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कालए य नीलए य
२३४, जब चउवणे ? १. सिय
लोहियए य हालिद्दए य,
२३५. २. सिय कालए य नीलए य लोहियए हालिद्दगा य,
२३६. ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए
कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगा
कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए
२३९. ६. सिय कालए य नीलगा य लोहिए य हालिद्दगा
२४०, ७. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए
२४१. ८. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए
कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा
चतुष्कयोगिक ५५ भांगा२३४. जो च्यार वर्ण ह संमील,
" तो कदा कृष्ण नील लाल पील। ए च्यारूं कह्या वच एक,
ए प्रथम भंग संपेख ।। २३५. कदा कृष्ण नील ने रक्त, त्रिहं इक वचने करि वक्त ।
पीलो बहु वचने करि जाण, ए द्वितीय भंग पहिछाण ।। २३६. कदा कृष्ण नील वच एक, लाल बह वचने करि पेख ।
पीलो इक वचने कहिवाय, ए तृतीय भंग इम थाय ।। २३७. कदा कृष्ण नील वच एक, लाल पील बह वच पेख ।
ए भंग चतुर्थो जाण, न्याय पूर्वली परै आण।। २३८. कदा कृष्ण एक वच कहिये, नील बह वचने करि लहिये।
लाल पील एक वचनेह, एपंचमो भांगो कहेह ।। २३९. कदा कृष्ण एक वच होय, नील बह वचने करि जोय ।
लाल एक वचन करि चंग, पीलो बहु वच षष्टम भंग ।। २४०. कदा कृष्ण एक वचनेह, नील बहु वचने करि लेह ।
लाल बहु वच इक वच पील, ए सप्तम भंग समील ।। २४१. कदा कृष्ण बहु वच देख, नोल लाल पील वच एक ।
ए अष्टम भंग कहाय, कृष्ण बहु वच बहु नभ मांय ।। २४२. कदा कृष्ण बहु वच जान, नील लाल एक वच मान ।
पील बह वचने करि पेख, ए नवमों भांगो देख ।। २४३. कदा कृष्ण बहु वच थाय, नील इक वचने कहिवाय ।
लाल बह वचने करि चंग, पील इक वच दशमों भंग ।। २४४. कदा कृष्ण नील अवलोय, बिहुं बहु वचने करि जोय।
लाल पील एक वच जाण, ए ग्यारमों भंग पिछाण ।। २४५. धुर चउक्कसंयोगज धार, तिण रा आख्या भांगा इग्यार।
एहवा चउकसंयोगा है पंच, तिके वारू रीत विरंच ।। २४६. इक-इक संयोग विषे विचार,
करिवा भांगा इग्यार-इग्यार। ग्यारै पंच गुणां कियां सोय,
सर्व भांगा पचावन होय ॥ २४७. कृष्ण नील लाल सुक्किल संग, भणवा एकादश भंग ।
ए बीजो चउक्कसंयोग, भंग करिवा दे उपयोग ।। २४८. कृष्ण नील पील सुक्किल साथ, एकादश भंग विख्यात ।
ए चउक्कसंयोग है तीजो, विध सेती भंग करीजो। २४६. कृष्ण लाल पील सुक्किल धार, ते संघात भंग इग्यार ।
चउथो चउक्कसंयोग ए होय, भांगा पूर्वली परै जोय ।। २५०. नील लाल पील सुक्किल साथ, भांगा एकादश थात ।
ए पांचमो चउक्कसंयोग, पूर्ववत भंग प्रयोग ।। २५१. पांचू पंच सयोग नां चंग, इक-इक नां ग्यार-ग्यार भग।
सर्व भंग पचावन होय, चउक्कसंयोगे अवलोय ।। २८. भगवती जोड़
२४३.१०. सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए
य,
२४४. ११. सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए
य, २४५. एए एक्कारस भंगा, एवमेते पंच चउक्कसंजोगा
कायब्वा, २४६. एक्केक्कसंजोए एक्कारस भंगा, सब्वे एते चउक्क
संजोएणं पणपण्णं भंगा।
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