपयोग निग्रंथ में कषाय ११७ ११८ ११९ ११९ or mr or arror-rrrr . x निर्ग्रन्थों में लेश्या निर्ग्रन्थों में परिणाम निर्ग्रन्थों में कर्म प्रकृति का बन्ध निर्ग्रन्थों में कर्मप्रकृति का वेदन निर्ग्रन्थों में कर्मप्रकृति की उदीरणा निर्ग्रन्थों में उपसंपदहान निर्ग्रन्थों में संज्ञा निर्ग्रन्थों में आहारक अनाहारक निर्ग्रन्थों में भव निर्ग्रन्थों के आकर्ष-चारित्र की प्राप्ति निर्ग्रन्थों का काल निर्ग्रन्थों में अन्तर निर्ग्रन्थों में समुद्घात निर्ग्रन्थों का क्षेत्र निर्ग्रन्थों द्वारा लोक की स्पर्शना निर्ग्रन्थ किस भाव में ? निर्ग्रन्थों का परिमाण निर्ग्रन्थों में अल्पबहुत्व संयत के प्रकार संयतों का स्वरूप संयत में वेद संयत में राग संयत में कल्प संयत में निर्ग्रन्थ संयत में प्रतिसेवना संयत में ज्ञान संयत में श्रुत की अर्हता संयत तीर्थ में या अतीर्थ में? संयत में लिंग संयत में शरीर संयत किस क्षेत्र में? संयत किस काल में ? संयत की गति संयत के संयम-स्थान संयमस्थानों का अल्पबहुत्व संयत के निकर्ष-चारित्रपर्यव संयतों के चारित्र-पर्यवों का अल्पबहुत्व संयत में योग संयत में उपयोग संयत में कषाय संयत में लेश्या संयत में परिणाम ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ our. Mrrr m99 ~ ~ xxxx ururrrrrrrrror 9 ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ १२१ १६३ १६७ १२७ १२८ १२० १६८ १२८ १६९ १३२ १७० १३२ १७० १३२ १७२ १७४ १३२ ا لله १७५ الله الله १७६ १७७ १७८ १३३ الله १३३ الله १७८ اللي १७९ १३४ १७९ १३४ १८० Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003623
Book TitleBhagavati Jod 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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