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________________ ३८. जइ दुवण्णे ? १. मिय कालए य नीलए य, ४२. २. सिय कालए य नीलगाय, ४३. ३. सिय कालगा य नीलए य, ४४. १. सिय कालए य लोहियए य, द्विकसंयोगे ३ भागा--- ३८. जो वर्ण हवै तिणमें दोय, तो कदा इक वच कृष्णज होय। एक वचन नील पिण जाण, हिव तेहनों न्याय पिछाण ।। सोरठा ३५. तीन प्रदेशिक खंध, बे नभ-प्रदेश में रह्या । इक नभ एक कहंद, इक नभ दोय प्रदेश ह ।। ४०. कृष्ण एक प्रदेश, एक आकाश विषे रह्यो। दोय नील पिण शेष, ते पिण इक नभ में रह्या।। ४१. तीन प्रदेशिक खंध, इम बे नभ माहे रह्यां । इक वचने बिहु संध, अन्य स्थान पिण इह विधे । ४२. *कदा कृष्ण वर्ण इक होय, नील बह वच प्रदेश दोय । त्रिप्रदेशिक खंध विशेष, रह्यो तीन आकाश प्रदेश ।। ४३. कदा बहु वच कृष्ण ह्नदोय, रह्या दोय प्रदेश में जोय । नील इक वच एक प्रदेश, रह्यो एक प्रदेश विशेष ।। कृष्ण लाल संघाते ३ भांगा४४. कदा एक कृष्ण सुविशेष, इक वच लाल ह्व दोय प्रदेश। ते दोन पुद्गल नां प्रदेश, रह्या एक आकाश विशेष ।। ४५. कदा कृष्ण एक प्रदेश, बह वच लाल दोय सूविशेष । ते दोन पुद्गल नां देश ताहि, रह्या दोय प्रदेश रै मांहि ।। ४६. कदा बहु वच कृष्ण ह दोय, रह्या दोय प्रदेश में सोय । एक प्रदेश लाल सुचीन, कृष्ण लाल थी ए भंग तीन ।। ४७. इम कृष्णज पीला संघात, भणवा भांगा तीन विख्यात । इम कृष्ण शुक्ल साथे सोय, तीन भांग। भणवा अवलोय ।। ४८. इम नीलज लाल संघात, तीन भांगा तणों अवदात । इम नील पीला साथे पेख, कहिवा तीन भांगा सूविशेख ।। ४९. इम नील शुक्ल रै संग, भणवा विध सं त्रिण भंग। इम लाल पीत संग ताय, ए तो भंग तीन कहिवाय ।। ५०. इम लाल शुक्ल रै साथ, वारू भांगा तीन विख्यात । इम पील शुक्ल संग सोय, ए तो तीन भांगा अवलोय ।। ५१. इम सगलाई सुजगीस, दश नै त्रिगुणा कियां तीस । द्विकसंयोगे इम ख्यात, हिव त्रिकयोगे अवदात ।। त्रिकसंयोगिक वर्ण नां १० भांगा--- ५२. जो वर्ण हुवै तिणमें तीन, तो कदा कृष्ण नील लाल चीन । कदा कृष्ण नील पोल होय, कदा कृष्ण नील शुक्ल जोय ।। ४५. २. सिय कालए य लोहियगा य, ४६. ३. सिय कालगा य लोहियए य, ४७. एवं हालिद्दएण वि समं ३, एवं सुक्किलेण वि समं ३, ४८. सिय नीलए य लोहियए य एत्थ वि भंगा ३, एवं हालिद्दएण वि समं भंगा ३, ४९. एवं सुक्किलेण वि समं भंगा ३, सिय लोहियए य हालिद्दए य भंगा ३, ५०. एवं सुक्किलेण वि समं ३, सिय हालिद्दए य सुक्किलए य भंगा ३, ५१. एवं सब्वे ते दस दुयासंजोगा भंगा तीसं भवति । ५३. कदा कृष्ण लाल पीलो जाण,कदा कृष्ण लाल शुक्ल माण । कदा कृष्ण पीत शुक्ल सोय, षट भांगा ए कृष्ण थी होय ।। ५२. जइ तिवण्णे? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य, ३. सिय कालए य नीलए य सुक्किलए य, ५३. ४. सिय कालए य लोहियए य हालिद्दए य, ५. सिय कालए य लोहियए य सुक्किलए य, ६. सिय कालए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ५४. ७. सिय नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, ८. सिय नीलए य लोहियए य सुक्किलए य, ९. सिय नीलए य हालिद्दए य सुक्किलए य, १० सिय लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ५४. कदा नील लाल पीलो पेख, कदा नील लाल धवलो देख। कदा नील पील शुक्ल सोय, कदा लाल पीलो शुक्ल होय ।। * लय : म्हारी सासू रो नाम छ फूली २६० भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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