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१३५. * सर्व शीत च्यारूं प्रदेश, देश निद्ध देशा लुक्खा बहु वचने रह्या
सोरठा
१३६. च्यारूं शीतज वक्ष, बे प्रदेश इक नभ विषे । एक निद्ध एक लुक्ष, द्वितीय नभे बे लुक्ष फुन ।। १३७. सर्व शीत व्याखं प्रदेश, देशा निद्धा बहुवचन विशेष । देश लक्ष एक वचनेह, रह्या दोय प्रदेश विषेह || सोरठा
इक वचन विशेष | दोष प्रदेश विषेह ||
१३५. ज्या
शीतज वक्ष बे प्रदेश इक नभ विषे। एक निद्ध एक लुक्ष, द्वितीय नभे बे निद्ध फुन ॥ १३९. सर्व शीत देशा निढा जाण
बलि देशा सुक्खा पहिचाण रह्या दोय आकाश प्रदेश हिव एहनों न्याय कहेस ।।
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सोरठा
१४०. व्याहं शीतज वक्ष, वे प्रदेश इक नभ विषे। एक नि इक लुक्ष, द्वितीय नभे पिण इमज वे ।। १४१. सर्व उष्ण देश नि जाण, वलि देश तुक्ष पहिचाण । करिव एहनां भांगा प्यार, पूर्वली पर अवधार || १४२. सर्व निद्ध देश शीत जाण, बलि देश उष्ण पहिचान | एहूनां पिण चिहुं भंग जोय, पूर्वली परं ते होय || १४३. सर्व लक्ष देश छै शीत, वलि देश उष्ण सुवदीत । चिहुं भंगा एहनां करिया, पूर्वली पर उच्च रिवा ॥ १४४. तीन फर्श तणां विख्यात घट दक्ष भांगा आरुपात | हिवै च्यार फर्श नां कहिये, तेहनां पिण षट दश लहिये ।। चतुष्कयोगिक १६ भांगा
।
१४५. जो प्यार फर्श तिणमें होय, देश सीत देश उष्ण जोय । देश निद्ध देश लक्ख ताहि, रह्या वे नभ प्रदेश मांहि ॥ सोरठा १४६. इक नभ प्रदेश मांय दोष शीत तेहिज निद । द्वितीय प्रदेशे पाय, दोय उष्ण तेहिज लुक्ख ॥। १४७. *देश शीत देश उष्ण पेख, देश निद्ध देशा लुक्खा देख । पद चउथो बहु वचनंत दोय गगन प्रदेश में हूंत ॥ सोरठा १४८. इक नभ प्रदेश मांय, दोय शीत में एक एक लुक्ख कहिवाय, इक नभ वे लुक्ख उष्ण ते ।।
निद्ध ।
*लय : म्हारी सासू रो नाम छं फूली
२६८ भगवती जोड़
१३५. २. सब्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा,
१३७. ३. सब्बे सीए देसा निद्धा देसे लक्खे,
१३९. ४. सब्वे सीए देसा निा देसा
लक्खा
१४१. येउसि देसे निदे दे एवं भंगा ४,
१४२. नि देसी देसे उस ४.
१४३. सब्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे ४,
१४४. एए तिफासे सोलस भंगा।
१४५. जइ चउफासे १ १. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे,
१४७. २. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा,
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