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१४९. *देश शीत देश उष्ण जोय, देशा निद्वा देश लुक्ष होय । पद तीजो बहु वचनेह, रह्या दोय आकाश में एह ॥
सोरठा
१५०. इक नभ प्रदेश मांय
दोष शीत में एक नि। एक लुक्ख कहिवाय, इक नभ बे निद्ध उष्ण ते ।। १५१. *देश शीत देश उष्ण थाय, देशा निद्धा देशा लुक्खा पाय । अंत वे पद वह बच जोय, खंध से नभ में रह्यो सोय ।।
सोरठा
१५२. इक नभ में वे शीत, एक निढ नैं एक लुक्ख । निद्ध इक नभ उष्ण संगीत, ते पिण इक नि सुक्ख इक ।। १५३. *देश शीत देशा उष्णा जोय, देश निद्ध देश लुक्ख होय । पद द्वितीय बहु वच पेख, रह्या बे नभ मांहि विशेख ||
१५४. इक नभ प्रदेश मांय, एक उष्ण कहिवाय, १५५. *देश शीत देशा उष्णा ताम,
सोरठा दोय नि ते शीत इक/ इक नभ बे लुक्ख उष्ण ते ।।
देश निद्ध देशा सुखा पाम । द्वितीय तुर्य वहु वचनेह, खंध तीन आकाश विषेह ||
सोरठा
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१२६. इक नभ में वे शीत तेहिज निद्ध कहीजिये। बे नभ विषे संगीत, दोय उष्ण तेहिज लुक्ख ॥। १५७. तथा एक नभ मांप एक शीत तेहिज निढ त्रिण नभ प्रदेश पाय, तीन उष्ण तेहिज लुक्ख ||
निद्ध ।
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१५. "देश शीत देशा उष्णा जोय,
देशा निढा देश लक्ख होय । द्वितीय तृतीय बहु वचनेह, रह्या तीन प्रदेश विषेह ||
सोरठा १५९. एक नभ प्रदेश मांय, दोष शीत वे नभ प्रदेश पाय, दोय उष्ण १६० तथा एक नभ मांय एक शीत वे नभ प्रदेश पाय, तीन उष्ण १६१. एम अन्य पिण स्थान, जे अनेक जिहां संभव जान, कहियै तेह विचार नं ।। १६२. *देश शीत देशा उष्णा पेख, देशा निद्धा देशा लुक्खा देख । पद प्रथम एक वचनेह, त्रिहुं पद बहुवचन कहेह ।।
परिणाम ते ।
*लय म्हारी सासू रो नाम छं फूली
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तेहिज लुक्ख । तेहिज निद्ध ||
तेहिज लक्ख | तेहिज निद्ध ।।
१४९. ३. देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे,
१५१. ४. देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा,
१५३. ५. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लक्खे,
१५५. ६. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा,
१५८. ७. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे,
१६२. ८.
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देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा,
० २० उ० ५ ० ४०२
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