________________
१२३. ४. सिय कालए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए
य, ५. सिय नीलए य लोहियए य हालिद्दए य
सुक्किलए य, १२४,१२५. एवमेते चउक्कगसंजोगे पंच भंगा। एए सव्वे
नउई भंगा। 'सव्वे नउई भंग' त्ति एकद्वित्रिचतुर्वर्णेषु पञ्च चत्वारिंशत् २ पञ्चानां भङ्गकानां भावान्नवतिस्ते स्युरिति ।
(वृ० प० ७८३)
१२६. जइ एगगंधे ? सिय सुन्भिगंधे, सिय दुन्भिगंधे ।
१२७. जइ दुगंधे ? मुब्भिगंधे य दुभिगंधे य
१२३. कदा कृष्ण लाल पील जाण, वलि सुक्किल ए तुर्य बखाण । कदा नील लाल पील जोय,
वलि सुक्किल ए पंचम होय ।। १२४. पंच वर्ण तणां भंग संच, चउक्कसंयोगे इक बच पंच ।
___एक वर्ण नां पंच जगीस, दोय वर्ण नां भंग चालीस ।। १२५. तीन वर्ण नां चालीस संच, च्यार वर्ण तणां भंग पंच । वर्ण तणां ए भंगा आख्या, सर्व नेऊ संख्या करि दाख्या ।।
गंध नां ६ भांगाइकयोगिक २ भांगा१२६. एक गंध जो कथंद, कदा च्यारूं प्रदेश सुगंध ।
कदा च्यारूंइ दुर्गध होय, एक संयोगे भंग ए दोय ।।
द्विकयोगिक ४ भांगा१२७. जो दोय गंध तिणमें होय,
जो कदा सुगंध इक वच जोय । वलि दुगंध इक वचनेह, रह्या इक-इक प्रदेश एह ।। १२८. कदा सुगंध इक वचनेह, रह्यो एक प्रदेश में एह ।
अन्य दुर्गध बहु वचनेह, बहु प्रदेश में रह्या तेह ।। १२९. कदा सुगंध बहु वचनेह, रह्या बहु प्रदेश विषेह ।
अन्य दुर्गंध इक वचनेह, एक प्रदेश में रह्यो तेह ।। १३०. कदा सुगंध बहु वच होय, दोय प्रदेश में रह्या दोय । बहु वच दुर्गध बे प्रदेश, रह्या दोय प्रदेश में शेष ।।
रस ना ९० भांगा १३१. वर्ण नां नेऊ भांगा ख्यात, तिम रस नां भंग विख्यात । इम रस नां नेऊ भंग होय, वर्ण नी परै कहिवा जोय ।।
फर्श ना ३६ भांगाद्विकयोगिक ४ भांगा१३२. जो दोय फर्श तिणमें होय, जिम परमाणु में सुजोय । कह्या च्यार भंग जिह वार,
तिम कहिवा इहां पिण च्यार ।। त्रिकयोगिक १६ भांगा ... १३३. जो तीन फर्श तिणमें होय, तो सर्व शीत अवलोय ।
देश निद्ध अने देश लुक्ष, रह्या बे नभ मांहि प्रत्यक्ष ।।
१३१. रसा जहा वण्णा ।
१३२. जइ दुफासे ? जहेव परमाणुपोग्गले ४ ।
१३३. जइ तिफासे? १. सव्वे सीए देसे निद्ध देसे लुक्खे,
सोरठा १३४. च्यारूं शीतज वक्ष, बे निद्ध इक नभ में हुवै।
दोय प्रदेशज लुक्ष, ते पिण इक नभ में रह्या ।।
१३४. 'सन्चे सीए' त्ति चतुर्णामपि प्रदेशानां शीतपरिणाम
स्वात् १ 'देसे निद्धे' त्ति चतुर्णा मध्ये द्वयोरेकपरिणामयोः स्निग्धत्वात् २ 'देसे लुक्खे' त्ति तथैव द्वयो रूक्षत्वात् ३ इत्येक: (व० प०७८३,७८४)
श०२०, उ०५. ढा०४०२ २६७
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org