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________________ ५१२. सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ५१३. एवं गरुएणं एगत्तेणं, लहुएणं पुहत्तेणं, एते वि सोलस भंगा, हिवै सहु कर्कश गुरु एक वचन लघु बहु वचने करि १६ भांगा हुवै, तिणरो प्रथम भांगो कह छै--- ५१२. सर्व कर्कश ते पहिछाण, देश गुरु देशा लहुया जाण । देश शीत देश उष्ण होय, देश निद्ध देश लुक्ख जोय ।। ५१३. एम गुरु एक वचनेह, लघु बहु वचने करि लेह । चिहुं चौक करी नैं सोय, सोलै भांगा करिवा जोय ।। हिवं गुरु तो बहु वचन, लघु एक वचन करि १६ भांगा हुवै, तिणरो प्रथम भांगो कहै छ५१४. सर्व कर्कश फर्श विचार, देशा गुरुया देश लघु धार । देश शीत देश उष्ण जान, देश निद्ध देश लुक्ख मान ।। ५१५. इम गुरुया बहु वचनेह, लघु इक वचने करि लेह । चिहुं चौक करीने सोय, ए पिण षोडश भांगा होय ।। हिवं गुरु लघु बिहुँ बहु वचने करि १६ भांगा हुवे, तेहनों प्रथम भांगो कह ५१४. सव्वे कक्खडे देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ५१५. एए वि सोलस भंगा भाणियव्वा, ५१६. सव्वे कक्खडे देसा गरुया देसा लहया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ५१७,५१८, एए वि सोलस भंगा भाणियव्वा, एवमेते चउसटुिं भंगा कक्खडेण समं । ५१९. सव्वे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ५२०. एवं मउएण वि समं चउसट्टि भंगा भाणियव्वा । ५१६. हुवै सगलाइ कर्कश फास, देश। गुरुया देशा लहुया तास । देश शीत देश उष्ण देख, देश निद्ध देश लुक्ख पेख ।। ५१७. इम गुरु लघु पहिछाण, बिहुं बहु वचने करि जाण। चिहुं चौक करी सोल भंग, थया चउसठ भांगा सुचंग ।। ५१८. सर्व कर्कश फर्श संघात, इम चउसठ भांगा ख्यात । ए चउसठ भांगां रै मांय, सह कर्कश फर्श कहाय ।। ए सर्व कर्कश फर्श संघाते ६४ भागा कह्या । इम सर्व मृदु संघाते ६४ भांगा हुवै, तेहनों प्रथम भांगो कहै छै५१९. सर्व मृदु फर्श सुविचार, देश गुरु देश लघु धार । देश शीत देश उष्ण फास, देश निद्ध देश लुक्ख तास ।। ५२०. सर्व मृदु संघाते एम, भणवा चउसठ भांगा तेम। ते चउसठ भांगां मांय, सर्व मृदु फर्श कहिवाय ।। सर्व गुरु संघाते ६४ भांगा हुवं, तेहमें प्रथम भांगो कह छै५२१. सगलाइ गुरु सुविमास, देश कर्कश देश मृदु तास । देश शीत देश उष्ण जान, देश निद्ध देश लुक्ख मान ।। ५२२. इम सर्व गुरु रै संघात, कहिवा चउसठ भांगा विख्यात । ते चउसठ भांगां मांय, सगलै सर्व गुरु कहिवाय ।। सर्व लघु संघाते ६४ भांगा हुवै, तेहमें प्रथम भांगो कहै छै५२३. तथा सर्व लघु कहिवाय, देश कर्कश देश मृदु पाय। देश शीत देश उष्ण होय, देश निद्ध देश लुक्ख जोय ।। ५२४. इम सर्व लघु संग जान, चउसठ भांगा पहिछान । ते चउसठ भांगां मांय, सगले सर्व लघु कहिवाय ।। सर्व शीत संघाते ६४ भांगा हुवै, तेहमें प्रथम भांगो कह छै५२५. तथा सर्व शीत छै तेह, देश कर्कश देश मृदु जेह। देश गुरु देश लघु एह, देश निद्ध देश लुक्ख लेह ।। ५२१. सव्वे गरुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ५२२. एवं गरुएण वि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा । ५२३. सव्वे लहुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ५२४. एवं लहुएण वि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा । ५२५. सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, श० २०, उ०५, ढा० ४०२ ३१७ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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