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१४. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सेए ? निरेए ?
गोयमा ! १५. सिय सेए, सिय निरेए । एव जाव अणंतपदेसिए ।
(श. २५।१९७) १६. परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि सेया? निरेया?
पुद्गल को सकम्पता-निष्कम्पता
_ *भाव सुणो पुद्गल तणां ।। (ध्रुपदं) १४. परमाणु इक वच प्रभु ! चलित सहित स्यूं तेह ।
तथा निरेज अकंप छै ? हिव जिन उत्तर देह ।। १५. सैज सकंपक छै कदा, कदा अकंपक संध ।
एवं जावत इक वचे, अनंत प्रदेशिक खंध ।। १६. प्रभु! परमाणुपोग्गला, स्यं ते सेया होय?
तथा निरेया अकंप छै ? बह वच प्रश्न ए जोय ।। १७. जिन कहै सेया सचलित अपि, अचलित पिण बह संध ।
एवं जावत बहु वचे, अनंत प्रदेशिया खंध ।। १८. इक वचने परमाणुओ, सेज सकंपक न्हाल ।
काल थकी भगवंत जी ! रहै केतलो काल ? १९. श्री जिन भाखै जघन्य थी, एक समय लग माग ।
उत्कृष्ट आवलिका तणों, असंख्यातमों भाग ।। २०. इक वचने परमाणुओ, निरेज अचलित न्हाल ।
काल थकी भगवंत जी! रहै केतलो काल ? २१. श्री जिन भाखै जघन्य थी, एक समय लग तेम।
उत्कृष्ट काल असंख ही, जाव अनंत प्रदेशिक एम ।।
२२. प्रभु ! परमाणुपोग्गला, सचलितपणे बहु न्हाल ।
कितो काल रहै काल थी?जिन भाखै सदा काल ।।
१७. गोयमा ! सेया वि, निरेया वि। एवं जाव अणंतपदे सिया ।
(श. २५॥१९८) १८. परमाणुपोग्गले णं भंते ! सेए कालओ केवच्चिर
होइ? १९. गोयमा ! जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलि
याए असंखेज्जइभागं । (श. २५॥१९९) २०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! निरेए कालओ केबच्चिर
होइ ? २१. गोयमा! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं । एवं जाव अणंतपदेसिए।
(श २५।२००) २२. परमाणुपोग्गला ण भंते ! सेया कालओ केवच्चिरं
होति? गोयमा ! सव्वद्ध।
(श. २०२०१) वा०-'सव्वद्धं' ति सर्वाद्धां-सर्वकालं परमाणवः सैजा: सन्ति, नहि कश्चित् स समयोऽस्ति कालत्रयेऽपि यत्र परमाणवः सर्व एव न चलन्तीत्यर्थः ।
(वृ. प. ८८६) २३. परमाणपोग्गला णं भंते ! निरेया कालओ केवच्चिर
होंति? गोयमा ! सव्वद्धं । वा० एवं निरेजा अपि सर्वाद्धामिति ।
(व. प. ८८६)
वा०-सदा काले घणां परमाणु आ सेज सकंप छै । तीनूं काले पिण एहवं कोई समय नथी जे समय नै विष परमाणुआ सर्वहीज न चले। एतल तीनूं काले जे समय पूछते समय नै विष घणां परमाणुआ चलितपणां सहित लाभ ईज । २३. प्रभु ! बहु वच परमाणुआ, निरेज अचलित न्हाल ।
कितो काल रहै काल थी?जिन भाखै सदा काल ।।
२४ एवं जाव अणंतपदेसिया।
(श. २५।२०२)
वा० भावना पूर्ववत तीनं काले जे समय पुछ ते समय घणां परमाणुआ अचलित लाभ । तीनूं काल में जे समय पूछे ते समय परमाणुआ सकंप पिण घणां लाधै अनैं अकंप पिण घणां लाधै । ते भणी इम कह्यो घणां परमाणुआ सकंप पिण सदा काल अन अकंप पिण सदा काल । २४. एवं जावत जाणवा, अनंत प्रदेशिया खंध ।
बहुवचने करी आखिया, न्याय पूर्ववत संध ।। २५. परमाणु नै हे प्रभु ! सेज सकंप ने जेह ।
कितो काल अंतर हवै ? इक वच प्रश्नज एह ।।
वा०-इक वचने परमाणु सकंपपण छ ते अकंप थई वली केतले काले कंप? इति प्रश्न ।
२५. परमाणपोग्गलस्स णं भंते ! सेयस्स केवतियं कालं
अंतरं होइ?
*लय : वेग पधारो महिल थी
८४ भगवती जोड़
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