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१६ पंचसंयोगे भांगा १६ ते कहै छै
१ कालए १ नीलए १ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलए १ २ कालए १ नीलए १ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलगा ३ ३ कालए १ नीलए १ लोहियए १ हालिद्दगा ३ सुक्किलए १ ४ कालए १ नीलए १ लोहियए १ हालिद्दगा ३ सुक्किलगा ३ ५ कालए १ नीलए १ लोहियगा ३ हालिद्दए १ सुक्किलए १ ६ कालए १ नीलए १ लोहियगा ३ हालिद्दए १ सुक्किलगा ३ ७ कालए १ नीलए १ लोहियगा ३ हालिद्दगा ३ सुक्किलए १ ८ कालए १ नीलगा ३ लोहियाए १ हालिद्दए १ सुक्किलए १ ९ कालए १ नीलगा ३ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलगा ३ १० कालए १ नीलगा ३ लोहियए १ हालिहगा ३ सुक्किलए १ ११ कालए १ नीलगा ३ लोहियगा ३ हालिद्दए १ सुक्किलए १ १२ कालगा ३ नीलए १ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलए १ १३ कालगा ३ नीलए १ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलगा ३ १४ कालगा ३ नीलए १ लोहियए १ हालिद्दगा ३ सुक्किलए १ १५ कालगा ३ नीलए १ लोहियगा ३ हालिद्दए १ सुक्किलए १ १६ कालगा ३ नीलगा ३ लोहियए १ हालिद्दए १ सुक्किलए १ ६ गंध नां भांगा ६ पूर्ववत २१६ रस नां भांगा २१६ पूर्वे कह्या तिम कहिवा। ३६ स्पर्श नां भांगा ३६ पूर्ववत
एवं सर्व भांगा ४७४ ।
अष्टप्रदेशिक स्कन्ध में वर्णादि भंग ३१०. अष्ट प्रदेशिक खंध जान, तिणमें वर्ण किता भगवान ?
इत्यादिक प्रश्न पूछ्यां ताय, जब उत्तर दै जिनराय ।। ३११. कदा एक वर्ण तिण में होय, जिम सप्त प्रदेशिक जोय।
तिम कहिवो सर्व विमास, कदाचित जाव चिहं फास ।। ३१२. जो एक वर्ण हुवै संच, इम एक वर्ण नां पंच।
दोय वर्ण नां भंग चालीस, तीन वर्ण नां अस्सी जगीस ।। ३१३. जिम सप्त प्रदेशिक खंध, तेहनां भांगा कह्या अमंद ।
एक बे तीन वर्ण नां तास, तिम एहनां पिण भांगा विमास ।। ३१४. कदा च्यार वर्ण तिणमें होय, तो कदा कृष्ण एक वच जोय ।
नील लाल पील वच एक, ए प्रथम भंग संपेख ।। ३१५. कदा कृष्ण एक वच होय, नील इक वच इक नभ जोय।
लाल इक वच इक नभ मांय, पीलो बहु वच बहु नभ पाय ।। ३१६. जिम सप्त प्रदेशिक मांय, जाव कृष्ण नील बहु थाय ।
लाल पील बहु वचनेह, ए सोलमो भंग कहेह ।। ३१७. इम चउक्क संयोगे जे पंच, इक-इक संयोग विषे विरंच । __ सोल-सोल भांगा अवलोय, सर्व अस्सी भांगा इम होय ।।
पंचयोगिक वर्ण नां २६ भांगा ३१८. जो पंच वर्ण तिणमें होय, कदा कृष्ण नील अवलोय ।
लाल पील सुक्किल वर्ण जान, पांचू इक वचने पहिछान ।।
३१०. अट्टपएसिए णं भंते ! खंधे-पुच्छा ।
३११. गोयमा ! सिय एगवण्णे जहा सत्तपएसियस्स जाव
सिय चउफासे पण्णत्ते। ३१२. जइ एगवण्णे ? एवं एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्णा
३१३. जहेव सत्तपएसिए ।
३१४. जइ चउवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य
लोहियए य हालिद्दए य, ३१५. २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्द गा
३१६. एवं जहेव सत्तपएसिए जाव, १६. सिय कालगा य
नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य, ३१७. एए सोलस भंगा, एवमेते पंच चउक्कसंजोगा, एवमेते
असीति भंगा।
३१८. जइ पंचवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य
लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य,
श०२०, उ०५, डा० ४०२ २८७
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