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________________ २०७. कदा बहु वच कृष्ण बे काल, रह्या बे नभ मांहि विशाल । नील लाल पील वच एक, ए पंचम भांगो पेख || कृष्ण नील लाल सुक्किल संघाते ५ भांगा२०८. कदा कृष्ण नील लाल पेख, नि सुक्किल चिहुं वच एक पंच भंगा इहां पिण होय, करिवा पूर्वली पर जोय || कृष्ण नील पील सुक्किल संघाते ५ भांगा२०९. इम कृष्ण नील नैं पोल, वलि सुक्किल इहां भणवा भांगा पंच, पूर्वली कृष्ण लाल पील सुक्किल संघाते ५ भांगा२१०. कृष्ण लाल पील मुस्किल साथ, इक वच बहु वच अवदात । पंच भांगा हवं ते करिया, पूर्वली पर उच्चरिवा ।। नील लाल पील धवल संघाते ५ भांगाक्किल साथ, इहां भांगा पंच विख्यात । एक वचन बहुवचनेह, करिवा पूर्वली पर एह ॥ २१२. इम चक्क संयोगे संच, इक इक वर्णं विषे पंच पंच । पंच वर्ण विधे सुजगीस, मेलवतां हुवे पणवीस || पंच वर्ण संघाते १ भांगो २११. नील लाल पील संघात समील । परं ते विरंच ॥ २१३. जो पंच वर्ण तिण में होय, तो कृष्ण नील लाल अवलोय । पील सुक्किल पांचू वच एक, पंचयोगिक इक भंग पेख || २१४. पंच प्रदेशिया नां सुसंच, भांगा इक संयोगे पंच द्विकसंयोगे चालीस, त्रिकसंयोगे सित्तर जगीस ।। २१५. चउक्कसंयोगे पणवीस, पंचसंयोगे इक दीस | एह सर्व एकसी बंग, कारि इकतालीस भंग ॥ पंचप्रदेशिक बंधे वर्णादिक नां ३२४ भांगा नो यन्त्र१४१ पंचप्रदेशिक खंधे वर्ण ना १४१ भांगा ५. एक संयोगे भांगा ५ पूर्ववत ४० द्विक्संयोगे भांगा ४० पूर्ववत ७० त्रिसंयोगे भांगा ७० ते कहै छै - १ का ११ लोहियाए १ २१ मोहिमा ३ ३ कालए १ नीलगा ३ लोहियए १ ४ कालए १९ नीलगा ३ लोहियगा ३ ५ कालगा ३ नीलए १ लोहियए १ ६ कालगा ३ नीलए १ लोहियगा ३ ७ कालगा ३ नीलगा ३ लोहियए १ १४ इम काल नील पील संघाते एक वचन बहुवचन करिकै ७ भांगा करिया । Jain Education International २०७. ५. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिए य, एए पंच भंगा, २०.सि काल में नीलए व लोहियएव लिए य एत्थ वि पंच भंगा, २०९. एवं काल-नीलग हालि सुक्कले वि पंच भंगा, २१०. कालो हालिमुक्लिएस वि पंच भंगा २११. हालि सुनिले विपंचगंगा, २१२. एवमेते चउक्कगसंजोएणं पणुवीसं भंगा । २१३. जइ पंचवण्णे ? कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य, २१४,२१५. सव्वमेते एक्कग दुयग-तियग- चउक्कपंचगसंजोएणं ईयालं भंगसयं भवति । For Private & Personal Use Only श० २० उ०५, ६० ४०२ २७७ www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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