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________________ ३१९. इम अनुक्रमे उच्चरिवा, जान भंग पनरमों कहाय, ३२०. कदा कृष्ण नील लाल पील, पूर्ववत भांगा करवा । तिके जुआ-जुआ कहूं ताय ।। चिहुं इक बचनेज समील सुक्किल बहु वचने अबलोय, द्वितीय भंग ए होय ॥ पीलो बहु वच बहु नभ पेख । धवलो इक वच इक नभ मांय, ३२२. कदा कृष्ण नील लाल एक, सुक्किल वह बच बहु नभ मांव, ३२३. कदा कृष्ण नील वच एक, पीलो इक वच इक नभ थाय, ३२४. कदा कृष्ण नील वच एक, ए तृतीय भंग कहिवाय ॥ पीलो बहु वच बहु नभ पेख । ए तुर्य भंग कहिवाय ॥ लाल बहु वच बहु नभ पेख । सुक्किल इक वच इक नभ पाय ॥ लाल बहु वच बहु नभ पेख | पीलो इक वच इक नभ मांय, धवलो बहु वच बहु नभ पाय ।। ३२५. कदा कृष्ण नील वच एक, लाल बहु वच बहु नभ पेख । पीलो बहु वच बहु नभ मांय, धवलो इक वच इक नभ पाय ।। ३२६. कदा कृष्ण नील वच एक, लाल बहु वच बहु नभ पेख । पीलो बहु वच बहु नभ मांय, धवलो बहु वच बहु नभ थाय ।। ३२७. कदा कृष्ण एक वच होय, नीलो बहु वच बहु नभ जोय । लाल पील एक वचनेह, सुक्किल एक वच इक नभ जेह ।। ३२८. कदा कृष्ण एक वचनेह, नील बहु वच बहु नभ लेह । लाल पील एक वच पाय, सुक्किल बहु वच बहु नभ थाय ॥ ३२९. कदा कृष्ण एक वच भाल, नील पीलो बहु वच बहु नभ पाय, धवलो ३२०, कदा कृष्ण एक वच जोय, । बहु वच इक वच लाल । इक वच इक नभ थाय ।। नील बहु बच बहु नभ होय | लाल इक वच इक नभ मांय, पीलो धवलो बहु वच थाय ।। ३३१. कदा कृष्ण एक वच लेह, नील लाल बहु वच जेह । पीलो इक वच इक नभ पाय, धवलो इक वच इक नभ थाय ॥ ३३२. कदा कृष्ण एक वचताम, नील लाल बहु वच पाम । पीलो इक वच इक नभ पाय, धवलो बहु वच बहु नभ थाय ।। नील लाल पील बहु लेह । पाय, एपनरम भंग कहाय ॥ नील लाल इक वच जोय । पीलो इक वच इक नभ मांय, धवलो इक वच इक नभ पाय ॥ ३३५. कदा कृष्ण बहुवच देख, नील लाल पील वच एक । सुक्किल बहु वच बहु नभ पाय, ए सतरम भंग कहाय ॥ ३३६. कदा कृष्ण बहु वचनेह, नील लाल एक वच लेह । ३३३. कदा कृष्ण एक वचनेह, सुक्किल इक वच इक नभ ३३४. कदा कृष्ण बहु वच होय, पीलो बहु वच बहु नभ मांय, सुक्किल इक वच इक नभ पाय ॥ ३३७. कदा कृष्ण बहु वच होय, नील लाल एक वच जोय । पीलो बहु वच बहु नभ पाय, धवलो बहु वच बहु नभ थाय ॥ ३३८. कदा कृष्ण बहु वच लेह, नीलो इक वचनेज कह । लाल बहु वच बहु नभ चाय पीलो सुक्किल एक बच पाय ।। ३३९. कदा कृष्ण बहु वच भाल, नील इक वच बहु वच लाल । पीलो इक वच इक नभ मांय, धवलो बहु वच बहु नभ पाय । २८८ भगवती जोड़ ३२१. कदा कृष्ण नील लाल एक, Jain Education International ३१९. एवं एएणं कमेण भंगा चारेयव्वा जाव ३२०. २. सिय कालए य नीलए य लोहियगे य हालिहगे यलगाय ३३३. १५. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिया मिलगे म एसो पन्नरसमो भंगो, ३३४. १६. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिए य सुक्किलए य ३३५. १७. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिहगे या प य लोहियगे य ३३६. १८. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिग व सुनिल व ३३७. १९. सिय कालगाय नीलगे हालिगा य सुक्किलगा य, ३३८. २०. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिए य सुक्किलए य, ३३९. २१. सिय कालगा य हालिए पक्किलमा य नीलगे य लोहियगा य For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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