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________________ ५२६. एवं सीतेण वि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा । ५२७. सब्वे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गला देसे लहुए देसे निझे देसे लुक्खे, ५२८, एवं उसिणेण वि समं चउसट्टि भंगा कायब्वा । ५२९. सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे ___ लहुए देसे सीए देसे उसिणे, ५३०. एवं निद्रण वि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा । ५२६. इम सर्व शीत रै संघात, भणवा चउसठ भांगा विख्यात । ते चउसठ भांगां मांय, सगलै सर्व शीत कहिवाय ।। सर्व उष्ण संघाते ६४ भांगा हुवे, तेहमें प्रथम भांगो कहै छ५२७. तथा सर्व उष्ण कहिवाय, देश कर्कश देश मृदु पाय । देश गुरु देश लघु हुंत, देश निद्ध देश लुक्ख मंत ।। ५२८. इम उष्ण संघाते विचार, कहिवा चउसठ भांगा सार । ते चउसठ भांगां मांय, सगलै सर्व उष्ण कहिवाय ।। सर्व निद्ध संघाते ६४ भागा हुवै, तहमें प्रथम भांगो कहै छै-- ५२९. तथा सर्व निद्ध कहिवाय, देश कर्कश देश मृदु पाय । देश गुरु देश लघु चंग, देश शीत देश उष्ण अंग ।। ५३०. इम सर्व निद्ध र संघात, कहिवा चउसठ भांगा विख्यात । ए चउसठ भांगां मांय, सगलैइ निद्ध कहिवाय ।। सर्व लुक्ख संघाते ६४ भांगा हुवै, तेहमें प्रथम भांगो कहै छ-... ५३१. तथा सर्व लुक्ख कहिवाय, देश कर्कश देश मृदु पाय । देश गुरु देश लघु थाय, देश शीत देश उष्ण पाय ।। ५३२. इम सर्व लुक्खरै संघात, कहिवा चउसठ भांगा सुजात । ते चउसठ भांगां मांय, चर्म भंग हिवै कहिवाय ।। ५३३. ते सर्व लुक्ख पहिछाण, देशा कक्खडा देशा मउया मान । देशा गुरुया देशा लहुया होय, देशा शीता देशा उष्णा जोय ।। एवं ५१२ भांगा थया। ५३४. ए सप्त फर्श रै माय, अष्ट पदे करी कहिवाय । इक-इक पद में चउसठ-चउसठ भंग, सर्व पांचसौ बार सुचग ।। सप्त फर्श नां ५१२ भांगा ढाल थी कह्या। तेहनी चउभंगी १२८ हुवै, ते यंत्र थी कहै छ-बादर अनंत प्रदेशिक खंध में सात फर्श पावै, तेहनी १२८ चउभंगी हवं ते कहै छ हिवे सर्व कर्कश गुरु लघु एक वचन करि ४ चउभंगी नां १६ भांगा हुवे । तिणमें प्रथम चउभंगी कहै छ - स.क. दे.गु. दे.ल. दे.शी. दे.उ. दे.नि. दे.लू. ५३१. सब्वे लुक्खे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए उसिणे, ५३२. एवं लुक्खेण वि समं चउस४ि भंगा कायव्वा जाव ५३३. सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देखा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा, ५३४. एवं सत्तफासे पंच बारसुत्तरा भंगसया भवंति । २ स ३स १ १ १ १ १ Form our ३ ए प्रथम चउभंगी नां ४ भांगा का। इम आगल पिण विचार लेवा। पिण शेष १२७ चउभंगी नों प्रथम-प्रथम भांगो कहै छ २ स ३ स ४ स ए सर्व कर्कश गुरु लघु एक वचन संघाते १६ भांगा नी ४ चउभंगीकही। ३१८ भगवतो जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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