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________________ १५ ए १३ लोहियना हालिएगा ३ मुस्किलए १ १६ कालए १ नीलगा ३ लोहियगा ३ हालिद्दगा ३ सुक्किलगा ३ १७ काला नीलगाए एहालिए लिए १ १८ कालगा ३ नीलए १ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलगा ३ १९ कालगा ३ नीलए १ लोहियए १ हालिगा ३ सुक्किलए १ २० कालगा ३ नीलए १ लोहियए १ हालिगा ३ सुक्किलगा ३ २१ काला लोहिया २ हालिए ११ २२ का ३१ मोहिमा हालिए सुक्किलगा २३ कालानीए १ मा ३ हालिया ३क्लिए १ २४ कालगा ३ मीलए १ लोहियगा ३ हालिगा ३ सुक्किलगा ३ २५ कालगा ३ नीलगा ३ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलए १ २६ कालगा ३ नीलगा ३ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलगा ३ २७ कालगा ३ नीलगा ३ लोहियए १ हालिगा ३ सुक्किलए १ २८ कालगा ३ नीलगा ३ लोहियए १ हालिगा ३ सुक्किलगा ३ २९ कालगा ३ नीलगा ३ लोहियगा ३ हालिदए १ सुक्किलए १ ३० कालगा ३ नीलगा ३ लोहियगा ३ हालिद्दए १ सुक्किलगा ३ ३१ कालगा नीलगा लोहियना ३ हालिएगा मुस्किलए १ एवं वर्ण नां भांगा २३६ गंध नां भांगा ६ पूर्ववत रस नां भांगा २३६ वर्ण नीं परं स्पर्श नां भांगा ३६ पूर्ववत एवं नव प्रदेशिक बंध नैं विषे सर्व भांगा ५१४ दस प्रदेशिक स्कन्ध में वर्णादि भंग ३८९. प्रदेशिक प्रश्न पिछाण, कदा एक वर्ष जिन माण | नव प्रदेशिया जिम तास, जाव कदाचित् चिहुं फास || ३९०. जो एक वर्ण हुवै दोष संयोगे असी ३९१. च्यार वर्ण योगे असी जान, नव पंच वर्ण योगे सुजगीस तिमहिज ३९२. नवरं बतीसमों ए भंग, पांचू वर्ण कदा कृष्ण बहु वच होय, जाव सुक्किल ३९३. इम इक द्विक त्रिक संयोग, चउक्क सर्व दोयसौ नं सेतीस पंच वर्ण ३९४. गंध नां षट भांगा कहाय, नव रस नां दोयसौ नैं सैंतीस ३९५. फर्म नां घट तीसज भंग, सर्व पांचसौ सोलै संपेख, , संच एक वर्ण संयोगे पंच | भंग, तीन वर्ण योगे असी चंग || प्रदेशिक जिम आन । भांगा इकतीस ॥ बहुवच चंग | बह वच जोय ।। संयोगे प्रयोग । पंच नां भंग जगीस || प्रदेशिक जिम पाय । एहना वर्ण नां ज्यू जगीस ॥ प्रदेशिक जिम चंग | चठ दश प्रदेशिक नां ए देख || ३९६. दश प्रदेशियो बंध जेम, संख्यात प्रदेशियो एम पांवसी ने सोले भंग होय, पूर्वली पर ३९७. इम असंख प्रदेशियो बंध, पांचसौ सोले सोले सूक्ष्म अनंत प्रदेशिक एम पांचसौ २९४ भगवती जोड़ Jain Education International 7 1 अवलोय ॥ भंग कथंद | भंगा तेम ॥ ३८९. दसपएसिए णं भंते ! खंधे - पुच्छा । गोयमा ! सिय एगवणे जहा नवपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । ३९०,३९१. जइ एगवणे ? एगवण-दु-तवचडवण्णा जहेव नवपए सियस्स । पंचवण्णे वि तहेव, ३९२. नवरं - बत्तीसतिमो भंगो भण्णति ३९३. एवमेते एक्का-पंचगसंजोए दोण्णि सत्ततीसा भंगसया भवंति । ३९४. गंधा जहा नवपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । ३९५. फासा जहा चउप्पएसियस्स । ३९६. जहा दसपए सिओ एवं संखेज्जपएसिओ वि । ३९७. एवं असंखेज्जपएसिओ वि। सुहुमपरिणओ अनंतएसिनो वि एवं चैव । ( ० २०/२५) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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